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योग गुरु बाबा रामदेव एक विज्ञापन पर ट्विट करते हुए , लोगों से ब्रह्मचर्य को बढ़ावा देने की अपील की है | विज्ञापन में उन्होंने लिखा है - यदि आप अपनी संतानों को ऋषियों जैसा बनाना चाहते है तो तुरंत संपर्क करे | बाबा रामदेव के इस जारी ट्विट पर सोशल मीडिया यूजर्स अपने अंदाज से जवाब दे रहे है | हर इंसान की अपनी सोंच - समझ है और हर इंसान स्वतंत्र है | इसलिए जितनी मन उतनी बातें |
बाबा रामदेव का विज्ञापन वाला विडियो देखने के लिए इस टाइटल पर क्लिक करे :-
बीते शुक्रवार को बाबा रामदेव ने ब्रह्मचर्य वाला एक विज्ञापन जारी कर लिखा - जो युवक / युक्तियाँ आजीवन बर्ह्मचार्य रहकर अपना पूरा जीवन देश , धर्म व संस्कृति एवं मानवता की सेवा व भगवान के लिए स्वयं को समर्पित करना चाहते है , वे संपर्क करे | साथ हीं उन्होंने इस ट्विट में संपर्क करने के लिए , लड़के और लड़कियों की अलग - अलग नंबर भी जारी किये |
वैसे किसी के ट्विट को निशाना बनाना सोशल मीडिया युजर्स का हक़ है | जितना मन उतनी बातें , सभी स्वतंत्र है , उन्हें अच्छाई भी पसंद करना होगा और विपरीत बातों को भी स्वीकार करना पड़ेगा और वो भी मोहब्बत से | लेकिन किसी भी निगेटिव लिखने वाले यूजर्स के लिए , हम चंद बातें कहना चाहेंगे | ठीक उसी तरह कि , उन्हें पसंद आये या न आये मगर वे जरुर ग्रहण करे , वह भी प्रेम से | अपनी प्रतिक्रिया हम अंकित करेंगे , मगर पहले बाबा रामदेव के ट्विट पर यूजर्स के विचार को पढ़ना जरुरी होगा , कि बाबा रामदेव के विषय में इनके मन में किस तरह की विचार घर किया है |
संतोष सोनकर नामक यूजर्स ने लिखा - आप हिन्दुओं की जनसँख्या कम क्यूँ करवाना चाहते हो ?
सुनीता सावंत ने लिखा - स्वामी जी , इससे हमारे सनातन धर्म की हिन्दुओं की जनसँख्या में तो कमी नहीं आयेगी न !
भोसलें श्रीहरी ने लिखा - बाबा उससे पेट्रोल सस्ता हो सकता है क्या ? मोनी ने लिखा - पापा - मम्मी नहीं मानेंगे |
करण सिंह ने लिखा - बाबा जी शादी करके भी देश सेवा होता है | हिन्दू और हिंदुत्व सोया हुआ है , कृपया उसे और मत सुलाइये |
कुणाल कुमार के ट्विट पर एक यूजर ने प्रतिक्रिया दिया - बाबा स्विस बैंक में पैसा बढ़ रहा है | पेट्रोल - डीजल की कीमत भी तेजी से बढ़ रही है ,एक शब्द उसपर भी ......... !
