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श्याम बेनेगल की फिल्म "अंकुर" से अपनी कैरियर की शुरुआत करने वाले भारत के प्रसिद्द पाश्चात्य शास्त्रीय संगीतकार "वनराज भाटिया" का आज सुबह मुंबई में अपने आवास पर निधन हो गया , वे 93 वर्ष के थे | भाटिया दिल्ली विश्वविद्यालय के रीडर भी रहें | इन्होने हीं विज्ञापन फिल्मों कि पहल कर , अलग से संगीत रचने की कला की शुरुआत करके एक इतिहास रचा |
वनराज भाटिया का नाम , भले हीं लोगों के दिमाग से फिसल गया हो | मगर हम याद दिला दे की दूरदर्शन से प्रसारित होने वाला धारावाहिक जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू की रचना "भारत एक खोज" पर सीरियल बनाया गया , तो इसका संगीत वनराज भाटिया ने हीं दिया था | वहीं कभी न भुलने वाला सीरियल :- वागले की दुनियां , बनेगी बात अपनी , खानदान आदि कई सारे ऐसे नाम है , जो घर - घर में सिर्फ दस्तक हीं नहीं दिया बल्कि प्रसिद्धि भी प्राप्त की | वहीं 1988 में टेलीवजन पर रिलीज हुई फिल्म "तमस" इसके लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ था | उसके बाद 1989 में भी संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया |
आरंभिक दौर 1974 में फिल्म अंकुर के रिलीज के बाद श्याम बेनेगल से इनका रिश्ता काफी गहरा बन गया और तब से वनराज भाटिया श्याम बेनेगल के अधिकांशतः फिल्मों में अपना संगीत दिया |
गोविन्द नेह्लानी , अर्पणा सेन , सईद अख्तर , कुंदन शाह , विधु विनोद चोपड़ा , कुमार साहनी आदि के साथ प्रकाश झा की पहली फिल्म "हिप हिप हुर्रे" का संगीत भाटिया ने हीं दिया | अमिताभ की फिल्म अजूबा , सन्नी देओल की दामनी और शारुख खान की फिल्म परदेश के साथ मंथन , भूमिका , जाने भी दो यारो , 36 चौरंगी लेन , द्रोहकाल आदि जैसी फिल्मों से प्रसिद्धि पाई |
इनका जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ | प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद देवघर स्कूल ऑफ़ म्यूजिक में भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखा | 4 वर्ष तक लगातार पियानु की शिक्षा ग्रहण की , पश्चात मुंबई के एलफिन्सटन कॉलेज में संगीत से एम०ए० करने के बाद हॉवर्ड फरगुसन , एलन बुश और विलियम एल्विन जैसे संगीतकारों के साथ रॉयल अकादमी ऑफ़ म्यूजिक , लंदन में संगीत की रचना करनी सीखी | तो यहाँ उन्हें सर माइकल कोस्टा स्कॉलरशिप मिला और फिर फ़्रांस की सरकार ने रॉकफेलर स्कालरशिप प्रदान की |
वनराज भाटिया 1959 में भारत लौटे और पहला विज्ञापन शक्ति सिल्क साड़ी में संगीत दिया | इसके बाद उनके पास विज्ञापन फिल्मों की लाइन लग गई
93 वर्षीय भाटिया का शरीर भले हीं थक गया , मगर दिमाग थका नहीं था , वो काफी समय से बीमार चल रहे थे | बॉलीवुड फिल्मे , टीवी शोज , डाक्यूमेंट्री फिल्म और एल्बम के संगीत के साथ विज्ञापन फिल्मों में जमकर नाम कमाया और अपनी एक अलग पहचान बनायी |भारत सरकार ने 2012 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया |
आज वनराज भाटिया के निधन से उनके फैंस शोकाकुल है | फ़िल्मी हस्तियों के साथ हीं राजनीति चेहरे भी उन्हें भावभीनी श्रधांजलि अर्पित कर रहे हैं |
आज संगीत देने वाला एक साधक दिमाग का अंत हो गया | मगर ! उनकी कृति सदैव जीवित रहेगी याद बनकर | क्यूंकि सीरत कभी मरता नहीं और न हीं मुरझाता है | वो तो सदैव खिलता हुआ गुलाब की तरह , सारे जहाँ में अपनी खुशबू फैलाती है |
वनराज भाटिया अपनी इस महानता के लिए सदैव याद किये जायेंगे | इनका लगाया गया गुलशन हमेशा संगीत की बहारों में लहराता रहेगा |
....................... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क ) .............................
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