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आज हिंदी साहित्य का एक सूर्य अस्त हो गया | कोरोना संक्रमण ने रेगिस्तान की तपती रेत पर जैसे खंजर चला दिया हो |
बड़े हीं दुःख की बात है की आज कवि कुवंर बेचैन की मृत्यु हो गई | वे कोरोना के चपेट से ग्रसित हुए थे | उनकी मृत्यु से साहित्य जगत में शोक का लहर है और उनके फैंस भी शोकाकुल है |
इससे पूर्व 12 अप्रैल को कुवंर बेचैन और उनकी पत्नी दोनों की कोरोना रिपोर्ट पोजेटिव आई थी | बहुत प्रयास के बाद कुवंर बेचैन दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हुए , जहाँ उनकी मृत्यु हो गई , वे 78 वर्ष के थे |
इनका जन्म 1 जुलाई 1942 को उमरी में हुआ | उत्तरप्रदेश के साहित्य एल्बम का एक पन्ना आज बिखर गया |
बहुचर्चित कवि , कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी शेयर की है |
कुवंर बेचैन हिंदी / गजल / गीत और उपन्यास के रचनाकार का जन्म उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गाँव में हुआ था | चंदौसी का मेला , जो गणेश चतुर्थी पर हर वर्ष लगता है , वहां कवि सम्मलेन में वे हर वर्ष जाया करते थे | इनका पुरा नाम डॉक्टर कुवंर बहादुर सक्सेना है | ये गाजियाबाद के MMH महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष रहें और इनका आवस भी नेहरू नगर में है |
इनकी कुछ प्रमुख रचनायें :- नदी तुम रुक क्यूँ गई , एक लालटेन , नाव बनता हुआ कागज , दीवारों पर दस्तक , झुलसों मत मोरपंख , भीतर सांकल बाहर सांकल , एक दीप चौमुखी , नदी पसीने की और उर्वशी हो तुम , पत्थर की बांसुरी आदि कई रचनाओं ने प्रेरित किये हैं |
उनकी मृत्यु पर डॉक्टर मधु चतुर्वेदी ने दुःख प्रकट किया है , कहा - कुवंर जी का जाना बहुत दुखद है | हिंदी गीतों की वाचिक परंपरा के हस्ताक्षर के जाने से आये अवकाश को भरा नहीं जा सकता | लंदन के हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में दो भारतीय गीतकारों का सम्मान हुआ था | जिसमे मेरा सौभाग्य है कि वहां , मै और कुवंर जी थे | उनके साथ अनेक कार्यक्रम और यात्रायें की जो अब याद में है |
नोट :- डॉक्टर कुवंर बेचैन जब कोरोना संक्रमित हुए तो उन्हें कहीं भी बेड नहीं मिल रहा था | तब प्रखर व दरियादिल कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट करके लोगों से मदद मांगी थी | इसके बाद गौतम बुद्ध नगर में सांसद डॉक्टर महेश की नजर उनके ट्विटर पर पड़ी और वे रुख लिए और उन्हें सेक्टर - 27 स्थित अपने अस्पताल में भर्ती करवाया | स्थिति सुधरते - सुधरते बुधवार रात को अचानक तबियत बिगड़ी | जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया , लेकिन अफसोस की उन्हें बचाया नहीं जा सका और आज उनका निधन हो गया |
उनकी पत्नी का उपचार अभी सूर्या अस्पताल में चल रहा है | जब वो बाहर आयेंगी तो उनके जीवन का नजारा कुछ और होगा | ईश्वर उन्हें अपने पति के वियोग को सहने की क्षमता प्रदान करें | .... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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