पॉलिटिकल झड़प नामक ट्विटर पर लिखा - इस अवसर के लिए आपको इतिहास में जाना जाएगा | जब देश में बेरोजगारी चरम पर थी तो आप देश के युवक / युक्तियों को यह मौका दे रहे थे , खैर .... |
सभी यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया लिखा | अपने - अपने मन की बातें रेशमी रुमाल पर हीं परोसा | सिर्फ शब्द का अर्थ समझना और उसपर गहरे विचार कि यूजर्स की सोंच बाबा रामदेव को किस तरह देख रही है या उनके विषय में सोंचती है | इसे हम दुर्भाग्य कहे या फिर सौभाग्य कि आज सोशल मीडिया पर कोई कुछ पोस्ट करता नहीं कि लोग उसपर अपने शब्दों के बाण को तीरना आरम्भ कर देते है |
आइये आपसे कुछ बातें करे :- हमारे देश में विज्ञापन का दौर है | हर लोग अपनी बातें अपना विज्ञापन करते / कराते हैं | बाबा रामदेव ने भी किया | आज इतिहास गवाह है कि , हमारा भारत ऋषियों मुनियों के आशीर्वाद से भी फलता - फूलता नजर आ रहा है | यकीं न हो तो पन्ना पलटकर देखा जा सकता है | अब जहाँ तक ब्रह्मचर्य का पालन और ऋषि बनने की बात आयी है , तो यह भी एक खुबसूरत सोंच व इरादा है |
आज बहुत से ऐसे इंसान है , जो जिंदगी से निराश , हताश , परेशान होकर स्वयं को समाप्त कर लेते है | जबकि उन्हें मरने का शौक नहीं होता , उनकी मजबूरी होती है और यह मज़बूरी और परिस्थिति सिर्फ और सिर्फ वहीं जान सकते है , कोई दूसरा महसूस नहीं कर सकता | उस वक्त के आलम का क्या कहिये , जब वह तड़पते हुए किसी भी स्थान पर चंद घड़ी सकूँ पाने का रास्ता ढूंढते है , उन्हें रास्ता नहीं मिलता | आदमी चाहता है कि मोह - माया से कोसों दूर जाकर जी ले अपनी जिंदगी | लेकिन कोई नंबर नहीं और न पता पास होता है , जहाँ वो जाए | तो क्या यह सच नहीं ! कि अगर बाबा रामदेव ने ऐसे लोगों के लिए , जो अपनी मर्जी से उनके साथ जुड़ना चाहते है | उनसे संपर्क करे या सदस्यता ग्रहण करे | इसमें शायद कटाक्ष नहीं होनी चाहिए , क्यूंकि बाबा ने किसी पे दबाव नहीं दिया और ऐसे लोगों के लिए तो शायद यह नंबर और पता एक संजीवनी बूटी है |
मरने से बेहतर नहीं कि ऐसे संस्थानों में अध्यात्म को अपनी जिंदगी समर्पित कर दिया जाए , इसमें बुराई क्या है ?
कुछ दिन पूर्व मैंने देखा , देश के बहुत सारे लोगों ने देखा - 3 बेटें मिलकर अपने हीं पिता के मृत शरीर को JCB से उठाकर गड्ढे में डाल दिया और उसे मिट्टी से ढक दिया | क्या हिन्दुओं के अंतिम संस्कार के यहीं नियम और ढंग है ,जहाँ कोरोना से मृत पिता के मुंह में चंद बूंद गंगाजल भी न डालें जाएँ |
आज लाशों पर कुत्ते मंडरा रहे है , कोई सवाल नहीं ? खामोश रहना तय किया ! अगर खून खौलता तो खून के वे रिश्ते जिनसे कभी प्यार पाया था , याद करके , ईश्वर पर विश्वास करके अंतिम यात्रा तो सफल बना देते | यूँ हीं लाशों को लावारिश छोड़ नहीं देते कुत्ते को झपटने के लिए | दर्द होता है , यह देखकर कि इस कलयुग का नजारा क्या है ?
