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प्यार अंधा होता है , प्यार में न कुआं दिखाई देता है न खाई | यहीं हालत हुई है उत्तरप्रदेश नवाबो का शहर लखनऊ में एक प्रेमी के साथ |
अपनी प्रेमिका से मिलने एक प्रेमी घने कोहरे के बीच आधी रात में पहुंचा , मगर अँधेरे के कारण वह कुएं में गिर गया | दिल तो मस्त मौला था , मिलन की तड़प में भला उसे और क्या दिखाई पड़ता ? वह 40 फीट गहरे कुएं में गिर गया | यह घटना बिजनौर की है |
प्रेमिका के प्रयत्न के बाद उसे कुएं से निकाला गया | यह युवक मोहनलाल गंज का रहने वाला है और यह प्रेमिका से मिलने सरोजनी नगर में पहुंचा था , जहाँ इन दिनों आधी रात में कड़ाके की ठंढ से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता | मगर कहा गया है - दिल तो पागल है | लोग तो प्रेमिका के कहने पर चाँद / तारे भी जमीन पर तोड़ लाने की बात करते है | यहाँ तो प्रेमिका ने सिर्फ आधी रात को मिलने के लिए बुलाया था |
ठंढ की गति को एक तरफ रखते हुए वो आगे बढ़ा और बिजनौर इलाके के मोती गाँव में पहुंचा | घने कोहरे के कारण उसे दिखाई नहीं पड़ा कि आगे कुआं है और वह उसमे गिर पड़ा | प्रेमिका की लाख कोशिश सफलता में नहीं बदली | अन्तोगत्वा उन्हें पुलिस का सहारा लेना पड़ा | देर रात में पुलिस वहां गस्त लगा रही थी | चीख - पुकार सुन युवती के हाथ हिलाने का इशारा पाकर , पुलिस उसके पास पहुंची | पुलिस ने टॉर्च जलाकर देखा तो - युवक कुएं के भीतर बिलकुल सुरक्षित था | पुलिस अपनी कड़ी मेहनत के बाद रस्सी के सहारे उस युवक को बाहर निकाली |
युवक को मामूली चोट लगी है | नजदीकी अस्पताल में उसे इलाज के लिए भर्ती कराया गया है |
आधी रात को प्रेमी इसलिए पहुंचा कि प्रेमिका को उसकी माँ से विवाद हो गया था और प्रेमिका का उससे मिलना जरुरी था |
यह प्रसंग लिखते हुए मुझे याद आ रहा है - महाकवि तुलसीदास जी की प्रेम कहानी , जिन्होंने रामचरितमानस लिख डाली | अगर प्यार और मिलन की तड़प इनके अन्दर जन्म नहीं लेता तो यह रामबोला से तुलसीदास नहीं बनते |
एक बार इनकी पत्नी मायके गई हुई थी | पत्नी से मिलन की तड़प इन्हें बेचैन कर गई | रास्ते में तेज बारिश ने भी इन्हें घेरा , मगर ये रुके नहीं और नदी तट पर पहुँच गए | सामने नदी उफान ले रही थी , परन्तु उन्हें यह उफान दिखाई नहीं पड़ा | क्यूंकि इससे कहीं ज्यादा उफान इनके मन में हिलौरे ले रही थी | मिलन की दीवानगी में उन्हें कुछ नजर नहीं आया और वे नदी में बहती हुई लाश को पकड़कर पार हो गए |
ससुराल पहुंचे तो वहां सभी लोग सो चुके थे और घर का दरवाजा बंद देखा तो उन्हें समझ नहीं आया कि कैसे पत्नी के कमरे तक पहुंचा जाए | तभी सामने खिड़की से लटकते हुए सांप को रस्सी समझकर उसके सहारे पत्नी के कमरे तक पहुँच गए |
पत्नी की आँखे खुली और अपने पति को इस हालत में देखकर उन्होंने कटाक्ष किया और उनका अनादर करते हुए कहा - हार मांस के देह से इतना प्रेम | अगर इतना प्रेम श्री राम से होता तो जीवन सुधर जाता | पत्नी का इतना कहना था कि तुलसीदास जी के मन में पत्नी से मिलन की उमंग हीं ठंढी पड़ गई और उनका तीसरा नेत्र खुल गया | उसके बाद वे वहीं से वापस लौट आये और यह बात पूरी दुनियां जानती है कि - उन्हें राम से कैसी लगन लगी जो एक इतिहास बना और सदैव जब - जब श्रीराम की बाते आएगी तो श्रीराम के साथ तुलसीदास जी का नाम भी अंकित होगा और जुबान पर लिए जायेंगे |
एक बात हम कहना चाहेंगे कि - तुलसी दास जी का नाम रामबोला था | तुलसीदास जी रामबोला हीं रह जाते अगर प्यार की परिकाष्ठा हिलौरे न लेता |
उपरोक्त
लखनऊ के बिजनौर की कहानी जो हम अभी आपको बता रहे थे - इनकी हालत भी कुछ
ऐसी हीं है | जो रात के ढाई बजे अपनी प्रेमिका के बुलाने पर पहुँच गए | मगर
तुलसीदास जी की कहानी से बहुत सारी प्रेमिका वाकिफ है तो वो ऐसा कदापि न
करेगी कि अपने प्रेमी का अपमान कर उन्हें तुलसीदास बनने पर मजबूर करेगी |
बुलाये गए स्थान पर प्रेमिका पहले से मौजूद थी तभी प्रेमी बच पाया | अन्यथा
इस ठंढ में कुएं के अन्दर प्रेमी का क्या हाल होता कहना मुश्किल है |
........ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या / एम० नूपुर )
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