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गुजरात के सूरत में 15 साल से बंद पड़े शमशान को खोलना पड़ गया | सूरत की हालत कोरोना मरीजों को लेकर इतनी दयनीय है की प्रतिदिन करीबन 100 से ज्यादा लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है और ऐसे में मृतक के परिवार को नौ - दस घंटा इंतजार भी करना पड़ रहा है |
बेकाबू होता कोरोना का यह आलम | सूचना के आधार पर सूरत में बेतहाशा मौतें हुई और उसके विधुत शवदाह गृह की चिमनी पिघल गई और इसके लोहे का प्लेटफोर्म भी जल गया | सूचना है की इस शवदाह गृह में प्रतिदिन लाशो की संख्या बढ़ते रहने से ऐसा हुआ | इसी परिस्थिति को देखते हुए 15 वर्ष से बंद पड़े 30 शवो का एक साथ अंतिम संस्कार करने की क्षमता रखने वाला शवदाह गृह को खोलने का निर्णय लिया गया है |
सूरत के भारतीय जनता पार्टी के पार्षद निलेश पटेल ने इस मामले पर कहा कि :- शव की अधिकता व परिजनों का घंटो इंतजार और बेवसी को देखकर इसे शवदाह गृह को भी खोलने का निर्णय लिया गया है |
ऐसे में देखा जाये तो हालात तो दूसरे शहरों का भी यही है | जहाँ शव को अंतिम संस्कार के लिए लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ रहा है | लेकिन समझ से परे है कि जिन लोगों ने स्वयं को घर में ही कोरोनटाईन किया है और मजबूत खाना खा कर इस महामारी से उबर कर आज स्वस्थ है | वहीं शक के आधार पे जो लोग हॉस्पिटल में भर्ती हुए हैं उसमे अधिकांशतः लोगो की जान चली गई | वो ऑक्सीजन की कमी हो या फिर covid वैक्सीन का विपरीत रूप | जैसे की इन दिनों वैक्सीन पर चर्चा का विषय गहराता जा रहा है |
जितना भी हो सके अपनी जिंदगी को सुरक्षित रखें , जरा भी संदेह हो तो घर में हीं स्वयं को कोरोनटाईन करे , मास्क लगाये और सोशल डिस्टेंस का पालन करे , घर से कम निकलने की कोशिश करें , यही सबसे बेहतर तरीका है | ज्यादा असुरक्षित महसूस करे तभी अस्पताल पर दस्तक दे | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- भाव्यश्री डेस्क )
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