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मशहूर प्ले बैक सिंगर शारदा राजन जिन्होंने फिल्म "सूरज" के लिए "तितली उड़ी" गीत गाकर शोहरते हासिल की , आज उनका निधन हो गया | इनकी उम्र 84 साल थी |
तितली उड़ी , उड़ की चली गाना जिसने इन्हें रातो रात स्टार बना दिया | इनकी आवाज में ये पहला गाना था जिसकी दुनियां दीवानी बनी | यह गीत आज के दौर में भी काफी चर्चित है |
"देखो मेरा दिल मचल गया , उन्हें देखा और ............... यह गीत उसी वर्ष धूम मचाया जहाँ एक तरफ रफ़ी साहब द्वारा गाई गीत "बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है" लोगो के होठों पर गुनगुना रहे थे | इन दोनों गीत को बराबर वोट मिले |
20 गीत गाने के बाद जहाँ प्यार मिले के गीत "बात जरा है आपस की" के लिए फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया | उस वक्त ये अपनी उड़ान पर थी | देश - विदेश में जब भी प्रोग्राम हुआ करता था वहां "तितली उड़ी" गीत की फ़रमाईश जरुर होती और ये पुलकित मन से गीतों को गाती रहीं |
शारदा तमिलनाडु के एक ब्राहमण परिवार में जन्म लेकर हिंदी के प्रति अपनी भक्ति दिखलाई और इतिहास रच दिया | हिंदी गानों की दीवानगी सर चढ़कर बोला करता था | परिवार वाले इन्हें मना करते थे | तमिलनाडु में बचपन गुजरा था , फिल्म देखना तो दूर , तमिल गाने सुनने की भी इजाजत नहीं मिलती | रेडियो पर प्रसारित हिंदी गाने ये सुना करती थी और उसे तमिल में लिखकर अकेले हीं गुनगुनाती | दिन व दिन हिंदी के प्रति उनकी रुझान बढ़ती हीं चली गई |
इनका परिवार तेहरान चला गया | वहां अक्सर पार्टियाँ हुआ करती थी | उन पार्टियों में भारतीय आया करते थे जहाँ ये हिंदी गाना गाती | सभी को इनकी आवाज बहुत पसंद थी | इनकी जिंदगी का सुनहरा पन्ना तब आगे बढ़ा जब हिंदी फिल्म के वितरक तेहरान में थे और बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता , निर्माता व नर्देशक "राज कपूर" के लिए वहां पार्टी का आयोजन हुआ जिसमे शारदा जी को गाने के लिए आमंत्रित किया गया था |
राज कपूर साहब को इनकी आवाज बहुत मीठी लगी और उन्होंने इन्हें मुंबई आने के लिए बोल दिया | कुछ समय बाद शारदा राजन का मुंबई आना हुआ | राज कपूर से मिली , राज कपूर साहब इन्हें भूले नहीं थे , ये बहुत बड़ी बात थी इनके लिए | छोटी - छोटी बातें जिंदगी में असर छोड़ जाती है | राज कपूर ने जो वादा किया तो निभाया और भेज दिया शंकर जय किशन जी के पास जहाँ इनकी आवाज सुनी गई | शंकर जी ने इन्हें तालीम लेने की बात कही और गुरु जगरनाथ प्रसाद जी के पास भेज दिया | गुरु जगरनाथ प्रसाद हीं मुकेश जी को भी तालीम दिया करते थे |
1987 में शंकर जी के निधन के बाद ये विचलित हो गई क्यूंकि शंकर जी ने हीं इन्हें आकाश दिया था उड़ने के लिए | पंख दिया राज कपूर जी ने |
बॉलीवुड में दस्तक के लिए ये बहुत बड़ी बात है जहाँ ऐसे महान लोग गॉड फादर बन जाते हैं और पंख फैलाकर लोग अपने सपनों को साकार कर लेते है |
आज ये तीनों में कोई भी इस दुनियां में नहीं मगर ऐसे महान लोग मरते कहाँ हैं , ये सदैव जिन्दा रहते हैं लोगों के दिलो में याद बनकर |
आज तितली उड़कर किसी और दुनिया में सफ़र करने चली गई , जिस दुनिया का ज्ञान इंसान के पास नहीं | न चिठ्ठी न सन्देश न कोई ट्रेस जहाँ लोग सफ़र करते है और इसी सफ़र का नाम है दुनिया छोड़ जाना | चलते - चलते हम भी बस इतना कहना चाहेंगे , जितना हो सके लोगो की मदद कीजिये ,इतिहास लिखिए और बन जाइए इसलिए कि मदद करने वाले भी खाली हाथ नहीं रहते , इनके नाम का भी दीपक सदैव जलता रहता है | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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