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आखिर कौन है अमरीक संधू , रविन्द्र सिंह और इन्द्रजीत चौधरी ? जो अपने परिवार के साथ मिलकर कांग्रेस पार्षद वार्ड नंबर 51 की राधिका पाठक के पति अनुप पाठक को सुसाईड करने पर मजबूर कर दिया |
राधिका पाठक व अनुप पाठक के 27 वर्षीय पुत्र करण पाठक ने बताया कि - वे अपने दफ्तर में बैठे थे | तभी शाम के समय लगभग 4 बजे माँ राधिका ने फ़ोन किया कि उनके डैडी फोन नहीं उठा रहे हैं | करण पाठक इतना सुन अपने घर गए , कमरा अन्दर से बंद था | करण के बार - बार आवाज लगाने के बाद जब अन्दर से कोई आवाज नहीं आई , तो वे दरवाजे को धक्का देकर अन्दर पहुँच गए |
वे अन्दर का दृश्य देखकर घबरा गए , उनके पिता अनूप पाठक फंदे से लटके हुए मिले | फंदा पंखा से लगाया गया था , दृश्य देख करण चिल्लाते हुए पड़ोसी को आवाज लगाईं | करण की आवाज सुन पड़ोसी पहुंचे और चाकू की सहायता से फंदे को काटकर उन्हें नीचे उतारा गया | उन्हें तुरंत अस्पताल के लिए ले जाया गया , परन्तु अफ़सोस की उनकी सांसे थम चुकी थी |
अनूप पाठक की मौत की खबर सुनते हीं उनकी पत्नी राधिका अपनी सुध बुध खो चुकी है | अनूप पाठक के पॉकेट से एक चार पन्ने का सुसाईड नोट भी पाया गया है | ये कांग्रेस के नेता थे और टेंट हाउस चलाया करते थे | इनकी पत्नी कांग्रेस सीट से चुनाव लड़ी और जीत गई |
अनूप पाठक की मृत्यु की खबर सुनते हीं वहां कई नेतागण के पहुँचने की खबर मिल रही है | राधिका पाठक ने 6 माह पूर्व हीं किडनी रोग से ग्रस्त अपने पति को अपना किडनी देकर नई जिंदगी दी थी | चिकित्सा सफल होने के एक माह बाद वे पहले की तरह सक्रीय हुए और अपनी पत्नी राधिका के वार्ड कार्य को भी संभालना आरम्भ किया था |
अनूप पाठक की उम्र 47 वर्ष थी | इतने कम समय में हीं आखिरकार ऐसा कौन सा तूफ़ान जीवन में हिलौरे मारने लग गया ? जिससे घबराकर मंगलवार को वे फांसी का फंदा लगाकर अपने जीवन को समाप्त कर लिया और अपनी उस पत्नी को तन्हा छोड़ गए , जिन्होंने अपनी किडनी देकर उन्हें नई जिंदगी सौंपा था |
संबंधों पर कहाँ टिकती है जिंदगी ? यह सोंच का विषय है !
इनके बेटे करण पाठक ने कहा है कि - पापा बहुत परेशान थे | उन्हें काफी परेशान किया जा रहा था |
आखिर सुसाईड नोट में ऐसा क्या लिखा था ? हम सुसाईड नोट की कुछ बातें अंकित करेंगे , फिलहाल आपको बता दे कि - अनूप पाठक के शव को बुधवार को सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा | साथ हीं इस सुसाईड नोट के अक्षर को पहचानने के लिए इस पेज को एक्सपर्ट्स के पास भेजा जाना है | ताकि यह लिखावट किसका है ? अनूप पाठक या किसी और का , पुलिस और कानून के नज़रों में यह दर्ज होगा |
फिलहाल अमरीक संधू , रविन्द्र सिंह और इन्द्रजीत सिंह को नामजद करते हुए उनपर धारा 306 के तहत के केस दर्ज किया गया है और ये सभी आरोपी अमृतसर के रहने वाले है | अनूप पाठक की कोठी मोडल टाउन के पास है जो 18 माले की बताई जा रही है |
अब सुसाईड नोट की कुछ बातें हम कर ले तो इसमे लिखा है - कमिश्नर साहब , मेरी मौत का कारण इन्द्रजीत चौधरी , अमरीक संधू और उनका परिवार है | मेरे परिवार को 2/3 साल से मारने की धमकियाँ मिलती रही है , पर मै इन बातों को इग्नोर कर रहा था | आज मेरे घर 2 अज्ञात लोग आये , मेरे सिर पर रिवाल्वर तानी , मेरे पुरे परिवार को जान से मारने की धमकियाँ दी | मैंने पूछा कि आप कौन हो ? तो उनमे से एक ने मेरी विडियो कॉल पर अमरीक संधू से बात करवा दी |
अमरीक ने मुझे और मेरे परिवार को खत्म करने की बात कही जिससे मै डर गया था | संधू ने कहा कि - मोडल टाउन मकान का केस हाई कोर्ट में लगाया है , उससे पीछे हट जाओ | मैंने उससे कहा कि - वह जगह मेरे दादा की है और उन्होंने मेरे नाम कर दी है | इन्द्रजीत ने उनकी एक महिला से बात करवाई , तो वो बोली - एकबार बच गए हो ! तुमपर गोली चली थी | मगर अब नहीं बचोगे | वे लोग टाइम देकर चले गए |
इन्द्रजीत और अमरीक पावरफुल लोग है | उन्हें डरवाया गया कि - अफसर और जज उनके जानने वाले है , साथ हीं पांच - छः सरकारी व्यक्ति जिन्होंने लाखों रुपये लेकर समझौते के सरकारी कागज तहसील के अन्दर से ढूंढ लिए हैं |
सवाल है कि - किसी के धमकी से डरकर अनूप पाठक ने वगैर अपनी परिवार की सलाह लिए सुसाईड कर ली | जेब में सुसाईड नोट लिखने से बेहतर था कि सारी बातें वे पुलिस चौकी में जाकर दर्ज करवाते | क्या हालात कतना बुरा था कि उन्हें इतना भी वक्त नहीं मिला ?
पति - पत्नी का रिश्ता एक अटूट घेरे में बंधा होता है , जिन्हें अग्नि को साक्षी रखकर अपनाया जाता है | जिसे अनूप पाठक ने बिलकुल अलग कर के सिर्फ अपने जीवन और जिंदगी की शांति के लिए गलत रास्ता अपनाकर मुक्ति पा ली और इस धमकियों से जूझने के लिए अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़ गए | दिल का , मन का और खून का रिश्ता क्यूँ ठंढा पड़ गया ? ऐसे में हर पत्नी और बेटे का विश्वास क्या अपने पिता पर से उठ नहीं जाएगा ! या फिर कोई वह व्यक्ति जो वगैर सोंचे समझे ख़ुदकुशी का राह अपनाता है और अपने परिवार को तमाम उम्र अपनी जुदाई में रोने के लिए छोड़ देता है | क्या ऐसा नहीं लगता की उनका यह कदम सरासर गलत है !
ख़ुदकुशी करने के लिए किसी को भी बहुत सारी हिम्मत जुटानी पड़ती है | इससे बेहतर है कि सच्चाई से लड़ने के लिए हिम्मत जुटाई जाए | जिसमे परिवार , समाज और कानून का सहारा होता है | कोई भी इंसान इस धरती पर तन्हा नहीं , जिसके इन्साफ के लिए पंच परमेश्वर खड़ा नहीं होगा | .... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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