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कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से मुस्लिम छात्राओं के बीच हड़कंप | हाई कोर्ट का फैसला नहीं मानने की जिद्द ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचा दिया |
मंगलवार को कर्नाटक के उच्य न्यायालय के 3 जजों के बेंच ने याचिकाकर्ता की तरफ से दी गई दलील पर विस्तार पूर्वक गौर करते हुए उनके दलील को ख़ारिज करते हुए अपने फैसले का मोहर लगा दिया | कोर्ट ने कहा कि - मुस्लिम छात्राओं को स्कूल / कॉलेज यूनिफ़ॉर्म कोड को फ़ॉलो करना होगा | इसके साथ हीं कोर्ट ने कहा कि -इस्लाम में हिजाब पहनना जरुरी नहीं बताया गया है |
अपने पक्ष में कोर्ट का फैसल न पाते हुए असंतुष्ट होती हुई याचिकाकर्ताओं ने अपना रुख सुप्रीमकोर्ट की तरफ मोड़ लिया | अपनी बातो को अब सुप्रीमकोर्ट में रखने के लिए 6 मुस्लिम लड़कियों ने वहां न्याय की अर्जी लगा दी है |
हाई कोर्ट का फैसला मंगलवार को आया जिसमे स्कूल के यूनिफ़ॉर्म को मान्यता दी गई | ज्यादा विस्तार न करते हुए संक्षिप्त में हम आपको बता दे कि - किसी भी स्कूल / कॉलेज में यूनिफ़ॉर्म होने का मतलब है एक सामान होना | गरीबी अमीरी और मजहब से कहीं ऊपर शिक्षा जगत को शिखर पर रखते हुए निर्णय लिया गया है जो बच्चो में निष्पक्ष होने और एक दूसरे से प्रेम व लगाव होने का प्रतिक भी है | अगर स्कूल में एक जैसा यूनिफ़ॉर्म न हो तो कोई महंगा लिवास पहनकर आना आरम्भ कर देगा तो कोई बिलकुल साधारण | ऐसे में बच्चो की मानसिकता पर बुरा असर पड़ेगा | इसी स्थिति को ध्यान मे रखते हुए निर्णय लिया गया है |
हाई कोर्ट के फैसले से नाराज मुस्लिम छात्राओं ने बोल दिया कि हम स्कूल / कॉलेज हीं आना छोड़ देंगे , मगर हम हिजाब पहनना नहीं छोड़ेंगे |
हमारी टीम ने कई लोगो से इस निर्णय पर सवाल कर दिया | उनका जवाब बहुत हीं सरल था | लोगो ने कहा - बेटियों की सोंच ऐसी नहीं हो सकती जो खासकर अभी छात्राएं हैं | उनके पीछे उनके परिवार और गलत रूप से राजनीति करने वाले का हाथ है जिसे इस मुद्दे को बढ़ा चढ़ाकर बेटियों को अभी से उकसाने और उनके जीवन को गलत राजनीति करने पर मजबूर कर रही है |
कोई भी न्यायालय हो , हम नागरिक का फर्ज होता है उनके दिए गए फैसले को मान लेना | न्याय की कुर्सी पर बैठे जज मजहब नहीं देखते , वह निष्पक्ष न्याय देते हैं | इसलिए बच्चो के युनिफोर्म में हिजाब को अलग रखते हुए किसी भी मजहब को एकता से जोड़ने की बात न्यायालय ने कही |
कुछ मुस्लिम नेता कोर्ट के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं जिसमे ओवैसी जैसे नेता भी शामिल है |
शायर मुन्नवर राणा की पुत्री सुमैया राणा ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सवाल करते हुए मीडिया को बताया है कि - कोर्ट का फैसला थोड़ा अजीब सा लग रहा है कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं | सुमैया ने कहा कि - कोर्ट को एकबार फिर अपने फैसले पर सोंचना चाहिए और नहीं तो दूसरा ऑप्शन है कि अगर कॉलेज में एक यूनिफ़ॉर्म है तो हमें कुछ और भी सोंचना चाहिए |
31 दिसंबर को उडिपी के सरकारी PU कॉलेज में 6 लड़कियां हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंची थी जहाँ उनके प्रवेश पर रोक लगाया गया | इसके बाद उनके माता पिता अधिकारियों के साथ बैठक की | बैठक में कोई परिणाम न आता देख यह विवाद बढ़ता गया और देखते हीं देखते पुरे कर्नाटक में हिजाब विवाद फ़ैल गया | हिजाब के समर्थन और विरोध दोनों के प्रदर्शन होने लगे |
लड़कियों ने भगवा शॉल ओढ़कर हिजाब का जवाब दिया | मामला तुल पकड़ा और राजनीति पार्टियाँ इसमे मुद पड़ी | कांग्रेस के राहुल गाँधी भी हिजाब पहनकर स्कूल आनेवाली मुस्लिम छात्राओं के समर्थन का हिस्सा बने | उन्होंने एक ट्विट में कहा कि - भारत में हिजाब को शिक्षा के रास्ते में लाकर बेटियों का भविष्य छिना जा रहा है |
आज भारत हीं नहीं बल्कि दुनियां के कई देश में हिजाब , नकाब और सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने को लेकर विवाद हुआ | कुछ देश में इस उलंघन को लेकर मोटा जुर्माना भी लगाया जाता है | फ्रांस नकाबो पर प्रतिबन्ध लगाने वाला यूरोप का पहला देश बना , उस वक्त निकोला सारकोजी फ्रांस के राष्ट्रपति थे | इन्होने निष्पक्ष रूप से कहा था कि - पर्दा महिलाओं के साथ अत्याचार के सामान है और फ्रांस में इसकी मंजूरी नहीं दी जायेगी | इस फैसले का विरोध होने के बावजूद भी यह प्रतिबन्ध लगाया गया है |
बच्चे को बच्चे हीं रहने दे , इसे गलत राजनीति का हिस्सा न बनने दे | नहीं तो आने वाले कल में इसका खामियाजा सभीवर्ग को एक सामान झेलना पड़ेगा | बच्चा का कोई मजहब नहीं होता , बच्चा सिर्फ बच्चा होता है | इसलिए कहा गया है - मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना | चार मजहबो पर टिका हमारे खुबसूरत हिन्दुस्तान को कोई क्षति न पहुंचे , इसलिए गलत राजनीति में साथ न देते हुए अपने घर की मजबूती पर ध्यान दे और विवादों से ऊपर उठकर खुबसूरत जहाँ बनाए |........ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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