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फूलों का जिक्र हो , उसके फायदे खूबसूरती / खुशबू का बखान किया जाए , तो सदाबहार फूलों में सर्वप्रथम नाम "गुलाब" का ही आएगा और उसकी ही छवि हर किसी के सर पर छाएगी | वैसे तो सभी फूल अपने आप में खूबसूरत और गुणों से भरपूर , खुशबू बिखेरने वाला होता है | पर गुलाब के फूलों की छवि का क्या कहना ? एक गुलाब काफी है जिंदगी को रसीला , मस्त बनाने में | जिंदगी के रास्ते में चार चांद जड़ देने में खिले हुए फूलों में भी अनेक गुण है , तो वहीं सूखे फूलों ने भी कितनों को कवि बना डाला है |
वैसे भी गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है | गुलाब के खिलते फूलों को देखकर ताजगी आती है | फूलों का हुस्न नशीला होता है और अगर गुलाब का नशा चढ़ जाए , तो फिर उतारे नहीं उतरता | सदाबहार फूल है गुलाब , मनभावन जो आपको अपनी तरफ खींचने बिना नहीं रहेगी | कोमलता व सुंदरता के लिए प्रसिद्ध | खूबसूरत , खुशबू से भरा रंगो में कई रंग और 100 से भी ज्यादा जातियां | जिनमें से अधिकांश एशियाई मुल्क की है | जबकि कुछ जातियों के मूल प्रदेश - यूरोप , उत्तरी अमेरिका तथा उत्तरी - पश्चिमी अफ्रीका भी है |
गुलाब की खूबसूरती का क्या कहना ? गुलाब की खूबसूरती की तुलना तो लोग मासूम , प्यारे , दुलारे बच्चे , अपनी संतान से कर बैठते हैं | कितने शायर ने भी गुलाबों पर कई गीत , शेर , कविता , गजल लिखा है , लिख रहे हैं और लिखते रहेंगे | अपनी सुगंध और रूप रंग से विश्व काव्य को अपना मधुर सौंदर्य प्रदान किया | रोम के प्राचीन कवि वर्जिल ने अपनी कविता में वसंत में खिलने वाले सीरिया देश के गुलाब की चर्चा की है | अंग्रेजी साहित्य के कवि टॉमस हुड ने गुलाब को समय के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत किया है | कवि मैथ्यू ओरनाल्ड ने गुलाब को प्रकृति का अनोखा सुन्दर वरदान कहा है | टेनिसन ने अपनी कविता में नारी को गुलाब से उमनित किया | हिंदी श्रृंगार के कवि को रसिक पुष्प के रूप में चित्रित किया है - "फुल्यों रहे गवंई गांव में गुलाब" | कवि देव ने अपनी कविता में बालक वसंत का स्वागत गुलाब द्वारा किया है | निराला ने अंकित किया है | रामवृक्ष बेनीपुरी ने इसे संस्कृति का प्रतीक कहा है |
सदियों से लोगों ने अपनी मनपसंद की चीजें व रंगों से प्रेम किया है | वैसे हीं इतिहास इस बात की गवाही देगा और सीरिया की शहजादी पीले गुलाब से प्रेम करती थी , तो मुगल बेगम नूरजहां को लाल गुलाब अधिक प्रिय था | गुलाब के इत्र का आविष्कार भी नूरजहां ने किया था | ऐसा कहा जाता है कि - नूरजहाँ ने गुलाब का इत्र 1662 ई० मे अपने विवाह के अवसर पर निकाला व बनाया था |
यूरोप के 2 देशों का राष्ट्रीय पुष्प गुलाब है , कहीं सफेद तो कहीं लाल फूल | एक बार दोनों के बीच गुलाब युद्ध छिड़ गया था , इसके बावजूद यूरोप के कुछ देश ने गुलाब को अपना राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया है |
राजस्थान जयपुर को गुलाबी नगर कहा जाता है | गुलाब को अंग्रेजी में रोज , फारसी में गुलाब , बंगला में गोलाप , तमिल में इराशा और तेलुगु में गुलाबी कहा जाता है | लोग इसी नाम से संबोधित करते हैं सभी भाषाओं में | यह लावण्य और रसात्मक है , शिव पुराण में गुलाब को देवपुष्प कहा गया है | यह रंग बिरंग नाम गुलाब के वैविध्य गुणों के कारण अंकित करते है |
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ( चाचा नेहरू ) गुलाब के प्रतीक माने जाते हैं |
गुलाब के अनेक संस्कृत पर्याय हैं | अपनी रंगीन पंखुड़ियों के कारण गुलाब जटिल है | सदैव तरुण होने के साथ तरुणी , शत पन्नों से घिरे होने पर शतपत्री |
