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भारत में जहाँ चारो ओर टोक्यो ओलम्पिक की धूम है , वहीं भारत में 121 वर्ष में पहली बार इतिहास रचने वाले "जेवलिन थ्रोवर नीरज चोपड़ा" ने ओलम्पिक में गोल्ड मैडल जीतकर भारत को गौरवान्वित किया | इस गोल्ड मैडल लेने के इतिहास में भारतीयों ने 13 साल गुजारे है , अब जाकर गोल्ड मैडल हासिल हुआ | पूरा देश नीरज चोपड़ा को अपनी बधाइयों से नहला रहा है , वहीं सरकार व संगठनो से करोड़ो रुपये की राशि व सम्मान उपहार में दिए जा रहे है |
इसी बीच फिल्म निर्माता अशोक पंडित का ट्विट भी दुखते हुए दिलों के दर्द पर गर्म तलवार का वार कर दिया | जिसके बाद यूजर्स उन्हें ट्रोल्स करने लगे | अशोक पंडित ने नीरज चोपड़ा को बधाई दते हुए लिखा - नाम से राजीव गाँधी हटाते हीं गोल्ड आ गया | पंडित का यह ट्वीट काफी चर्चा का विषय बन रहा है | यह शब्द साफ़ इशारा करता हुआ दिखाई पड़ रहा है कि राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल दिए जाने से पंडित बहुत खुश है या यह भी हो सकता है - पंडित ने नाम हटा देने से कटाक्ष किया हो ! यह तो उनका मन जानता है | परन्तु अशोक पंडित जी को 2008 का इतिहास भी पढ़ना चाहिए था , तो शायद यूजर्स के द्वारा तो ट्रोल्स नहीं होते |
अपने देश के किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के लिए किसी को यह शोभा नहीं देता | आज राजीव गाँधी इस दुनियां में नहीं , परन्तु वो इतिहास में सदैव याद किये जा रहे है और किये जायेंगे |
अशोक पंडित के ट्वीट का असर उन्हें कहाँ ले जाएगा , ये तो कहा नहीं जा सकता ! खैर .... बॉलीवुड के बहुत सारे सेलेब्रिटी , नीरज चोपड़ा को बधाई दे रहे हैं , जिसमे महान सुर हस्ती लता मंगेशकर , अक्षय कुमार , अजय देवगन , तापसी पन्नू , ऋचा चढ्ढा आदि बहुत सारे सेलेब्रिटी है , जिन्होंने सहृदय बधाई दी |
अशोक पंडित को अब यूजर्स की तीखी प्रतिक्रिया भी सुननी पड़ रही है , जिसमे वे अपने मन का भ्रास निकाल रहे हैं |
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड कर दिया गया है | इस बात से झाँसी में रहने वाले मेजर ध्यानचंद के परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी | मगर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को चाहने वाले के दिलों पर तीखी तलवार चल पड़ी है | लोग इस रत्न को उनके नाम से हटा देना एक अपमान मान रहे हैं | लोगों को ध्यानचंद को दिए गए सम्मान से कोई आपत्ति नहीं | परन्तु एक पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री राजीव गाँधी , जिन्होंने भारत को आगे बढाने में अपना योगदान दिया हो , उनके नाम से यह तगमा छीन लेना , शोभा नहीं दिया |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिखा कि - यह अवार्ड हमारे देश की जनता के भावनाओं का सम्मान करेगा | यह खबर जैसे हीं पटल पर छाई , राजीव गाँधी के लिए उन सभी का दर्द छलका , जो उनसे मुहब्बत करते हैं | अशोक ध्यानचंद अपने दादा को मिले इस सम्मान से बहुत खुश है | उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस फैसले को खेल क्षेत्र के लिए गौरवशाली कदम उठाने जैसी बात कही है |
मेजर ध्यानचंद का जन्म प्रयागराज में 29 अगस्त 1905 में हुआ था | भारत में इस दिवस को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है | इनके योगदान से भारत ने 1928 , 1932 और 1936 के ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतकर भारत को गौरवान्वित किया | 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा गोल किये , जिसकी संख्या थी 14 और यह सूचना एक जबरदस्त समाचार बनकर मीडिया प्रतिनिधि की कलम से समाचार पत्र पर उभरकर रंगीन हो गया था | स्थानीय अखबार ने उन्हें सम्मान देने के क्रम में लिखा - यह हॉकी नहीं जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर है |
खेल क्षेत्र में दिया जाए वाला यह पुरस्कार , खेल क्षेत्र का सबसे बड़ा पुरस्कार है , जिसे अब बदल दिया गया | अब भारतीय हॉकी खिलाड़ी , जिन्होंने ओलंपिक में तीन गोल्ड मैडल जीते हैं ,उनके नाम पर रख दिया गया | प्रधानमंत्री का यह फैसला 41 साल बाद एक बार फिर से ओलंपिक में पदक जितने के बाद सामने आई | भारत में जश्न का माहौल है , इसी माहौल को देखते हुए उन्होंने अपनी सोंच को उजागर करते हुए कदम बढाया है |
