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आज 1 सितम्बर है | माह का प्रथम दिन हीं शुभ संकेत दे रहा है अपने आगमन का | इस सितम्बर माह में बहुत सारे पर्व व त्यौहार आने वाले है | लेकिन आज हम बात करेंगे एकदशी व्रत करने का | 3 सितम्बर को हीं एकदशी व्रत है और यह सभी जानते है कि - यह व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा या किया जाता है | ऐसे तो प्रतिमाह में दो एकदशी आता है | देखा जाए तो साल में 24 एकादशी होते हैं , परन्तु हर तीसरा साल 26 एकादशी लिए आता है |
इसके करने से क्या लाभ और फल की प्राप्ति होती है , आज हम जानेंगे | इन सभी एकादशी व्रत के नाम अलग - अलग है और इनके करने का फल भी अलग - अलग हीं मिलता है | परन्तु कहीं - कहीं सुनने को मिलता है कि - प्राणी को साल का पूरा एकादशी नहीं करना चाहिए , साल का कोई एकादशी रिक्त कर दे | यह इसलिए कि एकादशी करने वाला इंसान अगर गुस्सैल प्रवृति का हो , तो उनके स्वयं का और दूसरे को हानि होती है |
फिलहाल हम आपको बता दे कि - 3 सितम्बर का एकादशी बड़ा हीं शुभ व फलदाई संकेत देने वाला है | इसे अजा एकादशी कहा जाता है | इस अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा / आराधना करने वाले सभी व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है | पंचांग की सूचना के आधार पर इस दिन वत्स द्वादशी भी मनाई जाएगी और यह दोनों आज है |
इस व्रत को करने से इंसान निरोगी रहता है | उनके निकट भूत - प्रेत आदि नहीं पहुंचता , साथ हीं अगले जन्म में राक्षसी योनी की प्राप्ति से भी छुटकारा मिलता है | संकट हरण और सर्वकार्य सिद्धि के प्राप्ति होते हुए सौभाग्य मिलता है | धन सम्पदा समृद्धि में बढ़ोतरी होते हुए शांति भी मिलती है | जिनके विवाह में बाधा आ रहा हो , उनके विवाह का बाधा भी शीघ्र समाप्त हो जाता है |
वैसे हर साल 365 या 366 दिन का होता है | इसमे भगवान विष्णु की आराधना के लिए आप साल में 24 दिन या 3 साल पर 26 दिन निकाल हीं सकते है | भगवान विष्णु को हीं पुराणों में विश्व का पालन हार कहा गया है , इन्हें त्रिमूर्ति भी कहा जाता है |
इनके दो रूप और है जो ब्रह्मा और शिव हैं | ब्रह्मा जी को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है , वहीं शिव को संहारक माना गया है और इनकी पत्नी माँ लक्ष्मी है , जिनके बिना किसी का जीवन नैया पार नहीं हो सकता |
एक अहम बात जो बहुत कम लोग जानते है या फिर उसपर ध्यान भी नहीं देते कि - कामदेव कौन है ? तो कामदेव भगवान विष्णु के हीं पुत्र है | विष्णु भगवान का निवास क्षीर सागर है , वे शेषनाग के ऊपर निवास करते है और इनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है , जिसमे ब्रह्मा जी निवास करते है | इनके कई नाम है - शिव , नारायण , पीताम्बर , विक्रम , चक्रधारी , अंनत , हरि , सत्यनारायण इन सभी नामों से विष्णु भगवान को लोग जानते है |
आप यदि एकादशी करने की महत्ता जान लेंगे , तो इसे आजीवन करना चाहेंगे | इस व्रत को करने वाले का सारा संकट भगवान विष्णु हर लेते है | उन्हें जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती | इंसान के जीवन से दरिद्रता का दूर होना और रुका हुआ सौभाग्य या बाधा का बादल छटते हुए भाग्य जागृत होकर एश्वर्य की प्राप्ति होती है | आपका शत्रु आपसे दूर भागेगा , आपको कृति और प्रसिद्धि प्राप्त होगी | एक अहम बात कि यह व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल भी प्राप्त होता है |
