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करोड़ो की संपत्ति पिता के पास जिसे ठुकराकर उनकी 9 वर्षीय लड़की देवांशी ने संन्यास लिया | बीते बुधवार को 35 हजार लोगो की मौजूदगी में उन्होंने समारोह के दौरान दीक्षा ग्रहण कर सन्यासिनी बनी |
पिता 300 करोड़ से ज्यादा के मालिक हैं | इनकी माँ का नाम अभी बेन और पिता धनेश भाई जो एक हीरा व्यापरी है | इनके दादा का नाम संघवी मोहन भाई है |
14 जनवरी से हीं देवांशी का दीक्षा महोत्सव आरम्भ हुआ था | यह महोत्सव सूरत के वेसु में किया गया जहाँ 18 जनवरी की सुबह 6 बजे से उनकी दीक्षा शुरू हुई |
जिस उम्र में बच्चे खेलते - कूदते , मस्ती करते हैं | बहुत सारे खिलौने के बीच अपनी दिनचर्या को व्यतीत करते है वहीं टेलीविजन पर भी बच्चो की अभिरुचि देखने को मिलती है ऐसे में देवांशी ने कभी टीवी देखा ही नहीं | ये अपने पिता की बड़ी बेटी है |
धनेश सांघवी एंड संस कंपनी के फाउंडर महेश सांघवी के इकलौते बेटे हैं | इनकी हीरा कंपनी की शाखाएं भारत से अलग कई देशों में भी मौजूद है जिसे त्यागकर देवांशी संन्यास को अपना लिया |
देवांशी को जैनाचार्य कृतियशसूरीश्रव महाराज ने दीक्षा दिया है |
इस परिवार के स्वर्ग सिधार चुके सदस्य स्वर्गीय ताराचन्द्र जी का भी धर्म व समाजसेवा में गहरी अभिरुचि देखी गई और यहीं कारण था कि उन्होंने श्री सम्मेद शिखर का भव्य संघ निकाला और आबू की पहाडियों के नीचे संघवी मेरुतारक तीर्थ का निर्माण कर पवित्र स्थल जागृत किया |
इस 9 वर्ष की नन्ही बिटिया देवांशी के सन्यास लेने पर सभी लोग चौकन्ने है और यह शायद आश्चर्य का विषय भी ! मगर कुछ लोग ऐसे होते हैं जहाँ शांति उन्हें इसी दौर में प्राप्त होती है और इससे वे संतुष्ट होते हैं | आज की तारीख में देवांशी माया - मोह की जाल से उन्मुक्त किसी और डगर पर कदम बढ़ा चुकी है | आखिर ये विचार उनके मन में कैसे घर कर गया ? ये तो उनके परिवार , समाज व भगवान हीं जाने मगर जानकारी के आधार पर जब वे 4 महीने की थी तभी से सन्यास की तरफ इनका दौर शुरू हुआ |
इस उम्र में उन्होंने रात्री का भोजन त्याग कर दिया था | 8 माह में रोजाना त्रिकाल पूजन का आरम्भ किया , 1 साल में नवकार मंत्र का जाप , 2 वर्ष 1 महिना से गुरुओं से धार्मिक शिक्षा और 4 साल 3 माह की उम्र से गुरुजन के साथ रहना आरम्भ कर दिया था | जब देवांशी 25 दिन की थी तो नवकारसी का पच्खान लेना शुरू कर दिया था |
9 साल की उम्र में संन्यास की राह पर चल देने की जिम्मेदारी उठाते हुए दुनिया की तमाम सुख सुविधाओं को जीवन से त्याग दिया | सादा जीवन , उच्च विचार शायद यही जिंदगी का उचित मापदंड है जिससे लोग कोसो दूर हैं | इसी उम्र में 357 दीक्षा दर्शन और 500 किलोमीटर पैदल यात्रा कर दुनिया को अपना सामर्थ्य दिखला दिया |
सभी की किस्मत में ये सुख नहीं और सभी का ऐसा नसीब कहाँ जो इस फल को प्राप्त करे | 5 भाषाओं की जानकार , संगीत में पारंगत , भरतनाट्यम , दिमाग की तेज देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय महाग्रंथ कंठस्थ है |
राजकुमारी की तरह जीनेवाली देवांशी अब बाल मुड़वाकर सादा कपड़े पहन लिए | इस समारोह में 4 हाथी , 11 ऊंट और 20 घोड़े शामिल किये गए थे |
जानकारी के आधार पर - ICRA के मुताबिक इनकी कंपनी का इनकम 2001 में 300.1 करोड़ और साल 2021 में 304.4 करोड़ रहा |
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