चलिए हम सुनीता सावंत की बातों पर अपनी प्रतिक्रिया दे | तो उन्हें पहले बाबा रामदेव जी की बातों को समझना होगा | ऋषि बनना या ब्रह्मचर्य का पालन , दोनों के शब्दों का ज्ञान जानना निहायत जरुरी है | तभी हम सर से ऊपर की बातों को समझ सकते है | यूँ हीं कटाक्ष करना शायद ! तौहीन है |
अब आते है ब्रह्मचर्य पर - भारत में एक विश्वस्तरीय संस्थान है , जिसका नाम है ब्रह्मा कुमारी | ब्रह्मा कुमारी पर किसी को नहीं देखा कटाक्ष करते हुए | यह ऐसी संस्था है , जिसके अन्दर प्रवेश लेते हीं मन की शांति - सकून सभी कुछ मिल जाता है | ऐसा लगता है कि ईश्वर है तो यहीं है और इनकी बातें आम आदमी से कोसों दूर है |
अब आते है , शराब के विज्ञापन पर | नहीं देखा किसी को कटाक्ष करते , जिसे पीकर लाखों लोग मर रहे है , करोड़ों जख्मी है | गौर करने की बात है कि बाबा रामदेव की कंपनी शराब नहीं बनाती | सिगरेट , तम्बाकू , पान , बीड़ी , गुटखा , चरस , गांजा , अफीम , हेरोइन आदि इन सबके लिए कोई कटाक्ष नहीं !
एक से एक सेलेब्रिटी शराब का विज्ञापन करते दिखते हैं | लोग उनसे मोहब्बत करते है , उनकी तस्वीर मन में हीं नहीं घर में भी सजाते है | सेलेब्रिटी करोड़ों का विज्ञापन करके चले जाते है , जनता उन्हें आँख पसारकर देखती है , लेकिन कोई कमेंट नहीं | सभी मौन !
जिसे , जिस विज्ञापन की जरुरत होती है वो उसका विज्ञापन देते है | बाबा रामदेव भले हीं जो करे , मगर वो प्रकृति के बहुत करीब है और उनके मन में प्रकृति की खुशबू भरी पड़ी है | उन्होंने बहुत सारे ऐसे प्लांट हमारे भारत में लगाए , जिसका दर्शन दुर्लभ है और वो हमारी जरुरत है | जिसे आजतक हमारी नजरें देख न सकी छूना तो दूर की बात है और यहीं प्लांट संजीवनी है , जो इंसान को नई जिंदगी देती है |
नदियाँ , पेड़ , पहाड़ , समुन्द्र सब कट रहे , बट रहे और पट रहे है , क्यूँ नहीं आवाज उठाया जाता , प्रकृति की छेड़छाड़ पर ? सभी मौन !
फिल्मों से अपनी संस्कृति विलुप्त हो रही है | कोई कटाक्ष करने वाला यह कहे कि - भारतीय संस्कृति से परिपूर्ण फिल्म हीं भारत के सिनेमाघर में लगेगा , मगर यह आवाज गुम है | आज OTT प्लेटफ़ॉर्म जैसे Netflix , Amazon Prime , डिजनी प्लस आदि पर सरेआम हॉलीवुड जैसी हिंदी फ़िल्में बनाकर परोसी जा रही है | जहाँ सरेआम अपनी संस्कृति की धज्जी उड़ाती हुई दिखाई पड़ रही है | यह मर्यादा को खंडित कर परिकष्ठ पर पहुँच चुकी है | मगर , यहाँ भी सभी खामोश है |
यह हमारा सौभाग्य है कि बाबा रामदेव जैसे महान व अनमोल रत्न हमारे भारत में मौजूद है , तभी आयुर्वेद जिन्दा है | अगर ऐसे महान पुरुष न रहे तो हमारे भारत से सारे प्लांट्स उड़न छू हो जायेंगे | आज भी भारत की बहुत सारे अनमोल प्लांट्स का अधिकार दूसरे देशों ने ले लिया | यहाँ भी सभी खामोश | बाबा रामदेव है तो , योग जिन्दा है |
बाबा रामदेव ने कोई अपराध भरा विज्ञापन तो नहीं लिखा , सिर्फ अपनी सोंच लिखी और उनकी सोंच में आज करोड़ों लोग शामिल है | सिर्फ अपनी - अपनी सोंच है और कुछ नहीं | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- एम० नूपुर )
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