साल का 24 एकादशी को हम स्पष्ट कर दे कि - किस एकादशी के करने से आपको कौन सा फल मिलने वाला है | अगर 24 एकादशी करना संभव न हो , तो वह एकदशी जरुर कर ले जो आपके अहम दुखों को नाश करके आपकी जीवन में खुशियों की रंगोली सजा दे | आज के एकादशी को करने से आपके बच्चे पर कोई भी संकट आने वाला होगा , तो वह वाधा दूर हो जायेगी | दरिद्रता पास नहीं आएगी , खोया हुआ या रुका हुआ मान सम्मान वापस मिलेगा , दुःख दूर होकर मुक्ति मिलेगी |
आपको सभी माह के एकादशी की महत्ता , हम हर माह में पंचांग के आधार पर अवश्य बताएँगे , ताकि आप सभी उसका लाभ ले सके | परन्तु इतना जरुर है कि प्रतिमाह जिसमे दो एकादशी आता है , आप किसी भी माह में , आपकी जब इच्छा हो , साल में तीन - चार एकादशी अवश्य करे | वैसे पुराण के अनुसार या पंडितों से आप एकादशी करने की विधि पूछेंगे , तो आपके हाथ में बहुत बड़ी सूची आ जायेगी , जिसे करना आपके लिए संभव नहीं होगा |
इसलिए चंद बाते हम आपको कहना चाहेंगे , जो की आँखों देखी और सुनी हुई सच्ची कहानी है |
पहली बात तो यह है - एकादशी करने से इंसान की मृत्यु बहुत हीं सुखद होती है , यह दावे के साथ कहा जा सकता है | मगर जहाँ तक पंडित अपने पत्रिका से लोगों को या भक्तों को यह बताते है , जो उनके लिए संभव नहीं हो पाता |
एक कहावत है और बहुत हीं प्रसिद्द है - "मन चंगा तो कठौती में गंगा" और सही मायने में गंगा आप तक पहुंचती है , यह सत्य है | इसलिए आप से सभी माह की एकादशी करना संभव न हो , तो कोशिश करे कि साल का तीन या चार एकादशी करके पूण्य के भागी जरुर बने | वैसे कहा जाता है कि - एकादशी हमेशा निर्जला हीं करनी चाहिए | परन्तु हमारी ऐसी मान्यता है कि - कोशिश करे इस रोज चावल या चावल का बना आहार न ग्रहण करे | प्याज , लहसुन , नमक का त्याग अवश्य करे | अब आप पर निर्भर करता है कि आप इसके अतिरिक्त क्या खाना पसंद करेंगे ? फलाहार भी कर सकते और अन्न भी खा सकते है | सिर्फ आत्मा निर्मल रहना चाहिए | यह जरुरी नहीं कि आप एक बार हीं पानी , चाय या शरबत पीये ! आपको जितना मन करे उतनी बार इसे पीये और अपनी आत्मा को तृप्त करे |
क्यूंकि इसमे एक तर्क हम आपको बता दे कि - यह पुराणों में कहा गया है कि यह व्रत करने से व्यक्ति को धर्म मार्ग की तरफ चलने की प्रेरणा मिलती है | किसी के भी आत्मा को दुखाना नहीं चाहिए | तो सर्वप्रथम यहाँ अपनी आत्मा हीं सामने आती है , जिसे आज के दिन अगर हम तृप्त न करे , तो यह धर्म मार्ग नहीं होगा ! ये अपने हीं आत्मा पर ज्यादती कही जायेगी | कहीं भी भगवान ऐसा नहीं कह सकते कि - उनकी पूजा में लोगों को भूखा रहना जरुरी है | हाँ संयम जरुर बरते , क्यूंकि आत्मा में हीं परमात्मा का निवास स्थान है | इसलिए हमेशा आत्मा को प्रफ्फुलित रखे और दिल लगाकर भगवान विष्णु की पूजा करे और इनकी महत्ता अपने मित्रों / सखियों को अवश्य बताये , ताकि अच्छी दुनियां का निर्माण होकर सुख , समृद्धि व एक सी नीति बनी रहे | ........ ( अध्यातम फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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