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2020 लॉकडाउन की अवस्था से , जब से कोरोना का आगमन भारतवर्ष में हुआ , तब से लोग कोरोना के नाम से भयभीत हुआ करते थे | भारत के हर राज्य में कोरोना से त्रस्त लोग , अपनी जिंदगी के बहुत सारे उद्देश्यों पर ताला लगा लिया | इंतजार आज भी जारी है , उन बंद सपनों के ताला खुलने का | कल तक कोरोना संक्रमण का डर सता रहा था | लोग सोंच रहे थे इससे निपटने का कौन सा रास्ता होगा ! फिर वैक्सीन का दस्तक , कोरोना वायरस के रोक पर पड़ा और लोगों को वैक्सीन देना आरंभ किया गया |
लेकिन ऐसा क्या है इस वैक्सीन में की लोग लेने से कतरा रहे हैं | दोनों में - या तो कोरोना से छुटकारा पाना है , तो वैक्सीन लेना अनिवार्य देखा जा रहा है | दूसरी तरफ वैक्सीन लेने से स्वस्थ व्यक्ति भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं और बहुत सारे लोगों की मृत्यु हो गई | बस डर यहीं है और कहीं नहीं !
गौर करने की बात है कि , सबके पास अकेला हीं जान है , वो प्लेन से चलने वाले हो या सड़को पर नंगे पाँव दौड़ने वाले | जिंदगी सबके लिए उतना हीं महत्वपूर्ण है | इसमें गरीबी - अमीरी का भेदभाव नहीं |
राजस्थान में गाँव के लोगो के बीच , अब पनपने लगा है वैक्सीन का डर ! लगातार वैक्सीन लेने के बाद सूचना मिल रही है , एक डोज या दोनों डोज लेने के बाद लोग संक्रमित हो रहे है , या फिर उनकी मृत्यु का खैफ लोगों के मन में बैठ गया है | इन दिनों एक और चर्चा है वैक्सीन का , वह है साइड इफ़ेक्ट | सूचना के आधार पर - यानि व्यक्ति जो पढ़ते हैं उसे मान लेते हैं और इन दिनों जितने भी समाचार पुरे भारतवर्ष में घुमते हुए पहुँच रहा है , तो इसमें साइड इफ़ेक्ट में ऐसी बीमारियाँ दिखाई जा रही है जिससे रूह कांप उठता है | जैसे आँखों का डैमेज होना , चेहरे पर ब्लैक स्पॉट का लगातार बढ़ते जाना और बदन तक पहुंचा जाना | लोग पढ़कर या देखकर भयभीत हैं | एक कष्ट से निपटारा पाया जाये और दूसरा शरीर में घर कर जाए , इसका साफ़ मतलब है मुन्ना भाई लगे रहो डॉक्टरों के पीछे और उनके पॉकेट को गर्म करते रहो | चूकि रोग है तो जाना डॉक्टर के पास हीं पड़ेगा |
राजस्थान के अजमेर व सीकर , बिहार में मुंगेर कुछ और जिला के गाँव है | लेकिन उदाहरन के लिए हम आपको बता दे की कुछ लोग पहला डोज नहीं लिए तो कईयों ने दूसरा लेने से साफ़ मना कर दिया | उनका सिर्फ इतना कहना है - पहले जिन्दा रहने की गारंटी लिखकर दीजिये , फिर वैक्सीन लगवाएंगे | टीका लगाने के बाद मौत नहीं होगी , इस बात को स्पष्ट करना होगा | चूकि वैक्सीन लगाने के बाद , लगातार हो रही मौतों को देखकर लोग घबरा रहे हैं |
केशरपुरा गाँव में 1300 लोगों के बीच सिर्फ एक महिला जो आंगनवाडी कार्यकर्ता है , स्वास्थ्य विभाग के सदस्यों द्वारा समझाए जाने पर डोज लिया | वैक्सीनेशन के लिए जब गाँव में स्वास्थ्यकर्मी पहुंचते है तो लोग अपने - अपने घरो में छुप जाते है , नहीं तो लिखित गारंटी मंगाते है | जान तो सबकी प्यारी है |
हुआ यह की एक सुरक्षा गार्ड लॉकडाउन होने पर अपने घर आया | उसकी तबियत बिगड़ी , तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया | इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई | परिवार वालों ने मृतक की पत्नी से इस बात को छुपा लिया , परन्तु शक के आधार पर वह स्वयं अस्पताल गई और अपने पति के मृत्यु की खबर सुनकर स्वयं भी मौत के आँचल में समा गई | ऐसे में उनके दो बच्चे 10 वर्ष और 12 वर्ष अनाथ हो गए | दादा - दादी पर जिम्मेदारी आ पड़ी | इस बात और परिस्थिति को देखकर लोग वैक्सीनेशन का आक्रोश व गम छुपा नहीं पा रहे हैं | वैक्सीन पर से अब लोगों का भरोषा उठता जा रहा है | यह तो रही राजस्थान की बात , लेकिन यहाँ सिर्फ राजस्थान की बात नहीं है ! भारत मे ऐसे बहुत से क्षेत्र है , जहाँ वैक्सीन की चर्चायें जोड़ो पर है |
बॉलीवुड के बहुत सारे सेलिब्रेटी , उनके पैरेंट्स के विषय में जानकारी मिलती रही है कि , वैक्सीन लेने के बाद उनकी मृत्यु हो गई है , तो कुछ लोग बीमार चल रहे हैं | ऐसे में उनके पास तो धन की कोई कमी नहीं , लेकिन जो ग्रामीण तपके के लोग हैं वो पैसे कहाँ से लायेंगे इलाज के लिए ! अगर वैक्सीन लिया तो बीमार पड़ेंगे और रिपोर्ट पोजेटिव आई तो हॉस्पिटल में भर्ती होंगे | पैसे खर्च करने के बावजूद भी इंसान जिन्दा वापस नहीं लौटेगा | इसी डर से वे लिखित गारंटी मांग रहे हैं | तो फिर उन्हें क्यूँ नहीं मिल रहा , उनकी जिंदगी की गारंटी ! इसलिए कि किसी के पास जिन्दगी वापस देने की गारंटी नहीं है | न सरकार के पास , न वैक्सीन कंपनी के पास , न डॉक्टर के पास और न अन्य स्वास्थ्य विभाग से जुड़े हुए लोगों के पास |
तो ऐसे में मृत्यु तो सत्य है , उसे तो एक दिन आना है | तो क्यूँ डर से जिया जाए ! ये लोग बिना वैक्सीन का स्वतंत्र रूप से जीना चाहते है | पूछने पर बताया - आगे जो भी होगा देखा जाएगा , लेकिन वैक्सीन नहीं लेंगे | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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