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जितनी ऊँची ईमारत इनदिनों दर्द उतना हीं भयावह हो रहा है क्यूंकि ऊँची ईमारत से जिंदगी बचाना बड़ा हीं मुश्किल है | मंजिल पर याचना करती हुई वह चीखें अन्दर हीं विलुप्त होता दिखाई पड़ रहा है |
हम बात कर रहे हैं आज सुबह कि - अहमदाबाद में 11 वीं मंजिला बिल्डिंग के 7 वें फ्लोर के एक फ्लैट में आग लग गई जिसमे 15 साल की एक बेटी जिन्दा जलने पर मजबूर हुई | यह हादसा व दर्द जानकर / देखकर मन बेहाल सा हुआ |
अपने बालकनी में फंसी प्रांजल 28 मिनट तक लोगो से अपनी जिंदगी बचाने की विनती व गुहार करती रही मगर किसी ने उसे नहीं बचाया | इस बीच आग में फंसी बेटी प्रांजल अपनी बालकनी में स्वयं को बचाने की काफी कोशिश की | इस घटना का विडियो जब बाहर आया तो उसमे भी देखा गया कि वह स्वयं को बचाने के लिए किस तरह कोने में छुप रही है |
प्रांजल के परिवार के 4 सदस्यों का ईलाज चल रहा है | आज सुबह 7:28 मिनट से पूर्व आग लगी थी जिसकी सुचना अहमदाबाद फायर ब्रिगेड को मिला | यह घटना शाहीबाग के पास गिरधर नगर सर्कल के पास स्थित आर्किड ग्रीन फ्लैट्स के 7 वे मंजिल की है | सूचना पाकर दमकल की 15 गाड़ियाँ मौके पर पहुंची और आग बुझाने का काम किया |
लगातार पानी का बौछार होता रहा | फ्लैट्स में जिस वक्त आग लगी वहां 5 लोग मौजूद थे | 4 अपनी जिंदगी बचाने में सफल रहे वहीं प्रांजल कमरे में फंस गई और फिर बालकनी में जिंदगी बचाने की गुहार लगाती दिखी मगर अफ़सोस उनकी यह आवाज और पुकार उसी अग्नि में जलकर भस्म हो गया |
वहां उपस्थित लोगो के अनुसार - सुबह 8 बजे दमकलकर्मियों की एक टीम आठवीं मंजिल पर पहुंची और दो लोग की मदद से प्रांजल को निकाला जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया मगर अफ़सोस की प्रांजल 100% बर्न इंजरी हो चुकी थी जिसके कारण उसकी मौत हो गई |
अब जो विडियो सामने आया है उसमे साफ़ दिख रहा है कि - फायर फाइटर्स कैनन से निकल रहा है और फ़ोर्स पांचवीं मंजिल तक हीं जा रहा है जबकि आग लगी सातवी मंजिल पर | इस बीच आग फैलती रही और बेकाबू होता रहा |
आँखों देखा हाल जो जानकारी छनकर सामने आई हैं , वहां मौजूद लोगो के अनुसार - दमकल वालो ने सीढ़ी खोलने का प्रयास किया मगर वह खुल नहीं रहा था तभी किसी नागरिक ने दूसरी बिल्डिंग में जाकर वहां से कैनन चलाने को कहा | समय का तकाजा देखिये की अगर सीढ़ी समय पर खुल जाती तो प्रांजल को समय पर बालकनी से निकाला जा सकता था मगर इस बात को अधिकारी नहीं मानते और उन्होंने कहा कि सीढ़ी खुली थी परन्तु वहां मौजूद लोगो ने अभी भी उसी बात को दोहराया कि - अगर सीढ़ी खुली थी तो दमकलकर्मी को फ्लैट्स के अन्दर क्यूँ दाखिल होना पड़ा ? प्रांजल तो बालकनी में दिख रही थी |
खैर ........ अब बहस और उलझन से क्या फायदा ? प्रांजल की जिंदगी तो वापस नहीं आएगी | मगर अफ़सोस की आग लगने के बाद भीड़ उमड़ पड़ी वहीं प्रांजल को जलते हुए देखकर भी किसी के कदम नहीं बढ़े | प्रांजल ने इस दर्द को अकेले जीया क्यूंकि आदमी को दुःख स्वयं हीं जीना और झेलना पड़ता है |
इस हादसा व स्थिति में कोई किसी का साथ नहीं देता इसलिए हर इंसान को अपनी सोंच से बेहतर करनी चाहिए | क्या पता मौत किस घड़ी आ जाए क्यूंकि समय बोलकर करवटे नहीं बदलता इसलिए सदैव जीयो और जीने दो वाली प्रवृति को अपनाएँ |
ईश्वर प्रांजल की आत्मा को शांति दें और परिवार को जुदाई झेलने की शक्ति | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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