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बॉलीवुड के सदाबहार मशहूर अभिनेता मनोज बाजपेयी मंगलवार को अपने समस्त परिवार के साथ पटना के बिहार आर्ट थियेटर में आयोजित सम्मान समारोह में आये थे | उस क्रम में मीडिया से बाते हुई , जिसमे उन्होंने बताया कि - वे बहुत जल्द बिहार थियेटर को बढ़ावा देने के लिए , कई कार्यक्रम आरम्भ करने हेतु अग्रसर है |
मनोज बाजपेयी की जीवनसंगिनी नेहा बाजपेयी ( शबाना रजा ) पहली बार बिहार की धरती को स्पर्श किया , जहाँ उनका ससुराल है | साथ में इनके दो प्यारे बच्चे भी मौजूद थे , उन सभी को बिहार और बिहार के लोग बेहद पसंद आये | भला ऐसा क्यूँ न हो ! इस धरती की खुशबू से उनका जीवन जुड़ा है और खून का अहम् रिश्ता भी | मनोज बाजपेयी की पत्नी दिल्ली की निवासी है और एक अभिनेत्री भी , मुंबई में रहती है | अभी तक इनलोगों ने भारत व भारत से बाहर कई देश का भ्रमण किया है | परन्तु यह पहला मौका है , जब ये सभी अपने पति और पिता की जन्मस्थली को नमन कर रहे हैं |
मनोज बाजपेयी ने अपनी बोलती हुई आँखों से बिहार को महसूस करते हुए कहा - आज मुझे बिहार आर्ट थियेटर में कलाकारों के बीच आकर , बहुत ख़ुशी मिल रही है | अब बिहार आने की गति रुकेगी नहीं | कालीदास रंगालय के लिए कार्यक्रम करने का संकेत देते हुए कहा कि - अब वह हमेशा बिहार आर्ट थियेटर व कालीदास रंगालय से जुड़े रहेंगे | महीनों बाद रंगालय में दर्शकों की भीड़ दिखी | बाजपेयी ने कहा - रंगमंच न केवल अच्छा अभिनेता बनाता है , बल्कि एक बेहतर इंसान भी बनाता है | मै मंच के जरिये , बिहार सरकार से निवेदन करता हूँ कि इस रंगालय को पुरे बिहार का केंद्र बनाए | मैंने भी अपने जीवन में , सिखा और जो कुछ हूँ , उसमे रंगमंच का सबसे बड़ा योगदान रहा | साथ हीं एक ख़ुशी भरी अनुभूति चहरे पर लाते हुए कहा कि - ख़ुशी इस बात की है कि मेरी बेटी अवा ने रंगमंच को देखा तो सही ! मेरी इच्छा होगी कि मेरी बेटी भी जीवन की शुरुआत रंगमंच से करे | वे अंग्रेजी मीडियम से पढ़ती है मगर हिंदी सिखाने का संघर्ष जारी है |
फोटो :- जागरण के सौजन्य से
बिहार के रंगमंच की हालत और हालात पर , अपनी संवेदना , प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए , इस मंच को बेहतर और सदृढ़ बनाने का संकल्प लेते हुए , लोगों को भी इस बिंदु पर सोंचने और आगे बढ़ने का भाव प्रगट किया |
सूचना के आधार पर , मनोज बाजपेयी , अपने पिता राधाकांत बाजपेयी की तबियत खराब होने की जानकारी मिलते हीं , 15 जून को मुंबई से अपने घर जाने के लिए रवाना हुए थे और अपने पिता के स्वास्थ्य की जानकारी लेते हुए सेवा कर अपने बेटे होने का फ़र्ज़ निभाया | गाँव वाले को जैसे हीं उनके आने की खबर मिली तो वे बाजपेयी की एक झलक पाने के लिए बेचैन / बेताब हुए और फिर उनसे मिलकर गदगद हो गए |
गाँव और बिहार के लिए "बाजपेयी" भले हीं ईद के चाँद बन गए हो , परन्तु ये चाँद उस वक्त जमीन पर जरुर उतर आता है , जिस वक्त उनके गाँव वाले या बिहार वाले उन्हें संवाद भेजते है या निमंत्रण देते है |
दूर रहिये स्थान से मगर ! उन्हें , उनके प्यार को सदैव अपने दिल में बिठाए रखिये | यहीं तो बाजपेयी का दिल कहता है |
फोटो :- लाइव हिन्दुस्तान के सौजन्य से
मनोज बाजपेयी बीते शनिवार को , अपने परिवार के साथ बेतिया के सबसे बड़े किराना मॉल रसोईघर और किड्स मेनिया में पहुंचे और एन्जॉय किया | मॉल की भरपूर तारीफ़ करते हुए कहा कि - हमारे जिले में इस तरह का मॉल खुल जाना , बिहार की प्रगति का सार है | अगर इस तरह प्रगति होता रहा , तो वह दिन दूर नहीं जब बिहार वालों को काम ढूंढने के लिए अन्य प्रदेशों में दस्तक देना पड़े | इसीलिए कहता हूँ कि - "मुंबई में का बा" ! लोग उनकी इस अदा के कायल हुए |
आपको बता दे कि , मनोज बाजपेयी का जन्म बिहार में बेतिया जिले के नरकटियागंज के बेलवा गाँव में हुआ था | इसी गाँव में तो इनका बचपन गुजरा , जहाँ वे पले , बड़े हुए | एक बार फिर वे अपने बचपन के गुजारे उन पलों को याद किया होगा | यहीं तो वो मिट्टी की खुशबू है , जिसका आनंद उठाकर , उनके आशीर्वाद से अपने सपनों को साकार किया | कैसे भुला जा सकता है , बचपन का वह पलछिन ! वहां भले हीं बचपन छूट जाता है हर किसी का , परन्तु बड़े होकर अगर लोग वहां पहुंचते है तो सारी यादें एक तस्वीर / विडियो बनकर , आँखों के कैमरें में पुनः कैद होते हुए , कभी रुलाता है तो कभी हंसाता है और लोग छोटी - छोटी बातों को यादकर लोग भाव - विहल हो जाते है |
अपने गाँव में उन्होंने अपने हाथों से आम के पेड़ से आम तोड़कर खाया , लुफ्त उठाया , भ्रमण किया | लेकिन ये सुखद छन , चंद घड़ी का था | इसे मज़बूरी कहें या फिर जिम्मेदारी , के बीच उन्हें पुनः मुंबई आना है |
वे अकेले हीं निकले थे , इस घर से सपनों को लेकर | मंजिल मिली , हमसफ़र भी और परिवार पूर्ण हुआ | लेकिन अभी तो और दूर जाना है , भारत की मिट्टी में अपनी कला की , प्यार की खुशबू बिखेरकर , कई इतिहास रचना है | मनोज बाजपेयी बिहार के एक प्रेरणादायक पुत्र है , जिसे पाकर बिहार गौरवान्वित हुआ है | आज बिहार के विकास में मनोज बाजपेयी का बढ़ता कदम देखकर लोग फुले नहीं समा रहे है | वो बिहार से हजारों किलोमीटर दूर है , मगर वहां के लोग उन्हें बहुत पास अनुभव करते है और यहीं सत्य भी है | वे जब भी आवाज देंगे , मनोज बाजपेयी वहां दस्तक जरुर देंगे , यहीं विश्वास और भरोषा बिहार को मजबूती देती है | ............ ( न्यूज़ / फीचर :- एम० नूपुर )
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