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नागपंचमी का त्योहार हर साल शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है | इस बार सावन का पंचमी हिंदी पंचांग के अनुसार 12 अगस्त से शुरु होकर 13 अगस्त के दोपहर तक रहेगी | यानि की 12 अगस्त की शाम 3:24 मिनट पर आरम्भ होकर 13 अगस्त की दोपहर 1:42 मिनट तक रहने वाला है |
इस साल लोग 13 अगस्त को हीं यह त्योहार मनाएंगे | इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा / आराधना की जाती है और उन्हें दूध से स्नान भी कराया जाता है | सनातन धर्म में नागों की पूजा करने का विधान बताया गया है |
नागों में - शेषनाग , वासुकिनाग , तक्षकनाग , कालिकानाग और कर्कोटकनाग प्रमुख्य माने गए हैं | ये सभी नाग एक हीं माता के पुत्र है |
पुराणों के अनुसार महर्षि कश्यप ने राजा दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया था , उनमे से कद्रू और विनीता सबसे ज्यादा प्रिय थी | एक बार महर्षि ने खुश होकर विनीता और कद्रू से वरदान मांगने को कहा | तो हजार प्रकार्मी पुत्रों की माँ बनने का वरदान कद्रू ने मांग लिया | यह देख विनीता ने ठीक उनके विपरीत एक पुत्र ऐसा मांग लिया , जो कद्रू के सभी पुत्रों का नाश कर सके | अब कद्रू ने 1000 अंडे दिए और 1000 की माता बन बैठी वहीं विनीता ने गुरुर को जन्म देकर उनकी माँ बन गई |
वासुकि को सभी नागो का राजा बताया गया है | यह वहीं नाग है , जो भगवान शिव के गले में धारण है |
ब्रह्मा जी ने आस्तिक मुनि द्वारा नागों को बचाने का वरदान दिया था | उस दिन पंचमी तिथि थी और जिस दिन आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय के यज्ञ को समाप्त करवा कर नागों के प्राण बचाए थे , उस दिन सावन की पंचमी तिथि थी | इसलिए हर नाग देवताओं को पंचमी तिथि बहुत हीं प्रिय होती है |
वाराणसी में नाग कुआं एक स्थान है , जहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है | इस कुआं का लोग दर्शन करते है | ऐसा माना जाता है कि - जिस किसी की जन्म कुंडली में सर्प दोष हो , तो यहाँ से उस दोष का निवारण किया जा सकता है | इस दिन अनेकों गावं व कस्बो में कुश्ती का भी आयोजन किया जाता है | जिसमे आसपास वाले गाँव के पहलवान भाग लेते है | इस दिन पशु / पक्षी / मवेशियों को भी लोग तालाब में नहलाने का कार्य करते है |
एक हजार नाग भाइयों में शेषनाग सबसे बड़े और नागराज है | यह अपनी माता के छल के कारण , उनका त्याग कर भगवान विष्णु के परम भक्त बन गए और शेषनाग क्षीरसागर में भगवान विष्णु के साथ हीं उनको अपनी सेवा , सैया के रूप में देने लगे | ऐसी मान्यता है कि - उनके 1000 फन है | सारे ग्रह उनके कुंडली में समाये हुए है , इसलिए इनकी पूजा पंचमी को अवश्य करनी चाहिए ताकि पृथ्वी का संतुलन बना रहे | इनके संतुलन बिगड़ने से प्रलय का आना स्वाभाविक है |
भगवान विष्णु ने जब कभी अवतार लिया , तो शेषनाग किसी न किसी न रूप में उनकी सेवा में उनका सानिध्य पाया हीं है | वो त्रेता युग की बात करे या फिर द्वापर युग की |
त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया था , तो शेषनाग जी लक्ष्मण के रूप में अवतार लेकर उनके साथ जन्म लिए |
वहीं द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया , तो शेषनाग ने बलराम के रूप में अवतार लिया |
श्रीकृष्ण ने जब जन्म लिया तो उन्हें देवकी के यहाँ से यशोदा मईया के घर लाया गया था , इस बीच बहुत जोरों की बारिश हो रही थी | वासुदेव उन्हें टोकड़ी में डालकर ले जा रहे थे , तो शेषनाग अपने फन से भगवान को पानी से बचा रहे थे |
आज भी समुन्द्र की पूजा की जाती है , शांति के लिए | ताकि समुन्द्र की गति शांत और शीतल बनी रहे | क्यूंकि सागर में शेषनाग के शरीर की सैया पर हीं भगवान विष्णु आराम करते हैं और माँ लक्ष्मी उनके साथ होती है | शेषनाग व नाग जाति आलौकिक जातियों में से एक है , जिनके पास अद्दभुत व चमत्कारी शक्तियां मौजूद होती है |
रक्षाबंधन के दिन नागराज को रक्षासूत्र चढ़ाने चाहिए , ताकि उनकी रक्षा हो और वह मनुष्यों की रक्षा कर सके | नागपंचमी के दिन इन्हें दूध से स्नान कराने का रिवाज सदियों सदी से चलता आया है | इनके आशीर्वाद से फ़क़ीर भी उन ऊँचाइयों पर पहुँच जाता है , जिसकी वह कामना करते हैं | मन हीं मन भी इनकी आराधना की जाए और सदैव ये कहना चाहिए कि - ये मनुष्य के सामने साक्षात रूप में प्रगट न हो और न हीं मनुष्य से कोई ऐसी भूल हो , जिससे नागराज देवताओं को कोई कष्ट पहुंचे या फिर उनको कोई क्षति हो |
सपने में अगर ये दिखाई पड़ जाए , तो समझ लीजिये कि लौटरी लग गई | शरीर में लिपटा देखे तो आपको मालामाल होने से कोई रोक नहीं सकता | सपने में किसी भी तरह ये आ जाये , तो समझ लीजिये की इनका भरपूर आशीर्वाद आपको मिल गया | ...... ( अध्यात्म फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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