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उत्तरप्रदेश में बाँदा में राष्ट्रगान अपमान मामले को लेकर एक असुलाझा सा सवाल खड़ा हो गया है , जिसका छोड़ नजर नहीं आ रहा , जब एक महिला समाजसेविका को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया | गिरफ्तारी से पूर्व उस समाजसेविका का पुलिस से नोकझोक भी हुआ था | यह नोकझोक FIR दर्ज करने को लेकर था |
इस समाजसेविका का नाम शालिनी पटेल है | उनका कहना है और सोशल मीडिया के माध्यम से एक विडियो वायरल हुआ है | यह विडियो 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस का है और यह बाँदा के नवाब टैंक में हुए कार्यक्रम का है | जिसमे बाँदा के सांसद / विधायकगण और कई भाजपा नेता के साथ सरकारी अधिकारी राष्ट्रगान को बीच में हीं छोड़कर जाते दिखाई दे रहे हैं | अब यह विडियो वायरल होने लगा | ये सभी उपस्थित लोग जिन्होंने राष्ट्रगान गाया था , इसे ऑफिसियल राष्ट्रगान नहीं मान रहे है | उनका कहना था कि - साउंड सर्विस वालों ने राष्ट्रगान को दूबारा बजा दिया था | जबकि हम पहले हीं सावधान मुद्रा में खड़े होकर राष्ट्रगान गा चुके थे | इस विडियो के पीछे नेताओं और अफसरों का यहीं तर्क सामने आया है |
सोशल मीडिया पर जब यह विडियो वायरल हुआ , तब यूजर्स बोलने लगे कि - राष्ट्रगान तो राष्ट्रगान होता है , 52 सकेंड के लिए क्या फिर से खड़े नहीं रह सकते थे ?
पुलिस ने सोशल मीडिया पर विडियो डालने वाले के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज किया है और दूसरा केस जो कोरोना के नियमों के खिलाफ शांति भंग का आरोप लगाते हुए , बिना अनुमति धरना देने के क्रम में दर्ज किया है | जहाँ 6 महिला शालिनी पटेल के साथ अशोकस्तंभ तिहारे पर बिना मास्क लगाए प्रदर्शन कर रही थी | पहले उन्हें समझाया गया और कहा गया कि आप यहाँ से हट जाए | मगर वह नहीं मानी , बाद में उन्हें धरने पर से उठाकर , गिरफ्तार कर जेल भेज दिया |
जेल जाने से पहले शालिनी पटेल ने बताया था कि - 15 अगस्त के दिन जो हमारे राष्ट्रगान का अपमान हुआ था , उसकी सूचना 16 तारीख को हमने सभी लोगों को दी थी | साथ हीं यह भी कहा था कि - अगर दोषियों पर FIR नहीं लिखी जायेगी तो हम आन्दोलन करेंगे | आज हमारे साथ सिर्फ 6 महिलायें धरना देने आई तो पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया |
सूचना के आधार पर इस मामले के विषय में डिप्टी SP राकेश कुमार सिंह का कहना था कि - सामाजिक कार्यकर्त्ता शालिनी पटेल 6 महिलाओं के साथ बिना मास्क लगाये और अनुमति लिए बिना हीं धरना प्रदर्शन कर रही थी | इन लोगों को समझाया गया और कहा गया कि - आप यहाँ से हट जाए |
अब सवाल यह है कि - कोई भी व्यक्ति अगर FIR दर्ज कराने पुलिस चौकी पर पहुंची , तो सबसे पहले थाने का काम होता है मामला दर्ज कर लेना | न की किसके संदर्भ में मामला दर्ज करना है , यह देखना | नियम तो सबके लिए बराबर होता है | हाँ मामला दर्ज करने के बाद उस महिला पर जिन्होंने सांसद , बीजेपी के विधायकगण और नेताओं के ऊपर अगर ये संदेह या इल्जाम लगाया कि उन्होंने राष्ट्रगान अधूरे में हीं छोड़ दिया | तो वहां CCTV फूटेज हो न हो , मगर उस वक्त वीडियोग्राफी तो जरुर हुआ होगा | जो साक्ष्य और सबूत के लिए काफी है | अगर उसमे शालिनी पटेल की बातें झूठी निकलती तब उनपर कानून के तहत धारा लगाकर जेल भेजना या कोई भी सजा देना जायज था | परन्तु वगैर साक्ष्य व सबूत के आधार पर अचानक महिला को धरना से उठाकर जेल भेज देना , शायद उचित नहीं था ! वह भी एक सिर्फ 6 लोगों को बिना मास्क लगाये एक साथ धरना पर बैठने पर | यह बहुत बड़ा जुर्म या गुनाह नहीं था , कहा जा सकता है |
