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गर्मी का मौसम शुरू होते हीं हर किसी का मन कुछ ठंढा पीने का कर जाता है और यादें ताजा हो जाती है "आई लव यू रसना" की |
हर रंग में स्वादानुसार रसना उपलब्ध मिलता रहा बाजार में और लोग आनंद लेते रहे |
याद आ रहा है हमें वह दौर जब पहले से हीं लोग मात्रानुसार मिलाकर रसना का सरबत फ्रीज़ में ठंढा होने के लिए रख दिया करते थे | मेहमान के आने पर लोग उनके सामने पेश करते थे "रसना" | शीशे की ग्लास में रसना का ठंढा शरबत देखकर पीने से पहले हीं लोग आनंदित हो जाया करते थे |
मगर अब वहीं गर्मी का मौसम आते हीं सिर्फ रसना का स्वाद हीं महसूस नहीं होता बल्कि रसना का विज्ञापन करने वाली वह नन्हीं बिटिया भी जो टीवी पर "आई लव यू रसना" बोलती हुई लोगो को अपनी तरफ सिर्फ आकर्षित हीं नहीं करती बल्कि अपनी प्यार भरी आवाज से लोगो की थकान भी मिटा दिया करती थी , याद आती है | आज सिर्फ उसकी यादें बची है |
14 वर्ष की अवस्था में हीं एक विमान हादसे में इस बेटी की मौत हो गई थी |
"आई लव यू रसना" यह तस्वीर उसी बच्ची की है जिसके मीठे बोले आज भी लोगो के दिलो व कानो को छलनी करता है |
रसना गर्ल के नाम से मशहूर हुई बाल कालाकार "तरुनी सचदेव" जितनी जल्दी उंचाई की शिखर पर पहुंची उतनी हीं जल्दी जिंदगी ने उससे अपना मुंह मोड़ लिया | 14 मई 2012 को तरुनी की मासूमियत भरी वह मुस्कान जमीं आसमां के बीच खो गया |
चाइल्ड एक्ट्रेस की सबसे कीमती एक्ट्रेस बनी थी तरुनी सचदेव | इसलिए कि छोटी सी उम्र में हीं तरुनी ने महानायक अमिताभ बच्चन , शाहरुख़ खान , करिश्मा कपूर जैसे उम्दा कलाकारों के साथ काम कर एक इतिहास रचा | फिल्म के अतिरिक्त रसना के बाद कॉलगेट , रिलायंस मोबाइल , एलजी कॉफ़ी बाईट , शक्ति मशाला , गोल्ड विजेता , स्टार प्लस ड्रीम्स व ICIC बैंक आदि जैसे उत्पादों के लिए टेलीविजन विज्ञापन कर लोगो को अपनी तरफ आकर्षित किया था | वहीं इनकी प्यारी सी मुस्कान ने कमाल कर दिखाया और उत्पादों की बिक्री बढ़ती चली गई और उत्पाद विक्रेता मालामाल हुए |वहीं तरुनी ने अमिताभ बच्चन के साथ भी ऐड में काम कर लोकप्रियता हासिल की |
तरुनी सचदेव मलयालम फिल्म के साथ डेब्यू किया था | फिल्म का नाम है वेल्लिनक्षत्रम , यह फिल्म 2004 में बनी थी |
14 मई 2012 की सुबह 9 बजकर 45 मिनट के करीब का वह दिन , तरुनी के जीवन का काला दिन बना , जब वह नेपाल ट्रिप पर अपनी माँ के साथ जा रही थी | इस विमान में 16 भारतीय सवार थे , विमान एक चट्टान से टकरा गया | टकराने से आग तो नहीं लगी , परन्तु विमान के कई टुकड़े हो गए जिसमे एक भी यात्री के बचने की सूचना नहीं मिली | उसी हादसे में तरुनी और उसकी माँ भी मौत की नींद सो गई |
मृत्यु कभी बोल कर नहीं आती , परन्तु कुछ न कुछ यादें छोड़ देती है जिसके बाद एक एहसास सा होता है कि- काश ! बोली गई बातो को काट दिया होता | काश ! सफ़र करने के पहले अपनो को रोक लिया जाता | मगर वक्त है कि समय देता नहीं और दामन से फिसल जाती है जिंदगी | क्यूंकि विधाता का लिखा कोई टाल नहीं सकता और स्वयं पर इल्जाम न लेते हुए एक कारण लग जाता है |
तरुनी सचदेव नेपाल जाने के लिए निकलने को हुई तो अपने दोस्तों को गले से लगाते हुए बाय बाय किया था | जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि - तरुनी की मौत की खबर सुनने के बाद उनके दोस्तों ने बताया कि - तरुनी इससे पहले जब भी ट्रिप में जाया करती थी तो ऐसा नहीं करती थी | जाने के समय उसने दोस्तों से कहा था कि - ये हमारी आखिरी मुलाक़ात है | दोस्तों को उस वक्त क्या मालुम था कि - यह वाकई में आखिरी मुलाक़ात है |
तरुनी जब विमान में बैठी तो उड़ान से पहले भी अपने एक साथी को मैसेज किया था - मजाक के तौर पर कह रही हूँ , "क्या पता यह विमान क्रैश हो जाए" | मजाक में कही गई बाते सच साबित हुआ और तरुनी की उसी विमान क्रैश में मौत की खबर ने पूरी बॉलीवुड को सदमे में लाकर खड़ा कर दिया | साथ हीं देश को भी एक बड़ा झटका लगा जिसकी यादें मिटाना बड़ा हीं मुश्किल है |
वो प्यारी सी मुस्कान , आँखों में चमक लिए वह आकर्षक तस्वीर आज भी गर्मी आते हीं "आई लव यू रसना" की पुराने वह यादें ताजा होकर दिल को झकझोर कर रख देता है |
14 मई 1998 में मुंबई की धरती पर जन्म लेकर मशहूर हुई तरुनी सचदेव की मृत्यु की लड़ी भी 14 मई से हीं जुड़ गया | यह कैसा इक्तफाक कि- जन्म और मृत्यु दोनों की एक तारीख और एक महीना होना आचम्भित करता है लोगो को | ऐसा नहीं कि एक तरुनी हीं है जिनकी जन्म और मृत्यु की तारीख एक है , ऐसे कई लोगो की जन्म और मृत्यु की तारीख को देखा गया है जिसे महसूस कर लोग आचम्भित हुए |
तरुनी सचदेव के पिता एक उद्योगपति हैं और इनकी माँ जो अब इस दुनियां में नहीं रही , इनका नाम गीता सचदेव था | ये इस्कॉन मुंबई के राधा गोपीनाथ मंदिर में एक कलीसिया भक्त सदस्या थी |
कभी कभी स्वयं की मुंह की बातें भी जिंदगी को लग जाया करती है , वह अच्छाई के लिए हो या फिर बुराई | वक्त का तकाजा है कि ईश्वर ने जिसे भी जुबान दिया हो , सोंचने - समझने की शक्ति दी हो , उनके लिए सिर्फ इतना हीं लिखना काफी होगा - ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरन को शीतल करे आपहु शीतल होए | इसलिए हमेशा शुभ बोल बोले - अपने लिए भी , अपनो के लिए भी , देश के लिए और दुनियां के लिए भी | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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