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बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की फोटो बंगाली स्कूल की टेक्स्ट बुक में शामिल किया गया है | किताब में जिस तस्वीर को उजागर किया गया है , वो सुशांत के सीरियल "पवित्र रिश्ता" जिसमे उनकी पत्नी का रोल अदा करने वाली अंकिता लोखंडे और उनके बेटे का रोल निभाने वाले चाइल्ड आर्टिस्ट भी दिखाई दे रहे हैं |
यह तस्वीर किताब में इस लिए इस्तेमाल किया गया है , ताकि बच्चों को परिवार का महत्व बताया जा सके | इस दर्शन में सुशांत सिंह राजपूत को एक पिता के रूप में चित्रित किया गया है |
सुशांत सिंह राजपूत को खोने का दर्द , आज भी पुरे भारत को है | खासकर उनके परिवार , उनके फैंस और मित्र - मंडली को | जब से सुशांत इस दुनियां से अलग हुए तब से उनके फैंस और मित्र सुशांत की हर हरकते व देश की हर आहट , जो सुशांत सिंह की तरफ बढ़ रहे है , उसे देश और विश्व तक पहुंचाते आ रहे है , ताकि उनकी यादें हर वक्त जिन्दा रह सके |
ऐसे में उनकी दोस्त अस्मिता पारिख ने टेक्स्ट बुक की पेज की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है :- एक और प्राइमरी बंगला बुक ने फैमली और फादर फिगर समझाने के लिए हमारे प्यारे दोस्त सुशांत की फोटो पब्लिश की है जिससे मुझे गर्व है | इससे साफ़ होता है कि हमारा एजुकेशन बोर्ड भी उन्हें सबसे अच्छा मानता है | उनके फैंस इस बात से बहुत खुश है |
एक यूजर ने लिखा :- वाह ! मै बस उन्हें देख रही हूँ , वे परफेक्ट पिता की तरह लग रहे हैं | उनकी फिल्म "छिछोड़े" को याद कीजिये , इसमें उन्हें देखने के बाद मै बहुत रोई थी |
वहीं दूसरे ने लिखा :- इसमें कोई संदेह नहीं कि SSR सबसे अच्छे हैं | हमें उनपर गर्व है , हमेशा सुशांत तुम याद आते हो , लव यु सो मच बेटा |
इससे पूर्व सुशांत सिंह राजपूत की फोटो बंगला प्राइमरी क्लास की विज्ञान की टेक्स्ट बुक में इस्तेमाल की जा चुकी है | इस तस्वीर की , इंसान और जानवर के बीच अंतर समझाने के लिए इस्तेमाल किया गया था |
सुशांत सिंह राजपूत सिर्फ अभिनेता नहीं थे , वे एक वैज्ञानिक दिमाग पहुँच वाले दूरदृष्टि के इंसान थे | जिन्हें बहुत दूर चाँद के उस पार की गति भी दिखाई पड़ती थी | 2018 में उन्होंने चांद पर भी जमीन ख़रीदा था | यह जमीन उन्होंने भूमि इंटरनेशनल लूनर लैंड रजिस्ट्री से ख़रीदा |
यह जमीन चाँद के सी ऑफ़ मसकोवी में है | सुशांत सिंह के नाम की यह जमीन का अधिकार 25 जून 2018 को मिल चूका है | सुशांत चाँद पर एरिया क्षेत्र खरीदने वाले पहले एक्टर हैं , जो इतिहास में अंकित हुआ |
बिहार के इस बेटे का हौसला व इरादा इतना मजबूत था कि लोग इनके साथ लम्बी रेस तक नहीं करना चाहा | मालुम था सभी को , कि इनके व्यक्तित्व व कृतित्व के सामने कोई ज्यादा वक्त तक ठहर नहीं सकेगा | बॉलीवुड के क्षेत्र में इतनी ऊँची सोंच व पढ़ा - लिखा अभिनेता शायद नहीं |
सुशांत की सोंच तो चन्द्रमा की पहुँच से भी आगे तक की थी , जिसे देखने के लिए लोगों को सर उठाने तक में कठिनाई होता रहा और उसी का नतीजा था की वह आज इस दुनियां में नहीं होकर भी इस धरती पर लोगों के दिलों में पढ़ाई वाली पुस्तक के पन्नों में पटते जा रहे हैं | यह उनकी व उनके फैंस की हार नहीं जीत है और जीत तो बस जीत होता है , सुनहले रंगों में / रुपहले रंगों में और इन्द्रधनुषी रंगों में |
हर दिन सुशांत के लिए एक श्रधांजलि उनकी याद बनकर दिलों में दस्तक देती है और देती रहेगी | क्यूंकि सुशांत आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा हैं हकीकत बनकर | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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