सांच को क्या आंच ? जब महिला की बातों पर विश्वास नहीं , तो सबूत तो सामने हैं | इसे पूरी दुनियां को दिखाकर संतुष्ट किया जा सकता है | ठीक उसी तरह जिस तरह यह राष्ट्रगान का विडियो वायरल हुआ और अधूरे में इन नेताओं को जाते हुए देखा जा रहा है | अब यह समझाने की जरुरत नहीं है कि भारत का कोई भी नागरिक जो राष्ट्रगान गा रहे हो वह भी 15 अगस्त या 26 जनवरी को सामूहिक रूप से , वे कभी भी अधुरा राष्ट्रगान नहीं गा सकते , इतना तो दावा के साथ कहा जा सकता है | सरकारी अधिकारी और नेतागण अगर यह बात बोल रहे है कि - इसमे साउंड सर्विस वालों का मिस्टेक था , तो ये सही लग रहा है | क्यूंकि कोई भी नेता जिनके हाथ में अभी सत्ता है , वो ओछी हड़कत कभी नहीं कर सकते है , इतना देश को उनपर भरोषा है |
मगर मास्क न लगाना और बिना इजाजत धरना देने के क्रम में किसी महिला को गिरफ्तार कर जेल भेज देना , यह अन्याय है | धरना प्रदर्शन बाधित कर देते , अल्टीमेटम देते , यह उचित था और उनसे साक्ष्य और सबूत लाने का डिमांड करते | यह तहकीकात बहुत जरुरी था , ताकि वायरल होता , विडियो का सच सामने आ पाता और देश के लिए यह खबर अन्याय का खबर नहीं बनता | वैसे भी आज पुलिस चौकी के लिए आये दिन ऐसी खबर आती रहती है कि वे FIR दर्ज नहीं करते |
मामला चाहे कोई भी हो , किसी का भी हो | भारत स्वतंत्र है और यहाँ सभी का बराबर अधिकार है | सभी की बातों को सुनना पुलिस की जिम्मेदारी है | अभी हाल हीं में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भारतीय जनता पार्टी का जनआशीर्वाद यात्रा निकाला गया था | बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ 7 FIR दर्ज किये गए , यह सभी कोरोना प्रोटोकॉल का उलंघन करने को लेकर था | साथ हीं इनलोगों ने यात्रा निकालने की अनुमति नहीं ली थी | इस जनआशीर्वाद यात्रा को पुरे शहर में घुमाया गया | मुंबई के विलेपार्ले , माहिम , शिवाजी पार्क , दादर , खेड़ावादी , चम्बुर और गोवंडी पुलिस चौकी में इन कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है , मगर किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई |
इस यात्रा में बीजेपी के कार्यकर्त्ता भारी संख्या में शामिल थे , जिससे की सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं किया जा सका | वहीं कितनों ने चेहरों पर मास्क भी नहीं लगाए थे | यह यात्रा 16 अगस्त को निकाली गई थी |
महाराष्ट्र भी देश का एक राज्य है | परन्तु यहाँ किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई और पिछले दिनों कई मामले ऐसे आये जिसमे कोरोना गाइडलाइन्स का उलंघन किया गया , परन्तु सभी से जुर्माना जरुर वसूला गया , अल्टीमेटम दिया गया | परन्तु उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई | आज कोरोना प्रोटोकॉल का उलंघन और बिना अनुमति धरना प्रदर्शन किये जाने से शालिनी पटेल की गिरफ्तारी हुई है , यह कितना सही है ! वैसे भी देखा जाए तो महिला आधी आबादी है और आधी सत्ता पर महिलाओं का अधिकार है | तो उन्हें तो बोलने का हक़ है और उन्हें हक़ दिया जाना चाहिए | तभी हम कह पायेंगे - सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |
उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ का सरकार है और केंद्र में नरेन्द्र मोदी की जो हर संभव महिलाओं की गरिमा को बनाये रखने का काम करती रही है | इनकी सरकार में महिलाओं की छोटी सी गलती पर जेल भेज देना एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है | क्यूंकि यह महिला कोई अलग देश की आंदोलनकारी नहीं है , यह तो अपने घर की एक बेटी , एक बहु , एक माँ है , जिसे नजरअंदाज कर देना चाहिए | वहीं शालिनी पटेल को भी यह सोंचना चाहिए कि इतने बड़े नेताओं से ऐसी गलती हो हीं नहीं सकती | इससे नेताओं का भी सम्मान जुड़ा था , जिसे उन्होंने बेपर्दा किया | यह शालिनी पटेल का धरना उचित नहीं था , कहा जा सकता है | .....( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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