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आज से पहले जो कभी नहीं हुआ तो इसका मतलब ये नहीं कि नये नियम का बीज आज हम बो नहीं सकते | नियम इंसान का बनाया हुआ एक कानून है जिसपर सभी को चलना होता है और इसी नियम को इंसान फिर से एक नए नियम के दौर में शामिल कर एक नया नियम बना देता है |
सुप्रीमकोर्ट की एक बेंच ने बीते शुक्रवार को अपने काम की शुरुआत 1 घंटे पहले कर दी | आम तौर पर आदालत की सुनवाई सुबह 10:30 बजे से आरम्भ होती है | जस्टिस को 9 बजे ही आदालत में अपनी बेंच पर देखकर लोगो को आश्चर्य का ठिकाना न रहा |
जस्टिस ललित वो नाम है जो अगले चीफ जस्टिस बनने के लिए वरिष्ठता के मामले में सबसे ऊपर अंकित है | उन्होंने कहा - मेरे हिसाब से हमें आदर्श रूप से सुबह 9 बजे से हीं काम पर बैठ जाना चाहिए | मैंने हमेशा कहा है कि - यदि बच्चे सुबह 7 बजे स्कूल जा सकते है तो हम सुबह 9 बजे क्यूँ नहीं आ सकते ?
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को अपने एक मव्व्किल की जमानत करानी थी | उन्होंने अपनी सुनवाई समाप्त होने के बाद जस्टिस ललित को समय से पहले बेंच पर बैठने की सराहना करते हुए शुक्रियाअदा किया |
इनकी बातो पट टिप्पणी करते हुए जस्टिस ने कहा - मुझे यह कहना होगा , अदालत का काम शुरू करने का अपेक्षाकृत उपयुक्त समय सुबह 9:30 बजे है | जस्टिस ने आगे कहा कि -आदालत का काम जल्दी शुरू होता है तो कारवाही भी जल्दी समाप्त होगा और जस्टिसों को अगले दिन मामलों की फाइल पढ़ने के लिए शाम से अधिक समय मिल जाता है |
समय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि - आदालत सुबह 9 बजे काम आरम्भ कर सकती है | सुबह 11 बजे एक घंटे के बाद ब्रेक के बाद दोपहर 2 बजे तक दिन का काम समाप्त कर सकती है | ऐसा कर जजों को शाम का वक्त ज्यादा मिल जाएगा | यह व्यवस्था नए - नए मामलों की सुनवाई में काम कर सकती है | जिन मामलों में लम्बी सुनवाई की आवश्यकता नहीं है |
जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि - चीफ जस्टिस एन बी रमण 26 अगस्त को सेवामुक्त होने वाले है | उनके बाद उस पद का कार्यभार जस्टिस ललित संभालने वाले है और जस्टिस ललित इस वर्ष 8 नवम्बर तक पद पर बने रहेंगे |
जस्टिस ललित की यह टिप्पणी सराहनीय व बहुत ही उम्दा है जो सिर्फ अदालत के लिए ही नहीं आवश्यक है बल्कि हर इंसान पर अगर यह लागू हो जाए और इंसान समझ ले समय ही सबसे बड़ा धन है तो अपने समय को बेकार की बातो में उलझाकर यू हीं बर्बाद नहीं कर देगा | आये दिन हम देखते है लोगो को यू हीं बात का बतंगर बनाते हुए और वही बात हर इंसान के समय को खा जाता है | जस्टिस ने तो समय पर अपनी टिप्पणी दे दी , अब अपने देश में लोगो पर इसकी क्या प्रतिक्रिया होगी ? यह तो हर इंसान की अपनी सोंच और मामला है |
मगर हम तो यही कहेंगे - अभी भी देर नहीं है अभी से जागिये , क्यूंकि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत | समय को पकड़कर नहीं बल्कि जकड़कर रखिये , यहीं हमारा जिंदगी का सहर है | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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