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मुजफ्फरपुर के बरुराज प्रखंड की रहने वाली गोखुला गाँव निवासी , एक बेटी की शादी चार वर्ष पूर्व बिरहिमा गाँव में हुआ था | दहेज के कारण दो माह बाद हीं उसके पति ने , अपनी पत्नी को उसके मायके में छोड़ कर चला गया | आज चार वर्ष हो गए उस बेटी को अपने मायके में रहते हुए | इस बीच ससुराल पक्ष ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया | खासकर लड़का भी , अपनी पत्नी के पक्ष में चूं तक न बोला |
पैसो के बल पर टिका है आज बहुत सारा रिश्ता , जिन्हें खाली हाथ संभाला नहीं जा सकता | बेटा पैदा होते हीं , कुछ लोग उन्हें चेक समझ लेते है और जब मंसा पूरा नहीं होता तो ऐसे तपके के लोग बेटे का विवाह कर दहेज़ के लालच में बहु को छोड़ देते है | लेकिन फिर भी ऐसे तपको को थोड़ा अच्छा कहा जायेगा | उन्होंने लालच किया , यह अलग बात है , खून से अपनी हाथ तो नहीं रंगे , ये बहुत बड़ा अपराध हो जाता , खैर .... |
...प्रतीकात्मक फोटो ....
कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में इनकी नींद खुली | भाई साहब को घर में रहना पड़ा होगा , तो कमी खली होगी पत्नी की | घर में रहकर दिमाग ने बहुत कुछ सोंचा होगा और कदम बढ़ गए फिर ससुराल की तरफ और पत्नी को ले जाने के लिए खुशामद कर रहे ससुराल की | शादी के दूसरे माह में त्यागी गई बेटी की माँ मंजू देवी में ऐसे भी आक्रोश भरा पड़ा था | चार वर्ष कम नहीं होता और उस बेटी ने किस तरह एक - एक पल को चार वर्ष की तरह गुजारे होंगे | सारे सपने चूर हो गए , एक ख्वाब अस्त हो गया | मायके से चली थी ससुराल की तरफ और फिर मायके हीं पहुंचा दी गई , पैसों की खातिर |
अब वह लड़का अपनी सास - ससुर को मनाने का प्रयास कर रहा है | लड़का अपने परिवार के सदस्य को लेकर धमक चूका है अपने ससुराल | लड़की पक्ष के लोगों ने बेटी को विदा करने से मना कर दिया | विवाद बढ़ा , लडके की मंसा पर पानी फिरा और मामला थाने तक पहुँच गया | लड़की की माँ मंजू देवी ने बेटी के नाममात्र ससुराल के 5 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है | बेटी के माँ ने आरोप लगाया है कि - पिछले 4 वर्ष में युवक ने , अपनी पत्नी की खोज - खबर नहीं ली | लेकिन अब वह परिवार के साथ मिलकर जबरदस्ती बेटी को घर ले जाना चाहता है | शादी के समय अपनी क्षमता के अनुसार दहेज़ दिया गया था | परन्तु उन्हें शादी के बाद भी दहेज़ चाहिए था , इसलिए दो माह बाद बहु को मायके पहुंचा दिया गया | हम लोगों ने बार - बार मामला सुलझाने का प्रयास किया , परंतु ये लोग नहीं माने | इस बीच लड़के ने भी अपनी पत्नी का खोज - खबर नहीं लिया और न संपर्क किया |
अब ये लोग बेटी को ससुराल ले जाने की कोशिश कर रहे है | यह कहते हुए कि - वह मेरी बेटी को किसी तरह की परेशानी नहीं होने देंगे , हमेशा खुश रखेंगे | बात थाने तक तो पहुँच गई है | थानाध्यक्ष मुकेश कुमार ने सभी बातों को गंभीरता से समझते हुए , चार वर्षों पर अपनी पैनी दृष्टि डालते हुए इस मामले की जाँच आरम्भ कर दी है | जिसमे पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है , बाकी दोषियों के खिलाफ जल्द हीं करवाई की जायेगी |
सवाल है शादी किया , फिर दो माह बाद पत्नी को मायके छोड़ दिया गया | परन्तु अब चार साल बाद नींद कैसे खुल गई ? और पिछले चार वर्ष का जुर्माना कौन भरेगा ? जिसमे एक बेटी की सोंच जली , प्रतिष्ठा गई , भावना रौंद दी गई पति व ससुराल के द्वारा | एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं ससुराल पक्ष से , जो इस टूटे हुए रिश्तों के धागे को जोड़ पाता | जब पति में हीं दम न हो , तो फिर ऐसे लड़को को तो विवाह हीं नहीं करनी चाहिए , जो अपने माँ - पिता की बात मानकर , दहेज़ के लिए अपनी पत्नी को छोड़ दें |
लॉकडाउन अभी पूरी तरह खुला नहीं है , परन्तु इनके दिमाग की ताला खुल गई | पता नहीं , अब इन्हें चार वर्ष के बाद पत्नी और परिवार को बहु क्यूँ चाहिए ? सरकार ने गाइड लाइन के अंतर्गत , परिवार में अतिरिक्त लोगों का आना - जाना मना किया है | ऐसे में शायद ! इनकी सोंच होगी - चलो पत्नी भी मिल जायेगी और एक नौकरानी भी घर के काम करने के लिए | मजे उठायेंगे बैठे - बैठे खाकर कोरोना के इस दौर में |
प्रतीकात्मक फोटो
इन दिनों भारत के गाँव व शहर से बहुत सारे केस ऐसे आ रहे है , जहाँ एक साथ 24 घंटे घर में रहने से रिश्तों में दरार पड़ता नजर आ रहा है | सिर्फ घर के काम को लेकर | घर में मार - पीट , क्लह , तानाशाही के मामले में इजाफा होता जा रहा है | दूरियां , नजदीकियां बनकर बहुत दूर पहुंचता जा रहा है , जिसे समझदारी से समेटना हीं बुद्धिमानी होगा | भले हीं इसे समझौता का नाम क्यूँ न दिया जाए ? क्यूंकि रिश्ते का दूसरा नाम हीं समझौता है |
लेकिन सवाल इस बेटी का है , जिसने चार वर्ष तन्हा गुजारे | इसका जुर्माना कौन भरेगा ? ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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