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NCB के ज्वाइनड डायरेक्टर के० पी० एस० मल्होत्रा को देश सैलूट मारता है , इस बात से कि क़तर में 10 साल की सजा पा रहे मुंबई के एक दम्पति जिनका नाम शरीक ओनिबा है उन्हें डायरेक्टर मल्होत्रा ने वहां से रिहा करवाया और मसीहा बन गए | इन्हें कहा जाता है देश का रियल हीरो |
सूचना के आधार पर गुरुवार को उन्होंने मीडिया से कहा कि :- शरीक और ओनिबा का केस उनकी जिंदगी के सबसे यादगार केसों में से एक है | क़तर के जेल में हीं जन्मी उनकी बेटी की आगे कि जिंदगी में उम्मीद का दीया जलाने की कोशिश की है | मिस्टर मल्होत्रा ने कहा कि :- भारत का यह शायद पहला केस है जिसमे विदेश में कोई आरोपी कनविक्ट हुआ और भारतीय जाँच एजेंसी की मदद से वे रिहा हुए हैं |
ऐसा कहा जाता है कि , जिनके बदन पर भारतीय वर्दी की खुशबू लिपटी हो और वह अधिकारी इस बात को गर महसूस करे तो अपना भारत ऐसे हीं महान बनता है | पुलिस अधिकारीयों का दिल भी कुछ अजीब सा अपनों के दुःख से धड़कता है , क्यूंकि भारत के लोग उनपर निर्भर करते हैं और यहीं हालत के० पी० एस० मल्होत्रा के दिल की है जो एक निर्दोष को दोषी ठहराने पर धड़क उठा था |
वैसे मल्होत्रा को मात्र 12 वर्ष हुए हैं वर्दी पहने हुए | NCB में आने से पहले वह दिल्ली पुलिस में थे |
किसी भी जाँच एजेंसी का पहला कर्तव्य होता है कि वे आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचायें और तब उन्हें अपनी वर्दी की खुशबू महसूस होती है | 6 जुलाई 2019 को हम्माद इंटरनेशनल एअरपोर्ट दोहा , क़तर में ड्रग्स इन्फोर्समेंट एजेंसी ने दो यात्रियों को रोका और उनके बैग की तलाशी ली , जिसमे एक बैग से चार किलो चरस बरामद किया गया | साक्ष्य व सबूत के आधार पर उन्हें जुर्माना सहित 10 वर्ष की सजा सुनाई गई | वे यात्री कोई और नहीं शरीक और ओनिबा हीं थे |
मिस्टर मल्होत्रा की कड़ी मेहनत ने दो वर्ष की सजा काटने से पूर्व हीं बीते बुधवार को ये दोनों दम्पति को रिहा करवा लिया | बीते बुधवार को ये दोनों दम्पति क़तर से मुंबई पहुँच गए हैं , जिसके लिए दोनों दम्पति , उनके परिवार व पुरा देश उनके आभारी हैं |
कहा जाता है कि जितनी चादर हो उतना हीं पैर पसारना ठीक है मगर ! इस बात को भी नहीं भुलना चाहिए की ऊपर वाले के इजाजत के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता | इन दोनों का निकाह 2019 में हुआ और शरीक के आंटी तब्बसुम कुरैशी और उनके साथी निजाम कारा ने उन्हें हनीमून के नाम पर धोखा दिया | तब्बसुम ने उनसे कहा कि तुम दोनों हनीमून पर जाओ हम तुम्हारा टूर स्पोंसर करते हैं | शरीक और ओनिबा की ख़ुशी का ठिकाना न रहा , सोंचने लगे हम दोनों विदेश घुमने जायेंगे और इसी ख़ुशी ने उन्हें गर्दिश में गिरा दिया | मौका पाकर उनके तब्बसुम आंटी ने उनके बैग में चरस रख दी | उन्हें तो पता भी नहीं चला आने वाले कल में हमें एक भयावह दौड़ से गुजरना पड़ेगा |
जब वे दोनों जुर्म में पकड़े गए और उनपर मुकदमा चला , पश्चात् जुर्म सहित 10 वर्ष की सजा सुना दी गई |
अपने निर्दोष बच्चों को बचाने के लिए ओनिबा के पिता शकील अहमद ने प्रधानमंत्री ऑफिस और NCB से संपर्क किया | NCB चीफ राकेश अस्थाना के जरिये यह केस के० पी० एस० मल्होत्रा तक आया | शकील अहमद ने हनीमून की सारी जानकारी मिस्टर मल्होत्रा को दे दी | जानकारी के बाद उनके पिता से शरीक , ओनिबा और तब्बसुम का मोबाइल नंबर मिला | जाँच एजेंसी ने इन नंबर का प्रताल किया और तब्बसुम का ऑडियो सुना |
दरसल तब्बसुम ने पान के जर्दे के नाम पर शरीक के बैग में यह चरस रख दी थी , जिसकी जानकारी शरीक को नहीं हुई | मल्होत्रा ने NCB टीम के साथ चंडीगढ़ में ट्रैप लगाया और 26 जनवरी 2020 को 4 लोगों की गिरफ़्तारी हुई | उनके पास से 1 किलो 474 ग्राम चरस बरामद हुआ और ऐसे में मल्होत्रा ने अपनी गति बढ़ानी शुरू कर दी |
अपने अंदाज से हर जगह जीत का झंडा गाड़कर वहां की सरकार और कोर्ट में इस दम्पति की बेगुनाही के एविडेंस रख दियें | 29 मार्च को वहां की आदालत ने भारत के पक्ष को मजबूत मानते हुए डेढ़ वर्ष की बच्ची के साथ शरीक और ओनिबा को भारत जाने की इजाजत दे दी | 14 अप्रैल की देर रात ये सभी मुंबई एअरपोर्ट पर पहुँच गए और इनके आँखों से ख़ुशी के आंसू छलकने लगे |
शरीक और ओनिबा ने कहा कि :- NCB , भारत सरकार व मीडिया हमारी मदद नहीं करते तो हम लोग इस केस से कभी बाहर नहीं आ पाते | इन दोनों ने NCB अधिकारी मिस्टर मल्होत्रा को अपना मसीहा माना है |
वैसे भी भगवान अपने स्वाभाविक रूप में नहीं आते लेकिन ! निर्दोष के पुकारने पर उनके पास ठीक वैसे हीं पहुँच जाते है जैसे महाभारत में द्रोपदी का श्री कृष्ण को पुकारना | अब ! सवाल है कि किस पर और कैसे विश्वास किया जाये और नहीं किया जाये | थोड़ी सी समझ से अगर ये दम्पति काम लेते तो जर्दा की जगह चरस का चुनाव कर पाते , जो नहीं कर सकें | खैर होनी का क्या कहिये ! ...... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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