Amitabh Bachchan News | राष्ट्रपति भवन का वर्षों पुराना नियम , जब अमिताभ बच्चन ने बदलवाया और इतिहास बन गए | Bhavyashri News
- by Admin (News)
- Jul 19, 2021
दुनियां में बहुत कुछ है करने व इतिहास रचने के लिए | आदमी चाह ले तो क्या कुछ नहीं हो सकता या कर सकता है | चाँद पर पहुंचना और अन्तरिक्ष का भ्रमण जैसा असंभव कार्य भी संभव हो गया और अब दुनियां में बहुत सारे लोगों के लिए आसान हो गया अन्तरिक्ष यात्रा का सैर कर पाना |
वहीं एक ऐसा नाम जो विश्व के पटल पर है - बॉलीवुड के महानायक , जो "अमिताभ बच्चन" के नाम से जाने जाते हैं | यह एक आम व्यक्ति थे , ये अलग बातें है कि - वे एक मशहूर कवि हरिवंशराय बच्चन के पुत्र है | परन्तु अगर अमिताभ बच्चन के आरंभिक जीवन का पन्ना पलटा जाए , तो आप इन्हें उस वक्त के आम व्यक्ति हीं कहेंगे | क्यूंकि हर व्यक्ति का अपना स्वयं का एक परिचय होता है | अपने पिता के नाम से जुड़ जाना कोई खास बात नहीं ! स्वयं में निखार लाकर एक मशहूर पिता बनना खास बात है , जो महानायक अमिताभ बच्चन ने किया |
दुनियां के पटल पर अपना अहम परिचय बनाने पर ध्यान केन्द्रित करना ,अपने आप में सफलता की निशानी है और तभी स्वयं का / समाज का / राज्य व देश का विकास संभव है और तब किसी भी व्यक्ति को विश्वस्तर तक पहुंचते या खड़े होते देर नहीं लगता |
आम से महान बनने तक का सफ़र , तय किया अमिताभ बच्चन ने और देखते हीं देखते महानायक पद की गरिमा लगवा ली अपने नाम के आगे और यह अपने आप में एक इतिहास है , जो हर पल जिन्दा रहेगा साक्ष्य व सबूत बनकर |
एक जूनून / चाहत , कुछ पाने की ललक , आदमी को जब परेशान करे ! नींद उड़ जाए और चाहतें हर वक्त दस्तक दे , तो इंसान को समझ लेना चाहिए कि - उनके अन्दर एक अतिरिक्त गुण का अंकुर जन्म ले चूका है और उसे पोषित करके एक विस्तृत पेड़ बनाना है , जिसका लाभ और रौशनी विश्व को प्रकाशवान करे | महानायक अमिताभ बच्चन ने सिर्फ अपने कद को ऊँचा नहीं बनाया , बल्कि अपनी सोंच को भी विस्तृत बनाया है और धीरे - धीरे , जैसे - जैसे उनकी उम्र बढ़ रही है , उनमे एक अद्दभुत प्रकाश पनपता नजर आ रहा है और उनकी लोकप्रियता भी उतनी हीं बढ़ती जा रही है |
अभिनेता के बाद वे कुछ साल के लिए नेता भी बने | फिर उनकी रूचि नहीं रही और वे पर्दे पर हीं स्वयं को केन्द्रित किया , जो आज भी जारी है | मगर इसी दौर में आदमी कुछ ऐसा भी कर जाता है , जो इतिहास बनकर आदमी को इतिहास बनने हेतु प्रेरित करता है | बात तब कि है , जब वे MP बने थे और MP रहते हुए उन्होंने सालो पुराना नियम बदलवा दिया , तब ! जब वे राष्ट्रपति भवन में रात के खाने पर गए थे | खाने की मेज पर जहाँ बैठे थे , तो सामने लगी प्लेट पर उनकी नजर पड़ी और उनकी सोंच बहुत दूर तलक चली गई | मन में अशोकस्तंभ की गरिमा व मान्यप्रेम /सम्मान हिलौरें भरने लगी | इन्होने उसी वक्त अपने मन में ठान लिया कि इस खाने वाली प्लेट में संशोधन करना निहायत जरुरी है |
बहुत कम लोगों को यह पता है और यह जानकर आश्चर्य होगा कि - राष्ट्रपति भवन में खाने की मेज पर लगाये गए प्लेट के बीच में अशोकस्तंभ का प्रतिक बना हुआ था | महानायक को यह देखकर अशोकस्तंभ के मान पर अपमान दिखा और वे उसी वक्त प्रथम संशोधन प्लेट पर से अशोकस्तंभ को हटा देने के लिए संसद में सवाल उठा देने की बात सोंची और यह बात संसद भवन तक पहुंचा दी | संसद भवन में उनके द्वारा उठाई गई इस अहम जानकरी / बातों पर सभी आचम्भित रह गए | इस बात पर किसी की नजर उस वक्त तक नहीं पड़ी और पड़ी भी होगी तो किसी ने ध्यान नहीं दिया होगा ! या फिर कहने का हौसला नहीं जुटा पायें होंगे |
इस प्रतीक को प्लेट पर से हटाये जाने का संशोधन कर , महानायक ने एक इतिहास जड़ दिया | जो काफी अद्दभुत व सराहनीय कार्य और गति कहा जा सकता है | आजादी के बाद से उस मेज पर न जाने कितने लोग सम्मलित हुए होंगे ! मगर किसी की नजर नहीं पड़ी | इसे अमिताभ बच्चन की पैनी दृष्टि कही जा सकती है , जिन्होंने एक मिशाल कायम किया | चंद वर्ष के लिए नेता बन , मिशाल कायम कर उन्होंने दिखला दिया भारत के अहम मुद्दों पर संशोधन की गति | गलतियाँ हजारों है , संशोधन करने वाले की कमी जरुर दिखती है आज भी | जिनके पास दल है उनकी दृष्टि जाती नहीं , जिनकी जाती है उनके पास दल नहीं | मन में इन्द्रधनुषी भाव को लेकर अपने भारत को और भी सुन्दर बनाने के प्रति सतरंगी रंगों का उछाल जरुरी है | रंग दीजिये अपने भारत को सुनहले / रुपहले , रंग - बिरंगे प्यार के निर्मल रंगों से |
भारत
को आगे बढ़ाना है , तो भारत के हर इंसान को पैनी दृष्टि व स्वच्छ / सुन्दर
सोंच का धनी बनना हीं होगा , तभी स्वयं को गरिमावान बना सकते हैं और पा
सकते है विश्वपटल पर ख्याति | महानायक अमिताभ बच्चन की तरह | क्यूंकि कोशिश
करने वाले की कभी हार नहीं होती , सिर्फ कदम बढ़ाने भर की देर है | एक
निःस्वार्थ और ईमानदार भाव , मन में रखकर कदम तो बढ़ाइए .... | फिर कैसे
नहीं सफलता आपकी कदम चूमेगी ! ....... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम0 नूपुर की कलम से )

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