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बाल दिवस बच्चों का वह दिन जिसे हम हर साल बड़ी धूमधाम से मनाते हैं | किसी शायर ने अपनी गीत में क्या खूब लिखा है - नन्हें मुन्हें बच्चे तेरी मुठ्ठी में क्या है ? गीतकार ने इस सवाल के जवाब में बच्चों की तरफ से लिखा है - मुठ्ठी में है तक़दीर हमारी | यह तो रही रचनाकार की बाते , उनकी सोंच , जज्बात या आगे बढ़ने , कुछ बेहतर करने की ललक , जिससे की हम देश को कुछ कदम आगे की ओर बढ़ा पाए , एक मिशाल बनकर |
भारतवर्ष में हर साल 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाने की परंपरा बनाई गई | यह अवसर हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू , जिन्हें बच्चे चाचा नेहरू कहते है , उनके जन्मदिवस के अवसर पर इस दिन को समर्पित किया गया है | इसलिए की चाचा नेहरू को बच्चों से काफी लगाव था | जिस प्रेम को हम शब्दों में कैद कर अपनी कलम से अंकित नहीं कर सकते | इसलिए कि प्रेम / भावना का विस्तार कदापि नहीं किया जा सकता | प्यार , मुहब्बत , उल्फत , स्नेह , यह सभी इंसानी फिदरत को एक दूसरे से लश्कर बनाकर जोड़ने का काम करती है , जिसे हम जज्बात का नाम दे सकते है | परन्तु ये सभी शब्द अधूरे होते हुए भी पूर्ण है , महत्वपूर्ण है | हम इनके विस्तार को सिर्फ समन्दर , आसमां या फिर ब्रह्माण्ड का नाम दे सकते है , खैर ..... |
हम बात कर रहे है बाल दिवस कि , जो हर वर्ष एक मतलब , कारण में कैद है | हम उनकी शिक्षा , उनकी जिंदगी , देश के प्रति सच्ची निष्ठा / प्यार / त्याग और अपने गुरु के प्रति सम्मान की भावना के लिए उनमे भरपूर नए अंकुर भर सके | बच्चे देश के भविष्य है , आने वाला कल इन्हें सौंपकर हमें सफ़र करना होगा | सिर्फ अपनी कमाई गई प्रतिष्ठा / धन / वैभव नहीं बल्कि इसके साथ हीं अपने भारत की गरिमा व स्वतंत्रता को बरकरार रखने / संभालने की हुनर से बच्चों को परिपूर्ण करना निहायत जरुरी है | ताकि हमारे पूर्वज जिन्होंने आजादी के लिए त्याग किया , अपनी जान की कुर्बानी तक दे डाली और उफ़ भी न किया , उस धरोहर को हासिल करने की खबर , उस जज्बात / पीड़ा / दर्द /क्लेश और जज्बाती सोंच को बच्चे सदैव यादकर अपनी मिट्टी की खुशबू के प्रति आश्वस्त रहे और उन शहीदों के प्रति अपनी भावना को सदैव जिन्दा रखे , यहीं मूल मंत्र है |
बच्चे तो फूल की वो डाली है , जिन्हें जिस तरफ झुकाई जाए , वो उधर हीं झुककर फूलों की बरसात करेगी , जिससे सारा वातावरण सुंगंधित होकर एक अलग नूर फैलाएगा | इसलिए उन्हें इसी उम्र / अवस्था में भरपूर ज्ञान का भण्डार भर देना निहायत जरुरी होगा , तभी आने वाले कल में भी हम कहेंगे - सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |
बाल दिवस 14 नवम्बर को मनाया जाता है , परन्तु पूर्व में यह दिवस 20 नवम्बर को मनाये जाने का चलन था | भारतीय संसद में एक प्रस्ताव लाकर 14 नवम्बर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस पर मनाये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया | तब से बाल दिवस मनाये जाने की तारीख बदल दी गई | बाल दिवस पर बच्चों के लिए कुछ अद्दभुत कार्यक्रम किये जाते हैं , जिसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है | कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है , साथ हीं उन्हें उपहार भी समर्पित किया जाता है |
इन दिनों हर उम्र / कक्षा के बच्चों के लिए स्कूल नहीं खुला है , वे ऑनलाइन हीं पढ़ाई कर रहे है | आज के दिन उनके चहरे पर मायूसी की छाँव न पड़े इसके लिए भव्याश्री टीम बच्चों के बीच जाकर उन्हें प्रेरित किया | साथ हीं एक छोटा सा आयोजन उनकी खुशियों को दोहरी गति से संचालित करने के लिए कदम बढ़ाया , जिसमे ढेर सारे बच्चों ने उत्साह से भाग लिया |
मुंबई महानगर के बच्चें जिनमे कुछ करने की ललक बरकरार है , वो अपनी जिन्दगी में अनमोल पल , कल को किस तरह खर्च करेंगे ? इसपर भव्याश्री ने उनके पास अपनी कुछ सवालों को छोड़ा है | बहुत जल्द अपने सवालों के जवाब व उनसे ली गई साक्षात्कार से हम आपको रूबरू करवाएंगे | फिलहाल बच्चों के उत्साह की एक झलक का दीदार हम तस्वीर के माध्यम से आपको करा रहें है |
