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तुर्की की एक महिला पत्रकार जिनका नाम सैदफ़ कबास है ने राष्ट्रपति रिसेप तैयप एद्रोयान पर तंज कस दिया जिससे उनकी गिरफ्तारी हुई |
सैदफ़ कबास एक मशहूर पत्रकार है |जिन्होंने एक टीवी चैनल पर विपक्षी नेताओं और राष्ट्रपति महोदय पर अपनी कड़ी टिप्पणी देते हुए तंज कस दिया |जबकि शो के दौरान एक बार भी उन्होंने राष्ट्रपति का नाम नहीं लिया था | मगर इनके द्वारा किया गया तंज या टिप्पणी , देखा जाए तो इन्हें भारी पड़ गया |
इन्होने कहा था - राजा को तो अक्लमंद और समझदार होना चाहिए | मगर हमारे देश में तो ऐसा नजर नहीं आता | यह बात सब ने महसूस किया कि उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति महोदय के विषय में कहा है | वहां के राष्ट्रपति के कार्यकाल का 20 साल पुरे होने पर यह बाते कही गई थी | बात इतनी होती तो कोई उछाल न लेता | मगर उन्होंने आगे कहा - जब एक जानवर किसी राजमहल यानि पैलेस पहुंचता है , तो खुद को राजा महसूस करने लग जाता है | वो तो राजा नहीं बन पाता , अलबत्ता पैलेस जरुर जानवरों का बाड़ा या तबेला बन जाता है |
यह घटना शुक्रवार की है | शो समाप्त हुआ और पत्रकार कबास अपने होटल चली गई | कुछ हीं देर के बाद उनके होटल के कमरे में पुलिस ने दस्तक दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया |
पुलिस के वकील ने कहा कि - उन्होंने भद्दा कमेन्ट किया | जांच जारी है और अभी वो हमारी गिरफ्त में रहेंगी |
अपने द्वारा किये गए कमेंट्स को लेकर कबास को सारी रात पुलिस स्टेशन में रहना पड़ा | शनिवार को उनकी कोर्ट में पेशी हुई | कोर्ट के आदेश पर कानूनन उन्हें गिरफ्तार किया गया और पुलिस को पूछताछ के लिए रिमांड भी दे दी गई है |
पत्रकार संगठन "रिपोर्ट्स विदाउट" ने उनकी गिरफ्तारी के बाद रविवार को कहा - तुर्की सरकार पत्रकारों और विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है | 2014 से लेकर अबतक यहाँ 200 पत्रकार गिरफ्तार हुए , जिन्हें जेल में डाला गया | वहीं 70 पत्रकारों पर दूसरी तरह के आरोप लगाये गए है |
सोशल मीडिया पर तुर्की के जस्टिस मिनिस्टर अब्दुलहामिद गुल ने पत्रकार कबास का नाम लिए बिना कहा कि - यह बेहद घिनौनी हड़कत थी | हमारे राष्ट्रपति को निशाना बनाया गया | ध्यान रहे कि - देश के लोगो ने उन्हें चुना है | उनके खिलाफ अगर इस तरह के कमेंट्स हुए , नफ़रत फैलाई गई , तो हम इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे |
वहीं देश के चीफ कम्युनिकेशन ऑफिसर फेहरातीन अल्तून ने कहा - राजनीति , विपक्ष और पत्रकारिता इन सभी के सिद्धांत होते है | अगर कोई इनका सम्मान नहीं करेगा , तो हम भी जरुरी करवाई करने के लिए स्वतंत्र है | आप एक राष्ट्रपति का पुरे देश के सामने वह भी टीवी शो में अपमान नहीं कर सकते |
प्रतिक्रिया तो खूब आ रही है - कुछ लिखित , कुछ मौखिक और कुछ में अपने आप का चर्चा बना हुआ है | अब सवाल है कि - एक पत्रकार को भी देश के राष्ट्रपति पर इस प्रकार की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी | राष्ट्रपति कुर्सी की भी अपनी एक गरिमा होती है , उनके ओहदे को छोटा करना और अपशब्द का इस्तेमाल एक पढ़े - लिखे को शोभा नहीं देता | एक पत्रकार के लिए यह स्वतंत्रता बनी है कि - वह देश के पक्ष / विपक्ष या किसी भी मुद्दे पर बोले /लड़े और अधिकार दिलवाकर हीं अपनी जुबान और कलम को बंद करे |मगर देश की सत्ताधारी पर इस तरह का अपशब्द बोल उन्हें निशाना नहीं बनाना चाहिए | भले हीं उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया , मगर सभी ने इस बात को महसूस किया |
पत्रकार को देश का चौथा स्तम्भ कहा गया है ,
लेकिन मर्यादा जरुरी है सबके लिए | हर किसी पर इस तरह के शब्दों का
इस्तेमाल करना एक अपमान से कम नहीं | राष्ट्रपति के पद की गरिमा किसी से
छुपी नहीं | अब समझा जा सकता है कि - गलती कहाँ और कैसे हुई ! ...... (
न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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