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बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं | उन्होंने अपने अभिनय व मेहनत के दम पर दर्शकों के दिलों में अपना एक ख़ास घर बनाया है | इन दिनों भले हीं वो बड़े स्क्रीन व OTT प्लेटफ़ॉर्म पर फिल्मों मे नजर आ रहे है | पर एक समय ऐसा भी था जब फिल्म में कोई भी रोल मिल जाए , उसके लिए प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाते फिरते और जहाँ भी ऑडिशन का मौका मिलता वहां चुकते नहीं | क्यूंकि ट्राई टू अगेन को अपनी हथेली में लिए वो फिरते रहे |
लेकिन कहा जाता है - कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती और मुंबई की धरती में वो खुशबू है कि यहाँ हर वो चाहतें पूरी हो जाती है , अगर कोई दिल से मांग ले तो | ऐसे में हीं बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले पंकज त्रिपाठी ने भी ठान लिया था कि मुंबई की खुशबू से नहाकर हीं दम लेंगे | आज वह दिन बहुत करीब आ चुका है , जब वह सिर्फ नहा हीं नहीं रहे बल्कि अपनी जीत की खुशबू पूरी दुनियां में बिखेर रहे है और एकबार फिर लाखो लोगों की प्रेरणा बनकर , स्वयं को मुंबई में स्थापित कर लिया |
इस पेज पर हम आपको पंकज त्रिपाठी की एक ऐसी कहानी शेयर करने वाले है , जिसकी चर्चा कभी टीवी शो या फिर अखबार के पन्नों में शायद नहीं हुई ! और अगर हुई भी हो , तो बहुत कम लोग हीं इसे जान पाए होंगे | इस बात का खुलासा उन्होंने मुंबई मिरर को दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान बताया है , जिसे हम आप तक पहुंचा रहे है |
दरअसल अपने कैरियर की शुरूआती दौर में पंकज त्रिपाठी फिल्म "लक्ष्य" के लिए ऑडिशन दिए थे | इस फिल्म में अमिताभ बच्चन , ऋतिक रौशन और प्रीटी जिंटा मुख्य भूमिका में थे और इस फिल्म को निर्देशित कर रहे थे फराह अख्तर | ऑडिशन देने के बाद पंकज त्रिपाठी सलेक्ट कर लिए गए |
फिल्म की शूटिंग आरम्भ हुई जिसमे पंकज त्रिपाठी एक फौजी की भूमिका अदा कर रहे थे | जिसमे ऋतिक रौशन के साथ चार या पांच सीन भी शूट कर लिए गए थे |
इतने बड़े स्टार कास्ट के साथ काम करके पंकज त्रिपाठी बहुत हीं ज्यादा खुश हुए और उन्होंने इस बात की जानकारी अपने घर वालो को दे दी | घर वाले भी इस बात पर काफी खुश होते हुए अपने बेटे की कामयाबी की बातें समाज के बीच रख दिया | कहते हैं - धीरे - धीरे बातें एक - दूसरे से बढ़ते - बढ़ते इतना दूर निकल गया की वह खबर अखबार के पन्नों पर अंकित हो गया | खैर ..... फिल्म रिलीज हुई , पंकज त्रिपाठी अपने दोस्तों के साथ सिनेमाघर में फिल्म देखने पहुंच गए | क्यूंकि यह उनकी पहली फिल्म थी और वह भी मजे हुए मशहूर स्टार के साथ | यह कम बड़ी बात नहीं थी उनके लिए या किसी के लिए भी , कहा जा सकता है |
178 मिनट की यह फिल्म पूरी तरह स्क्रीन पर समाप्त हो गई , पर पंकज त्रिपाठी कहीं पर भी नजर नहीं आये | इस बात से वह काफी मायूस हुए और दोस्तों के बीच मजाक बन गए सो अलग | लेकिन इस बात से वह कभी टूटे नहीं और न हीं कभी उन्होंने इस परिस्थिति को अपने ऊपर हावी होने दिया | वे पूर्व की तरह निरंतर प्रयास करते रहे और उसी प्रयास का देन है कि वे आज बॉलीवुड में अपना एक अलग हीं मुकाम बना चुके है |
दरअसल फिल्म शूटिंग के बाद , एडिटिंग टेबल पर हीं पंकज त्रिपाठी के सभी रोल को काट कर हटा दिया गया और इसी वजह से वो फिल्म लक्ष्य में नजर नहीं आये | कारण चाहे जो भी हो , अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि - किस कारण से इनके सीन को प्रोडक्शन टीम द्वारा काट कर हटा दिया गया | क्यूंकि न तो इस बात पर कभी पंकज त्रिपाठी ज्यादा जोर दिए और न हीं प्रोडक्शन टीम के तरफ से कोई जानकारी दी गई |
संभावना के आधार पर इतना कहा जा सकता है कि - पंकज त्रिपाठी को फिल्म से निकालने का कारण , फिल्म रिलीज से पहले हीं अखबार के पन्नों पर उनका नाम छाप देना हो सकता है | खैर ... इन बातों पर अपनी कोई भी प्रतिक्रिया देना शायद उचित नहीं | मगर उगते हुए सूरज को भला रौशनी देने से कौन रोक सकता है ! जिसके रूह में हीं एक कलाकार का निवास होता हो , उसके धड़कन को धड़कने से भला कौन रोक लेगा ?
कहा जाता है - एक बिहारी सौ पर भारी और यहीं भार लेकर हर बिहारी मुंबई में दस्तक देते है और जीत उनकी कदम चूमती है और चूमती रहेगी | चलते - चलते बस हम इतना कहना चाहेंगे कि - खामोश ! आप समझ गए होंगे हम किनकी बात कर रहे हैं |
जी हाँ ठीक समझे , हम बिहारी बाबु की हीं बात कर रहे है | बॉलीवुड अभिनेता और नेता शत्रुघन सिन्हा जी का , जिनके विषय में हम सिर्फ इतना कहना चाहेंगे कि - सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है , देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है | इस लाइन को भले हीं आजादी के क्रम में लिखा गया हो , परन्तु यह सरफरोसी हर जीत का एक सबूत है , हर लक्ष्य का एक सबूत है और अपनी मंजिल को पा लेने का सबूत है और बिहारी बाबु ने वो कर दिखाया , जो बहुत कम लोग दिखा पाते है | तभी इनके शब्दों में वो भारीपन है ..... खामोश ! तो बस | ....... मनोरंजन की दुनियां का सच :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से
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