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लिखने वाले ने खूब लिखा है - जिंदगी कैसी है पहेली हाय ! कभी ये हंसाये कभी ये रुलाये |
इक्तफाक है कि जिंदगी अमीरी - गरीबी , जाति - मजहब से कहीं ऊपर उठकर समय का तकाजा अनुसार हर इंसान पर कभी न कभी अपना प्रभाव छोड़ती है | दुःख और सुख जिंदगी का एक अहम मुद्दा है , जिसका सामना इंसान को करना हीं पड़ जाता है |
ऐसे हीं पश्चिम बंगाल की एक महिला है , जिनका नाम इरा वासु है | ये एक सेवानिवृत शिक्षिका है और वह भी सरकारी स्कूल की | मगर अफ़सोस कि आज उनके सर पर छत जैसा अहम और जरुरत की चीजे मैसर नहीं | जिंदगी में रोटी , कपड़ा और मकान , ये तीन चीज की बहुत हीं अहमियत रखती है और उसके बाद आता है शिक्षा | शिक्षा के बदौलत हीं इरा वासु एक शिक्षिका बन , न जाने कितने बच्चों को उस मुकाम पर पहुंचा चुकी है , जिसमे आज उनके हीं बच्चे बड़े - बड़े ओहदे पर पहुँच चुके होंगे |
इरा वासु एक ऐसा नाम है , जिसके नाम से अधिकांशतः लोग परिचित है | ये दो बार मुख्यमंत्री रहे पश्चिम बंगाल के नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य की पत्नी मीरा भट्टाचार्य की बहन है | बुद्धदेव भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहे है | इरा वासु को भी इनके समारोह में कई बार देखा गया है | पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की साली इरा वासु के पेंशन में इतना विलम्ब हो रहा , तो यह सोंच का विषय है कि ! आम आदमी का क्या हाल होता है ?
सूचना के आधार पर इरा वासु ने बताया है कि - उन्हें VIP के साथ नहीं बैठना है | उन्हें यहाँ कोई फायदा नहीं हुआ | इन दोनों के पारिवारिक रिश्ते के विषय में अधिकांशतः लोगों को मालूम भी है , परन्तु इरा वासु ने कहा है कि - मुझे इससे परेशानी होती है |
इरा वासु की बातें सुनकर ऐसा लगता है कि इन्हें VIP लोगों से मिलना अब भले पसंद न हो , परन्तु एक जमाने में तो यह टीचर रही और तभी यह अपनी बहन के यहाँ समारोह में दिखी | ऐसा अक्सर देखा गया है - पुरे भारत की बात हम कर ले , तो बहुत सारे ऐसे मंत्री / मुख्यमंत्री हुए हैं , जिनके परिवार की हालत जस का तस रहा है , ऐसा कहा जा सकता है | इरा ने कहा - मुझे यहाँ से कोई फायदा नहीं मिला , तो यह कहना शायद गलत न होगा कि - मुख्यमंत्री की एक अहम कुर्सी , जिसपर इनकी बहन के पति बैठे थे , वह एक परिवार के लिए नहीं था | वह एक राज्य के विकास के लिए था | तो इस कुर्सी की गरिमा से इरा वासु को कोई फायदा मिला हो या न मिला हो , यह बात वायरल होना भी जरुरी नहीं था | इससे जुड़ा एक अहम बात यह भी है कि - आज भारत के प्रधानमंत्री भी देश की तरफ ध्यान दे रहे है , न की परिवार की तरफ |
72 साल की इरा वासु डनलप मोड़ के पास स्थित ATM के पास हीं एक कोने में रहती है | इन्होने अपने महत्पूर्ण जीवन के 34 साल बच्चों को निखारने - संवारने , बनाने में योगदान दिया | साथ हीं 100 मीटर की दौड़ का खिताब भी जीता है | इनके शौक में टेबल टेनिस और क्रिकेट भी शामिल है , जो उन्होंने खेला है |
28 जून 2009 को इरा वासु सेवानिवृत हुई , उस वक्त उनकी बहन एक मुख्यमंत्री की पत्नी थी | उसके बाद वे बरानगर में रहती थी | कुछ साल के बाद ये डनलप में नजर आयी हैं | यहाँ के लोगों का कहना है कि - 2 साल से इन्हें यहाँ देखा जा रहा है और ये यहीं पर अपना गुजर - बसर कर रही है | अंदाजानुसार लोगों का कहना है कि - इनकी मानसिक हालत अभी ठीक नहीं है , बावजूद वे फूटपाथ पर रहने के बाद भी , कभी किसी से भीख नहीं मांगी | उनकी हालात और स्थिति देखकर बहुत सारे लोगों ने उनकी मदद करनी चाहिए , परन्तु उन्होंने किसी से भी भीख नहीं ली | बल्कि अपने पैसे से हीं दुकानदार या अन्य लोगों को खाना भी खिलाती है |
