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मशहूर व्यवसायी व बिहार का बेटा सहारा प्रमुख "सुब्रत रॉय" का मंगलवार 14 नवम्बर को मुंबई में निधन हो गया , वे 75 साल के थे |
दीपावली की शाम उनकी तबियत बिगड़ी जिसके बाद उन्हें मुंबई के "कोकिलाबेन धीरुभाई अम्बानी अस्पताल" में भर्ती कराया गया | कंपनी ने बयान जारी कर कहा कि उनकी मौत दिल की बिमारी के कारण हुई | 14 नवम्बर की रात साढ़े 10 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली |
सुब्रत रॉय का पार्थिव शरीर कल मुंबई से लखनऊ सहारा सिटी उनके आवास पर लाया जाएगा |
इनका जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया जिले में हुआ था | इनकी आरंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई उसके बाद गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की | 36 साल की उम्र में हीं इन्होने दुनियाभर में अपना कारोबार फैला लिया था | 1978 में 2000 रुपये लेकर चले थे और सहारा परिवार की स्थापना कर बूंद - बूंद तालाब भरने का हुनर लोगो को सिखला दिया |
जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि वे पढ़ाई में तो बहुत हीं सामान्य थे , वहीं बिजनेस को उंचाई पर पहुंचाने के तरकीब से भरपूर थे | सुब्रत रॉय जी को कई सम्मान मिले |
2013 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट लंदन ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया इससे पूर्व 2011 में वे लंदन में हीं "द बिजनेस आइकॉन ऑफ़ द ईयर" से सम्मानित हुए |
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा ने "डिलीट" की मानद उपाधि से सम्मानित किया |
2012 में इंडिया टुडे ने भारत के 10 सबसे शक्तिशाली लोगो में इनका नाम अंकित किया था |
टाइम पत्रिका ने भी सहारा समूह को भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने का केंद्र करार दिया |
सुब्रत रॉय बंगाली परिवार से ताल्लुक रखते थे | कल 15 नवम्बर को उनका अंतिम संस्कार उनके आवास लखनऊ में किया जाना है |
गोमती नगर में उनका बसाया गया सहारा सिटी आज भी उन्नत हाउसिंग सोसाइटी में से एक माना जाता है जो यादगार है |
खाली हाथ आये थे , खाली हीं चले गए | इस बीच ऐसा इतिहास रचा जिससे देश हीं नहीं दुनिया तक में अपने नाम का झंडा गाड़ दिया | पैसे की अहमियत और कीमत दोनों का दर्शन इन्होने कराया | ये अलग बात है कि बदनामी का पलड़ा भी भारी पड़ा | व्यक्तित्व में थोड़ा दाग तो लगा जिसे हम समय का तकाजा कहेंगे मगर ये इंसान बहुत हीं सरल व सुलझे विचारधारा के थे | कई घरों में इनकी मेहनत से चूल्हे जले इसलिए ऐसे व्यक्तित्व के धनी लोगो को हम आईक्यू से मालामाल व्यक्ति कहे तो शायद कोई अतिशयोक्ति न होगा |
उस वक्त की बात अगर बताई जाए तो यह आँखों देखा हाल है जिनकी हालत साइकिल लेने तक की नहीं थी , सुब्रत रॉय व सहारा परिवार के सदस्य बनने के बाद वे लोग बाइक हीं नहीं फोर व्हीलर से सफ़र करने से भी कहीं आगे बढ़ गए | सदस्यों के चेहरे की चमक और कपड़े देखकर लगता कि वाकई इनकी दुनिया बदल गई क्यूंकि एजेंट को ये भरपूर कमीशन दिया करते थे | अच्छे लोगो की छवि पर न चाहते हुए भी कभी - कभी दाग लग जाया करता है इसलिए कहा गया है - चाँद पर भी दाग है | खैर ........... जानेवाले तो चले गए , इनसे प्यार करनेवाले की आज भी कमी नहीं है और न हीं इनकी ........ !
इनके चाहनेवाले व कई नेतागण इन्हें भावभीनी श्रधांजलि दे रहे हैं | समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इनके निधन पर दुःख प्रगट करते हुए कहा - उत्तरप्रदेश और देश के लिए भावनात्मक क्षति है | इन्होने अनगिनत लोगो की सहायता कर सहारा बने |
शिवपाल यादव ने भी गहरा दुःख प्रगट किया और ईश्वर से आत्मा की शांति चाहि |
भव्याश्री परिवार की तरफ से इन्हें भावभीनी श्रधांजलि , ईश्वर इनकी आत्मा को शांति प्रदान करे | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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