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सोशल मीडिया पर मैंने एक विडियो देखा जिसमे एक उम्रदराज व्यक्ति अपने हाथ में एक रोटी लिए स्टेशन पर सार्वजनिक नल में धो रहे थे | फिर पुनः उसे लपेटकर खाने लगे |
उन्हें देखकर मुझे फिर याद आ गया - रोटी के टुकड़ो का वह मोल जिसे इंसान यूँ हीं अपनी थाली में जूठा छोड़कर हाथ धो लेते हैं | इस दृश्य को आप भी गौर से देखिये - यह स्टेशन के किसी प्लेटफ़ॉर्म की सच्चाई है |
मेरे हिसाब से इसमे दो हीं बाते हो सकती है - या तो रोटी को चबा सकने में यह व्यक्ति अक्षम हैं या फिर भूख जो न कराये , तो ! ऐसे में वह रोटी की गन्दगी धोते हुए पाए गए |
यह दृश्य सिर्फ एक विडियो नहीं हर इंसान के लिए सबक और सीख भी है और रोटी के टुकड़ो का महत्व |
कहने को तो हम चाँद पर पहुँच चुके हैं मगर धरती की यही सच्चाई है जो आये दिन आँखों के सामने तैरती है | अपने हीं भारत में किसी किसी को रोटी नसीब नहीं होता , हम आसमान में उड़ान की बाते किससे करें ? ........... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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