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भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान की जयंती प्रतिवर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है | इन्हें प्रसन्न करने का और ऐसी मान्यता है कि सप्ताह में 2 दिन मंगलवार और शनिवार इनकी पूजा करने से मुरादें पूरी होती है | यह इक्ताफक है कि 12 अप्रैल को शनिवार है और शनिवार को हीं पूर्णिमा का आगमन भी है ऐसे में इसबार भक्त और भगवान का यह शुभ घड़ी और तिथि मन को सुकून देने वाला है |
बजरंग बलि की पूजा अर्चना करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख शांति का आगमन उन्हें भरपूर कर देता है |
सबसे पहले यह जानना जरुरी होगा कि 12 अप्रैल को इस तिथि का आरम्भ और समापन कितने बजे से होना है | तो सुबह 3:20 बजे आरम्भ होकर 13 अप्रैल की सुबह 5:51 बजे समापन होनेवाला है |
श्री हनुमान भगवान शिव के 11वां रूद्र अवतार है | जब श्री नारायण धर्म की स्थापना के लिए इस धरती पर आये थे तो उनके साथ के लिए भगवान शिव ने हनुमान के रूप में अवतार लिया | उस वक्त राजा केशरी अपनी पत्नी अंजना के साथ तपस्या कर रही थी | तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उनसे मन चाहा वरदान माँगने को कहा था | यह सुन माता अंजनी प्रसन्न होकर भगवान से बोली - मुझे एक ऐसा पुत्र प्राप्त हो जो बल में रूद्र , गति में वायु की तरह तेज और बुद्धि में गणपति के सामान तेजस्वी हो और उनमे पूरी दुनिया की शक्ति मौजूद हो , ऐसे पुत्र रत्न प्राप्ति की मुझे आशीर्वाद दीजिये |
तब भगवान शिव अपनी रौद्र शक्ति के अंश को पवनदेव के रूप में यज्ञ कुंड में अर्पित कर दिया , बाद में यहीं शक्ति माता अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई फिर श्री हनुमान का जन्म हुआ | इनकी शक्ति के अनुसार इनके 108 नाम है जिसे हम कभी अंकित करेंगे फिलहाल शिव की शक्तियों का हीं फल था कि हनुमान ने बाल्यकाल में सूर्य को एक फल समझकर खाने के लिए आकश में उड़ गए और उन्हें निगलने का प्रयास किया |
मुंह में डालने के बाद समस्त ब्रहमांड में अँधेरा छा गया क्यूंकि सूर्य हीं प्रकाश के एक मात्र श्रोत है | यह सभी जानते है कि सूर्य का आकार पृथ्वी से 130 गुना बड़ा है और अत्यधिक गर्म भी मगर जहाँ बाते भगवान शिव की हो और अध्यातम एक विश्वास है जहाँ असंभव भी संभव हो सकता है तो ऐसा पहले भी था और आज भी है | बस भक्त और भक्ति पर सभी कुछ निर्भर करता है | भक्ति , विनम्रता और निस्वार्थ भावना की शक्ति को अपनाने व अपने गुस्से पर काबू कर हर बाधाओं पर अकुंश लगाते हुए मनचाहा उड़ान भरा जा सकता है |
श्री हनुमान जयंती भगवान के दिव्य गुणों को दर्शाने के एक दिवस है जहाँ भक्तगण झूमते हुए वातावरण को इन्द्रधनुषी रंगों से भरकर जीवन में रंगोली सजा दे | यहीं तो रौशनी से भरा दीप उनके जीवन को सार्थक करता है और अँधेरे को दूर कर उन्हें सुमार्ग की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देकर उन्हें निर्मल बनाता है | अध्यात्मिक चिंतन और आत्म निरिक्षण दोनों इंसान को सबल बनाता है क्यूंकि अटूट भक्ति और शक्ति से भरपूर श्री हनुमान का भगवान श्री राम और माता सीता के प्रति समर्पण हीं उन्हें भरपूर करता है |
आपने सुना होगा - दुनियां चले न श्री राम के बिना , राम न मिलेंगे हनुमान के बिना इसका साफ़ मतलब भगवान शिव से है | भगवान शिव नारायण की पूजा करते है और नारायण श्री शिव की | भक्तो को अगर इन्हें प्रसन्न करना हो तो इन दोनों की पूजा करे , इसलिए की श्री हनुमान भगवान शिव के अवतार है जैसे की भगवान श्री राम नारायण के और भगवान शिव को श्री हनुमान के रूप में इसलिए अवतार लेना पड़ा ताकि वे रावण को मोक्ष दिलवा सके | भगवान नारायण के रूप में श्री राम का साथ देने के लिए भगवान शिव जी को धरती पर आना पड़ा और रावण को मृत्यु के बाद मोक्ष मिला |
रावण जैसा शिव भक्त कोई इस धरती पर नहीं हुआ | रावण ने भगवान शिव को अपनी आराधना से प्रसन्न कर वरदान के रूप में मोक्ष मांगी थी जो उन्हें मिला |
जब पूरा चंद्रमा आकाश में निकलता है और 100% रौशनी धरती पर बिखेरती है , उस दिन जन्म लेना साधारण मनुष्य का भी रूप नहीं हो सकता ! प्रभावशाली देवताओं में से एक है श्री हनुमान , इनके कितने नाम है - पवनपुत्र , केसरीनंदन , महावीर , कपीस , शंकर सुवन , मारुती बजरंगबलि आदि इस नाम से ज्यादातर लोग श्री हनुमान की पूजा करते है |
अब चलते चलते सुन्दर काण्ड में श्री हनुमान जी द्वारा किये गए महान कार्य का वर्णन - जिस घर में नित्य दिन रामायण का पाठ किया जाता है वहां श्री हनुमान अवश्य आते है | इनकी महिमा अपरम्पार है जिसे शब्दों में व्यक्त करना असंभव |
आप सभी को भव्याश्री परिवार के तरफ से हनुमान जयंती की ढेर सारी शुभकामनाएं | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
अगले फीचर में आप जान सकेंगे कि माता सीता के स्वयम्बर का धनुष रावण ने क्यूँ नहीं तोड़ा जबकि न उठाने के लिए वो हंसी के पात्र भी बने |
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