आज के आधुनिक युग में कुछ भी असंभव नहीं , तभी पैबंद आदि के द्वारा सैकड़ों प्रकार के खिलने वाले गुलाब भिन्न-भिन्न जातियों के मेल से उत्पन्न किए जाते हैं | गुलाब की कलम हीं लगाई जाती है | इसके फूल कई रंगों के होते हैं , कई मेल के हल्के गहरे , जैसे - लाल , गुलाबी , हरा , पीला , उजला , काला आदि सभी प्रकार के रंगों की खेती होती है | कुछ गुलाब के पेड़ होते है , तो कुछ लता की तरह चढ़ने वाले भी होते हैं , जिसे लत्तियों पर चढ़ाए जाते हैं | वैसे ऋतु के अनुसार भी गुलाब के दो भेद भारत में माने जाते हैं - सदा गुलाब और चैती गुलाब | सदा गुलाब प्रत्येक ऋतु में उगता है और चैती गुलाब केवल वसंत ऋतु में | चैती गुलाब में बहुत ज्यादा सुगंध होती है और वही इत्र एवं दवा के काम समझा जाता है |
चैती गुलाब - इत्र या गुलाब जल बनाने के लिए बहुत उपयोगी है और इसकी संख्या भी बहुत ज्यादा होती है | एक बीघे में इसका पौधा लगाया जाए , तो हजार से ज्यादा पौधा लगेंगे | 14 वीं शताब्दी में गुजरात में 70 प्रकार के गुलाब लगाए जाते थे | वैसे आज भी आंकड़ा निकाला जाए और नजर डाली जाए , तो इसकी खेती बहुत ज्यादा होने लगी है | अब तो इसे व्यापार के लिए लगाया जाता है | ग्रामीण किसान गुलाब की खेती कर अपनी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ कर रहे हैं | लेकिन उत्पादन की नजर से यह अन्य देशों , जैसे कि - बुल्गेरिया , तुर्की , रूस , फ़्रांस , इटली और चीन से काफी पिछड़ा हुआ है | भारत के उत्तरप्रदेश के हाथरस , बलिया , कन्नौज , फर्रुखाबाद , कानपुर , राजस्थान के उदयपुर , चित्तौड़ , जम्मू और कश्मीर , हिमाचल प्रदेश इत्यादि राज्यों में जमकर खेती की जाती है |
शादी विवाह के मौके पर भी गुलाब की खपत होती है | हमारे भारत में तो शादी की गाड़ी से लेकर , रिसेप्शन , स्टेज व फूलों के गजलें से द्वार सजावट , सुहागसेज आदि तक में रंग बिरंगी गुलाब उपयोग कर , बूके व गुलदस्ते आदि बनाए जाते हैं | उच्च वर्ग से लेकर मध्यम व सामान्य वर्ग के लोग भी अब इसी आधुनिकता और फैशन की आंधी में डुबकी लगाकर हर अवसर पर सजावट के लिए गुलाब खरीदते हैं | जैसे रोशनी के बिना जिंदगी अधूरी होती है , वैसे ही गुलाब की खुशबू के बिना हर पल सुना-सुना रहता है |
अब तो कुछ "डे" भी मनाया जाने लगे हैं , जैसे - मदर डे , मैरिज डे , बर्थ डे या फिर वैलेंटाइन डे | गुलाब के आदान-प्रदान के बिना आनंद नहीं आता , जरूरी है आपकी मुस्कुराहट के साथ गुलाब का पेश करना | वहीं हंसी और मुस्कुराहट में भी गुलाब का जिक्र होना लाजमी है , तभी तो लोग बोल पड़ते हैं - अजी इनकी हंसी तो गुलाबों सी है और वहीं लोग होठ के बारे में कहते हैं - गुलाब की पंखुड़ियों से होठ |
खैर .....गुलाब की बातें उपयोगिता और तुलना और तारीफ को लिखना संभव नहीं ! गुलाब तो गुलाब है , जो वातावरण को सुगंधित बनाता है , फैलाता है और मोहब्बत करने वाले को और भी करीब लाता है | दो गुलाब गर एक साथ दिख जाए या जुड़वा बन खिले , तो समझिये सावन आने वाला है | बिन बादल बरसात प्यार होने वाला है |
भारत सरकार ने 12 फ़रवरी को गुलाब दिवस घोषित किया है |
नोट :- गुलाब एक बहुचर्चिये , झाड़ीदार कटीला पुष्पीय पौधा है , जिसमें बहुत सुगंधित फूल खिलते हैं | कांटों के बीच भी नम्र मुलायम व खुशबू से भरा | जिसने गुलाब को पढ़ा , समझा वहीं सही मायने में अपनी जिंदगी को पढ़ा और जिया है | इंसान को हमेशा गुलाब की तरह रहना चाहिए , हमेशा खिलते रहना चाहिए |जिस तरह गुलाब कांटो से भरी डाल में भी झूमता मस्त रहता है और एक हवा के झोंके के साथ सारे वातावरण में सुगंध फैलाता है | इंसान को भी अपने आसपास का वातावरण अपने व्यवहार के द्वारा सुगंधित बनानी चाहिए | ....... ( गुलाब फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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