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चेतन दत्ता भारत के लिए एक मशहूर नाम बन चूका है , जब से नोएडा का "ट्विन टावर" ध्वस्त करने की बाते सामने आई | इस ईमारत को ध्वस्त करने की जिम्मेदारी चेतन दत्ता को सौंपा गया था |
बीते रविवार को यह बिल्डिंग 9 सकेंड में ध्वस्त होकर अपना अस्तित्व खो बैठा | भारत की एतिहासिक घटनाओं में दर्ज हुए अवैध निर्माण "सुपरटेक ट्विन टावर" के साथ एडिफिस इंजीनियरिंग अधिकारी चेतन दत्ता का नाम जुड़ गया | कुतुबमीनार से भी ऊँची टावर जिसे ध्वस्त करने में 100% सफलता हासिल कर ये व इनकी टीम भावविहल होकर एक दूसरे के गले लगते हुए रो पड़े थे | मगर ये आंसू ख़ुशी के थे और भावना जीत की थी |
इस बिल्डिंग को ध्वस्त करने में 3700 किलोग्राम से भी ज्यादा विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था | मिस्टर दत्ता विन्ध्वस्त के बाद अपनी 4 अन्य अधिकारी के साथ घटना स्थल पर पहुंचे , फिर इनके मन का नजारा देखने लायक था | इस टीम में 10 लोग थे जिसमे 7 विदेशी विशेषज्ञ ने सहयोग दिया और 20 / 25 सदस्य एडिफिस इंजीनियरिंग से थे |
चेतावनी भरा सायरन बजने के बाद इनकी टीम ख़ामोशी का घुट पी लिया था | नज़रे ईमारत की तरफ ठहर गई और मन ईश्वर से प्रार्थना में जुड़ गया कि वगैर नुकसान इस योजना में सफलता मिल जाए और यहीं हुआ | इनकी मेहनत , लोगो की दुआएं और भगवान का आशीर्वाद से सबकुछ योजना अनुसार सफल हुआ और जीत की तालियाँ से चेतन दत्ता व इनकी टीम मालामाल हुए |
चेतन दत्ता ने ब्लास्ट रिमोट का बटन दबाकर नीचे आनेवाली ट्विन टावर पर अपनी नजरे डाली और 9 सकेंड में हीं वह टावर घना कोहरा धुएं के बीच छटते हुए जमीन में समा गया | जैसे लगा हो कि आसमान में काले रंग के बादलो ने अंगराई लेते हुए बादल के बरसने का सन्देश दे रहा हो और नीला आसमान पूरी तरह बादलो की रंग में विलुप्त हो चूका है और यह आलम भी ठीक वैसे हीं था | 9 सकेंड के बाद चारो तरफ धुआं धुआं था | लोग दूर से अपनी छत से इस नजारे को देख रखे थे वहीं कुछ लोग विडियो भी बना रहे थे |
जब भी ट्विन टावर की बात सामने आएगी तो लोग आँखों देखा हाल सुनायेंगे | चेतन दत्ता मिनट भर भी वहां थमे नहीं और एमराल कोर्ट और एटीएस विलेज के पास हाउसिंग सोसाइटी की जांच के लिए आगे बढ़े | पास की ऊँची इमारतों को कोई नुकसान नहीं हुआ , बस एटीएस विलेज परिसर की एक दीवार में थोड़ी दरार आई है बाकी सबकुछ सुरक्षित है |
चेतन दत्ता ब्लास्ट के समय ट्विन टावर से 70 मीटर की दूरी पर खड़े थे | इन्होने मीडिया को बताया - जब कोर्ट ने एक साल पूर्व इसे ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था तो मैंने सोंचा कि इसे ध्वस्त करने का अधिकार मुझे मिल जाए और मेरा यह सपना पूरा हुआ | दत्ता को इसे ध्वस्त करने के अधिकार मिल गया और भारत के इतिहास में इनका पहला नाम होगा जिनके द्वारा कुतुबमीनार से भी ऊँची ईमारत को सफलता पूर्वक ध्वस्त करने का इतिहास लिखा जायेगा |
जिंदगी में कुछ ऐसा अजूबा हो जाता जहाँ कुछ लोग इतिहास बनते है कुछ लोग इतिहास लिखते हैं | दोनों अपने आप में मशहूर होने की निशानी है | जिंदगी में कुछ भी करे अच्छा करे और नियम के अनुसार करे तो कठिनाई नहीं | टावर तो टूट गया मगर भारत को कितनी क्षति हुई यह भी एक गंभीर विषय है | बिल्डिंग बनाने व तोड़ने में सैकड़ो करोड़ की राशि लगी , इस राशि से भारत के बहुत सारे नागरिको का जीवन सफलता की तरफ बढ़ जाता और हमारे बच्चो की जिंदगी से बेरोजगारी का नामोनिशान मिटया जा सकता था | मगर बिल्डर की एक छोटी सी भूल ने .............. ! ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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