कांग्रेस पार्टी और भारत की जनता को यह बात रास नहीं आई और उन्हें बहुत दुःख पहुंचा है , राजीव गाँधी के नाम से खेल सम्मान हटा दिए जाने का | उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए एक शतरंज की चाल खेलने जैसा माना है | कांग्रेस और देश राजीव गाँधी की विचारधाराओं से बहुत हीं ज्यादा प्रभावित थी और आज भी है और सदैव रहेगी |
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि - हॉकी के जादूगर खेल के पुरोधा मेजर ध्यानचंद जी के प्रति सम्मान प्रकट करने का कांग्रेस स्वागत करती है | परन्तु भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी जी अपनी छोटी राजनीति के उद्देश्यों के लिए मेजर ध्यानचंद का नाम न घसीटते तो अच्छा था | हम इनके नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखने का स्वागत करते हैं |
देखा जाए तो - लोगों का गुस्सा आज सर चढ़कर बोलता हुआ नजर आ रहा है | कांग्रेस के नेतागण और लोग कह रहे हैं कि - राजिव गाँधी इस दुनियां में नहीं , परन्तु इस पुरस्कार में वे याद आते रहे हैं | सम्मान में नाम बदल दिया , इससे अच्छा होता कि - किसी स्टेडियम का नाम ध्यानचंद जी के नाम पर रख दिया जाता | जहाँ अक्सर खेल के दौरान उन्हें याद किया जाता |
29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है और ध्यानचंद जी का जन्मदिवस 29 अगस्त को है | ऐसे में नाम को बदल देने का निर्णय कुछ ठीक नहीं | लोगों की विचारधारा कि - कुछ बदल देना / छीन लेना , बड़ा हीं आसान काम है | अच्छा होता कि प्रधानमंत्री कुछ नया करते | इस छीन - झपट वाली राजनीति एक दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नाम पर रखा गया स्टेडियम , जो पहले मोटेरा स्टेडियम था , उसे बदलकर सरदार बल्लभ भाई पटेल के नाम पर रखा गया | फिर सरदार बल्लभ भाई पटेल के नाम को हटाकर नरेन्द्र मोदी स्टेडियम किया गया ,जो कि गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है और यह दुनियां का सबसे बड़ा स्टेडियम के नाम से जाना जाता है , कल ये भी बदल दिए जायेंगे |
अब ये स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर रखा गया है | यह बड़ी हीं ख़ुशी की बात है , परन्तु खेल रत्न सम्मान से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का नाम हटा दिए जाने से ,क्षुब्ध लोगों ने ये कह दिया कि - आने वाला कल , इस विश्वविख्यात स्टेडियम का नाम भी बदलने का काम करेगी | तब लोग 6 अगस्त का यह दिन याद करेंगे और "जैसे को तैसा" मिला वाली बाते सामने आएगी |
कांग्रेस पार्टी और राजीव गाँधी को चाहने वाले ने यहाँ तक भी कह दिया कि - रात ढलने में ज्यादा समय नहीं है | हमें सूरज के उगने का इंतज़ार है | सम्मान बदल देने से चाहत नहीं बदलती और उनके आगे से पूर्व प्रधानमंत्री शब्द भी कोई हटा नहीं सकता | क्यूंकि राजीव गाँधी एक गौरव थे / है और सदैव रहेंगे |
खैर ...... चर्चा की आरंभिक दौर में बातें आ रही थी , फिल्ममेकर अशोक पंडित की जिन्होंने नीरज चोपड़ा के गोल्ड मैडल में राजीव गाँधी का नाम घसीट दिया है | तो अब उपरोक्त बातों पर गौर करते हुए यह समझा जा सकता है कि - अशोक पंडित को अब लोग किस नजरिये से देख रहे होंगे और अशोक पंडित की नजरिया अशोक पंडित हीं जाने |
फिलहाल एक बात गौर करने वाली है कि - भारत में इन 8 वर्षों में बहुत सारे जगहों के नाम भी परिवर्तित हुए , जिसमे भारत का श्रम / दिमाग / धन और समय बेवजह लगाया गया और इसकी क्षति हुई | इससे बेहतर था , नई सोंच को नए जगह पर नए तरीके से निर्माण करना | क्यूंकि आज को भी बदल देगा आने वाला कल , कल हीं कल और फिर कल एक कल बन जाता है | इसीलिए आज को आज में रहते हुए , कल को भी आज में हीं देखना सुखद होता है सभी के लिए , जो सोंच से शायद परे है | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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