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उत्तरप्रदेश का आगरा शहर जहाँ मुहब्बत का एक नजराना अवस्थित है "ताजमहल" जिसे शाहजहाँ ने मुमताज की याद में बनवाया था और यह प्रेम एक इतिहास रच गया | आज दुनियां के बहुत सारे लोग इसका दीदार व स्पर्श करने भारत की धरती पर आते है | मगर बहुत कम लोग यह जानते है कि - शाहजहाँ ने इस ताजमहल को मध्यप्रदेश का एतिहासिक शहर बुरहानपुर से गुजरने वाली ताप्ती नदी के किनारे बनाने का फैसला किया था , परन्तु किसी कारण वश या फिर समय का तकाजा कहे कि - इसे मध्यप्रदेश की धरती पर न बनाकर उत्तरप्रदेश की धरती पर उतारा गया |
मुहब्बत का यह फंसना एक यादगार रूप लेता हुआ विश्व में एक इतिहास रचा है | कहा जाता है - जिस धरती पर जिस चीज को उतारने की सोंच किसी ने बना लिया , तो वह सोंच दसक बाद या शतक बाद या फिर इससे भी ज्यादा लेकिन किसी के भी द्वारा इस सोंच को धरती पर उतारा जरुर जाता है |
तस्वीर :- न्यूज़ 18 के सौजन्य से
बुराहनपुर की धरती जहाँ पर शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाने की सोंच रखी थी , उस सोंच को बरकरार किया है आनंद प्रकाश चौकसे ने , यह एक शिक्षा शास्त्री है | इन्होने हुबहु आगरा में बने ताजमहल की तरह हीं एक चार बेडरूम का घर बनाया है , जो सुख सुविधा से भरपूर है | इसे बनवाने में पूर्व में कई रूकावटे खड़ी हुई , जो अक्सर अच्छे कार्य करने के समय होता रहा है | मगर सच्चे मन से अगर कुछ ठान लिए जाए , तो उसे ऊपर वाले की शक्ति मिल जाती है और वह पूरा भी हो जाता है | कहा गया है - हौंसला बुलंद हो तो आँधियों में चिराग जलते है और तब तूफ़ान को हारना पड़ जाता है एक दीप के हौसले के सामने |
आनंद चौकसे ने अपनी अटूट विश्वास को लेकर कदम बढ़ाया और कामयाबी हासिल की |
इस घर की डिजाईन व मकान तैयार किया है इंजीनियर प्रवीन चौकसे ने | यह बहुत हीं कठिन कार्य था , मगर पद की गरिमा को बरकरार रखते हुए इन्हें यह चुनौती भरा कार्य पूरा करना था और कर गए | प्रवीण चौकसे ने मीडिया को बताया कि - ताजमहल जैसे घर का क्षेत्रफल मीनार सहित 90x90 का है , बेसिक स्ट्रक्चर 60X60 है और गुम्बद 29 फीट ऊँचा है |
इसे बनाने से पूर्व आनंद चौकसे अपने पत्नी मंजूषा चौकसे के साथ पहले आगरा पहुंचे , वहां ताजमहल देखा , उनकी खूबियाँ और बारीकियों का घोर अध्यन किया और फिर इंजीनियर प्रवीण चौकसे को आगरा के ताजमहल की तरह देखने वाले घर की फरमाइश कर दी | इसलिए प्रवीण चौकसे को भी आगरा जाकर ताजमहल देखना पड़ा और फिर उन्होंने मन बना लिया और हाथ लगा दिया निर्माण कार्य में |
एक बड़ा हॉल , दो बेडरूम नीचे और दो बेडरूम ऊपर , किचेन , लाइब्रेरी और एक मेरिटेशन रूम बनाया गया | इस घर में जो नकासी की गई है , इसे सोने पर सुहागा नाम दिया जा सकता है | बंगाल व इंदौर की कलाकार की मदद ली गई , साथ हीं आगरा के उत्कृष्ट कारीगरों को भी बुलाया गया | घर के फर्नीचर का काम मुंबई व सूरत के कारीगरों के हाथ सौंपा गया |
आज यह घर बनकर तैयार है और इस घर को इंडियन कंस्ट्रक्टिंग अल्ट्राटेक आउट स्टैंडिंग स्ट्रक्चर ऑफ़ एम पी का अवार्ड मिल चूका है |
आपको बता दे कि - आनंद चौकसे को सदैव यह कसक रही थी कि - बुरहानपुर में ताजमहल क्यूँ नहीं बनाया गया और अपनी इसी तड़प को उन्होंने एक बार फिर मुहब्बत का नाम देते हुए अपनी पत्नी के लिए यादगार गिफ्ट तैयार करवाया , जिसे बनने में लगभग 3 वर्ष लग गए | इसे मुहब्बत का एक नजराना व ताज कहा जाए तो शायद ! कोई अतिश्योक्ति न होगा |
प्यार तो सदियों सदी से उगता हुआ एक सूर्योदय की तरह है , जो सैदव पूर्णिमा की रात की तरह नूर बिखेरता हुआ प्रतीत होता है हर दिल में , मन में | सिर्फ जगाने भर की बात है | जिस कसी ने भी इस स्टोरी को पढ़ा / सुना व देखा है सब के सब गदगद हो गए और वाहवाही के पुकार से एक दूसरे को प्रेरित कर रहे है , क्यूंकि इनके प्रेम का नूर अब विस्तृत रूप लेता नजर आ रहा है | भारत से विश्व तक का भ्रमण अब ज्यादा दूर नहीं |
वाह ! काबिले तारीफ़ है यह मुहब्बत का सफ़र व सोंच | लोग ताजमहल का प्रतिक खरीदकर अपनी महबूबा व पत्नी को गिफ्ट करते है | आनंद प्रकाश चौकसे जी ने तो ताजमहल जैसा घर हीं बनवाकर अपनी पत्नी को गिफ्ट देकर एक इतिहास रच दिया | हर जन्म आपका साथ और आपकी मुहब्बत अमर रहे , यहीं कामना है सब की | आज आनंद प्रकाश चौकसे अपनी पत्नी मंजूषा चौकसे के साथ ताजमहल में ऐशो आराम व सकूँ वाली जिंदगी जी रहे है , जिसे देखकर लोग पुलकित नहीं समां रहे है | हमारी भी दुआएं आपके साथ है , आप जियो हजारो साल ये मेरी है आरजू | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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