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हरियाणा का एक 12 वर्षीय लड़का जिसका नाम कार्तिक जाखड़ है , इनका नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है |
अक्सर लोग पूछते हैं - नन्हे मुन्हे बच्चे तेरे मुठ्ठी में क्या है ?
बच्चे बोलते है - मुठ्ठी में है तक़दीर हमारी | वैसे यह लाइन एक फिल्म के गाने से ली गई है | आज की तारीख में यह लाइन अपना एक उदहारण पेश करता है | हम अपने भारत की बात करे तो इस देश में एक से एक वीर होनहार सपूतों ने जन्म लेकर अपने भारत को समय - समय पर गौरवान्वित किया है |
बच्चो की बात कर रहे है तो एक नाम जो कि "कौटिल्य पंडित" का आता है | इनकी सोंच और विस्तृत जानकारी से देश वंचित नहीं , क्यूंकि इन्हें "गूगल बॉय" कहा जाता है | अक्सर लोग 3 साल या तीसरी कक्षा में हीं क्यूँ अपनी सोंच को डेवलप करने की बातो को उजागर करते है , यह बाते हर क्षेत्र में देखा गया है | जब लोग अपनी मंजिल पर पहुँच जाते है तो अक्सर कहते है - मै 3 साल की उम्र से ही इस दौर में लगा था |
आज हरियाणा का धरती पुत्र चर्चाओं के शोर में गुंजयमान हो रहा है ,जिन्हें बहुत सारी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा था | कार्तिक हरियाणा के झज्जर जिले के झासवा गाँव का रहने वाले हैं , इनकी उम्र 12 साल है | अभी ये हॉवर्ड युनिवर्सिटी के एंट्रेस में पास होकर स्कॉलरशिप लेते हुए BSc इन कंप्यूटर साइंस की डिग्री ले रहे है |
8 वीं का यह स्टूडेंट जिन्होंने 3 App को तैयार किया है , इनकी उपलब्धि के चर्चे बहुत दूर तलक फ़ैल रहे हैं | अभी तो यह आरंभिक दौर है , इन्हें तो अभी बहुत दूर जाना है और देश की गति को सुदृढ़ बनाना है | क्यूंकि कोई भी आदमी जितना आगे बढ़ता है जिम्मेदारी उतना हीं अधिक दस्तक देना शुरू करती है और यह एक सुखद दौर होता है जो हर किसी की जिंदगी में नसीब कहाँ ?
इनके पिता का नाम अजीत सिंह है और ये एक किसान है | कार्तिक जाखड़ की 3 बहने है और तीनो इनसे बड़ी है | इनके घर में पढ़ाई करने के लिए टेबल कुर्सी तक नहीं और न हीं इनके गाँव में 24 घंटा बिजली की सुविधा उपलब्ध है | आज इनकी उपलब्धि को देखते हुए कह सकते है कि - हुनर सुविधाओं का मोहताज नहीं |
अब आते है 3 वर्षो की बात पर - तो कार्तिक जब छोटे थे तभी ये कुछ अजूबा करने की सोंच रखते थे | ऐसे में जब वे तीसरी कक्षा में पहुंचे तो बेचैनी और भी बढ़ गई | कुछ अलग करने की जिज्ञासा इन्हें तड़पाती रही , मगर इस उम्र में वह नजरे नहीं थी जो इनके हुनर को पहचान सके |
उम्र बढ़ता गया और आ गया कोरोना काल का वह दौर जहाँ लॉकडाउन लगा और पढ़ाई ऑनलाइन आरम्भ हुआ | ऐसे में उनके पिता को उन्हें पढ़ाई के लिए एंड्राइड फोन लाकर देना पड़ा | यह उम्र का वह दौर है जहाँ कुछ लोग मोबाइल लेकर बर्बाद होते है तो कुछ लोग आबाद |
कार्तिक YouTube पर कोडिंग और App डेवलपिंग के बारे में स्वयं हीं अपनी सोंच को उजागर करते हुए इस्तेमाल करना शुरू किया और App बनाने का मन बनाया | इस App की तैयार करने में उन्हें कई परेशानियों से होकर गुजरना पड़ा | कई बार कोडिंग करने के समय मोबाइल हैंग हो जाता था जिसके बाद फिर से उन्हें सिस्टम को अप्लाई करना पड़ता था |
अब हम आपको उस तीन App का नाम भी बता दे जिसे जानने के लिए आप अभी तक हमारे साथ बने है -
पहले App का नाम है "लुसेंट GK ऑनलाइन" दूसरा "श्री राम कार्तिक लर्निंग सेंटर" और तीसरा "डिजिटल एजुकेशन" |
अभी कार्तिक एक संस्था से जुड़कर 45 हजार बच्चो को मुफ्त में ऑनलाइन शिक्षा दे रहे है |
बिना कोचिंग किये अपने हुनर के परिचय की प्रस्तुति आने वाले कल के लिए एक सुखद अनुभूति का वह दौर है जहाँ उन बच्चो को जिनके पास सुविधा उपलब्ध नहीं , ऐसे में यह नाम एक दीपक के काम आएगा |
अब चलते चलते एक बात हम और भी कहना चाहेंगे - आज की तारीख में कार्तिक जाखड़ अमेरिका की हॉवर्ड युनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे है और पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अपने देश में कंप्यूटर के क्षेत्र में ऐसा कुछ करेंगे जो आज से पहले किसी ने नहीं किया है |
सपने पुरे होते है , मगर जब सपने को खुली आँखों से देखा जाए और उसपर चिंतन कर कदमो को बढ़ा दिया जाए | रुकिए नहीं न थकने दीजिये , अपने दिमाग को शारीरिक कसरते की जाती है और लोग अपने शरीर को चुस्त - दुरुस्त बनाने में सुबह से हीं लग जाते है | मगर ऐसे बच्चो के लिए जहाँ देश का विकास सामने खड़ा हो , शारीरिक कसरतो से ज्यादा दिमागी कसरते मायने रखती है | यही तो सूरत और सीरत का तौल है | अब जो सामान्य परिवार के बच्चे है उन्हें सोंचना होगा कि - वे शरीर डेवलपमेंट पर अपना समय व धन खर्च करेंगे या फिर उसी समय व धन को स्वयं और देश के डेवलपमेंट पर | दोनों आपके हाथ में है और सोंचना आपको हीं होगा |
नोट :- एक बात और ! यह रहा छोटे उम्र का वह दौर जहाँ ऑनलाइन पढ़ाई की सारी व्यवस्थाएं आप तक पहुँच रही है | मगर बहुत जल्द हम आप तक इस गति के दूसरे दौर से भी परिचित कराएँगे | ........... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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