हर दिन होटल से खाना खरीदकर ले जाती है | न उधार लेती है और न फ़ोकट लेना पसंद करती है | ये अपने बैंक अकाउंट के ATM से जरुरत के आधार पर पैसे निकालती है और खर्च करती है | लोगों ने इन्हें मानसिक विक्षिप्त करार दिया , परन्तु कहा गया है - चिंता , चिता से बढ़कर होता है | अगर वो मानसिक रूप से विक्षिप्त होती , तो ATM से नाप - तौल कर पैसे निकालना संभव नहीं था इनके लिए | परन्तु धीरे - धीरे हालात इतने गंभीर बन गए होंगे , जिससे की उनके व्यक्तित्व में कमी आती चली गई और स्थिति यहाँ तक पहुँच गई कि अब लोग उन्हें मानसिक विक्षिप्त करार दे दिया |
इरा वासु साइंस की शिक्षिका रही है और ये पश्चिम बंगाल उत्तर 24 परगना जिले के डनलप इलाके के प्रियनाथ गर्ल्स हाई स्कूल में शिक्षिका रही है | सेवानिवृत के बाद इनकी जमा राशि इन्हें दी गई , परन्तु पेंशन की शुरुआत अभी तक नहीं हो सका है | कारण बताया जा रहा है कि - इरा वासु ने जरुरी कागजात जमा नहीं किये है | आज भी वे अपनी पेंशन सुविधा पाने के लिए बेकरार व परेशान है | इन्हें फरार्टदार इंग्लिश बोलते देख लोग आश्चर्य में पड़ जाते है | इन्होने बायोलौजी में PHD किया है |
सोशल मीडिया पर इनकी खबर वायरल हुई | किसी ने पहचाना और एक - दूसरे से होकर यह बात आगे बढ़ती चली गई | इनकी खबर जैसे हीं वायरल हुई , तो प्रशासन ने इन्हें बेहतर इलाज के लिए कोलकाता के अस्पताल में एडमिड कराया | आज हम मजबूर हुए इस बात से और लिख रहे हैं कि - सोशल मीडिया को अब हम धरती के भगवान कह दे , तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा ! सोशल मीडिया के बदौलत आज बहुत सारे लोगों को एक राह , एक प्लेटफ़ॉर्म मिल गया | जिससे गुमनाम हुए लोग प्रकाश में अपनी जिंदगी सेकने लग गए हैं |
बंगाल की हीं एक भिखारन की तरह दिखने वाली महिला को किसी ने सोशल मीडिया पर डाल दिया था | जिसमे वह मधुर आवाज में गाना गाती हुई दिखी | इनका विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ | आज यह नाम किसी परिचय की मुहताज नहीं , इनका नाम है रानू मंडल | अगर सोशल मीडिया का सहारा न होता , तो रानू मंडल गुम होकर कहीं विलुप्त होकर रह जाती | खैर ...... हम बात कर रहे हैं इरा वासु कि -
इरा वासु देखने में वाकई एक भिखारन की तरह हीं लग रही हैं | मगर चेहरे से क्या ? हुनर इनका सर चढ़कर बोलता है | अब तो ये इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा दी गई है , परन्तु गरीबी हालत में जिंदगी गुजारना मानसिक हालत खराब होने का सबूत कदापि नहीं हो सकता है | पैसे की कमी , अच्छे - अच्छे की खबर ले लेती है |
इस धरती पर इंसान के जीवन का यहीं है रंग - रूप , संगीत | जिसमे थोड़े गम हैं और थोड़ी खुशियों के बीच जिंदगी रुक - रुक कर चलती है और कभी सड़कों पर दौड़ती हुई नजर आती है , तो कभी आसमान में भी अपनी उड़ाने भरती है | इसे हीं कहते है - समय के हारे हार है और समय के जीते जीत | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपूर )
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