ये सभी बच्चें भारत के अलग - अलग प्रांत से है | मगर यहाँ सारे प्रान्त के बच्चों ने मिलकर मुहब्बत से भरा एक भारत बनाया है | मजहब या प्रांत हमें नहीं सिखलाता आपस में बैर रखना |
भव्याश्री , इनके बीच जाकर अपनी उपस्थिति का वो दस्तक दिया , ताकि आनेवाले कल में ये आसमान में इन्द्रधनुषी रंगों की खिलती हुई बहार को बरकरार रख सके | बच्चों को आज का दिन मुबारक |
विशेष तौर पर हम उत्तरप्रदेश की रहने वाली बेटी व बहु , जिन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई की धरती पर पाकर भारत को गौरवान्वित किया है , व अपनी संस्कृति को बरकरार रखते हुए सतरंगी नूर बिखेरा | स्वयं के बच्चे व अन्य प्रदेश के बच्चों में अन्तर न कर उन्हें एक साथ गले लगाकर भारत की एक माँ होने का सबूत पेश किया , उनका नाम है रेखा गुप्ता | रेखा गुप्ता एक सोशल वर्कर है , जो समय - समय पर लोगों को जागरूक करने व अपने सहयोग से उन्हें समंदर बनाने में तत्पर रहती है |
इनकी तत्परता ने हीं बाल दिवस के मौके पर बच्चों के चेहरे पर एक गजब की मुस्कराहट को बरकरार रखा , साथ हीं बच्चों को उपहार भी दिया | हम उनका तहे दिल से स्वागत करते हुए इस कार्य के लिए उन्हें धन्यवाद देते है |
बच्चों में सम्मलित हुए , जिनका दीदार हम आपको कुछ तस्वीर की माध्यम से बारी - बारी करवा रहे है | ये है हमारे देश के आने वाले सुनहरे , रुपहले व इन्द्रधनुषी रंगों से भरे कोमल मासूम बच्चें | जिनकी भावना में अभी तक तनिक सी भी धुल का कण नहीं सम्मलित हुआ | बिलकुल निर्मल जैसे की - गंगा ! जो लोगों के अवगुण / पाप को धोकर भी स्वच्छ / सुन्दर / निर्मल व भरपूर बनी रहती है |
इस तस्वीर में आप देख रहे है - भूमि ठक्कर , दिव्या राज पुरोहित , जयेश गुप्ता , प्राची साह , याती मिरानी | इन बच्चों में उत्साह से भरा वो घड़ा दिखाई पड़ा , जो अपने अन्दर ज्ञान के समुन्द्र को भरना चाहते हैं | चाहते है एक ऐसी उड़ान , जो विश्व को अपने गुण से रौशन कर सके | हमने व रेखा गुप्ता ने शिक्षा की कुछ दीये उनके पास जलाई है , रौशनी के लिए , मगर अभी तो कई दीपक और भी जलाना बाकी है |
इस तस्वीर में दिखाई दे रहे हैं - राशि मिरानी , हेतल मालविया , जिमित जेठवा , प्रिया राजपुरोहित , धृति जेठवा | ये बच्चे अपनी जिंदगी में उस अनमोल फूलों की खुशबू को भरना चाहते हैं जिससे दुनियां में ज्ञान के प्रकाश व महफ़िल सजे | किसी ने कहा है - देखन में छोटन लगे और घाव करे गंभीर , मतलब छोटा पैकेट बड़ा धमाल | इन बच्चों ने अपनी दोनों बाहों को फैलाकर कहा कि हम विश्व को अपनी मुहब्बत की बाहों में भरना चाहते है | इनसे इस उम्र में इतनी कीमती बातों को सुनकर हमारा दिल भर गया और हम सबने उन्हें गले से लगाया | हम उस वक्त आश्वस्त हो गए कि - हमारे पूर्वजों का किया गया त्याग व बलिदान कदापि विफल नहीं जा सकता , जहाँ ऐसे बच्चे अपनी मुठ्ठी में अनमोल विचारों को भरकर सफ़र कर रहे हैं | हम अपने आनेवाले भविष्य को जब इन बच्चों में देखा , तो ख्याल आया कि - लोग क्यूँ बच्चों में खुदा देखते है ?
इस तस्वीर में आप उन बच्चों को देख रहे हैं जिनकी उम्र बहुत हीं छोटी है , मगर उत्साह बड़ों से ज्यादा | ये सभी फर्स्ट और सेकंड स्टैण्डर्ड के बच्चे है | इस तस्वीर में आप देख सकते है - तान्या वैष्णव , त्विषा सेठ , विपुल मालवीय , जियान राज पुरोहित , आदित्य साह , तनिष्का कुशवाहा , रौनक गुप्ता को | इन सबके आँखों में अद्दभुत चमक , चेहरे पर तेज और लवों पर मीठे बोल की ज्ञान का समन्दर स्पर्श करता हुआ दिखाई पड़ा | इनकी आँखें उस भोर की तारा की तरह दिखाई पड़ा , जो रात से लेकर अहले सहर तक अपनी नूर से रौशन करती है जहाँ को | इन बच्चों में डॉक्टर , इंजीनियर , IAS ऑफिसर , साइंटिस्ट व चादं तक पहुँचने की जिज्ञासा मन में कैद है , जिसे वह अवश्य पूरा करेंगे |
कहा गया है - हौंसला बुलंद हो , तो आँधियों में चिराग जलते है | ये सभी बच्चे हमारे भारत की महत्वपूर्ण धरोहर है | जिनके सपनों को / आकाँक्षाओं को पूरा करना हमारा धर्म व कर्तव्य है | आइये इनके लिए हम रंगोली सजाएँ और उस रंगलो में बहुत सारे जलते हुए दीपक से नूर फैलाकर उन रंगों को निहारे , जिस रंगों में हमारे बच्चे के सपने को सच करने की ख्वाब / अभिलाषा व चमक भरे है | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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