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कोई ऐसा कल तुम याद दिला दो , जब तुम्हें याद किये न हों ! और कोई ऐसा पल तुम याद दिला दो , जब तुम्हें याद कर हम आंसू गिराए न हो |
आज बॉलीवुड के उभरते हुए अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पहली पुण्यतिथि है | आज हीं के दिन सुशांत ने इस दुनियां को अलविदा कह दिया | किसी ने सपने में भी नहीं सोंचा था कि बंधन यूँ टूट जाएगा और कश्ती भंवर में डूब जायेगी | आज पुरे 1 वर्ष हो गए जुदा हुए , मगर ये दावे के साथ कहा जा सकता है कि - उनके परिवार के सदस्यों के साथ - साथ उनके फैंस ने भी कोई ऐसा दिन नहीं गुजारा होगा , जब सुशांत का चेहरा पास न आया हो |
सुशांत की मृत्यु का रहस्य आज भी असुलझा सा है | अब वक्त पर निर्भर करता है , वो किस घड़ी अपने मिजाज को बदलेगा , जिससे सुशांत के उमरते हुए दर्द का , लोगों को पता चल सके कि आखिर उस दिन हुआ क्या था ?
सुशांत के जाने के बाद उनकी फिल्म छिछोरे को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का 67 वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया | हाल हीं में पश्चिम बंगाल के स्कूल में भी सुशांत सिंह राजपूत और अंकिता लोखंडे की तस्वीर जो टीवी सीरियल पवित्र रिश्ता से ली गई थी को बच्चों की किताब में दर्ज की गई | ताकि बच्चें अपनी जिंदगी में , अपनी अहमियत और भारतीय संस्कृति को बरकरार रख सके |
21 जनवरी 1986 को बिहार के पूर्णिया की धरती पर एक ऐसा सपूत पैदा हुआ , जो बहुत हीं कम समय में स्वयं को हीं नहीं निखारा बल्कि अपने पास अपने दोस्त , समाज और देश को भी गरिमामय बनाने की तरफ कदम बढ़ाने की शुरुआत की | परन्तु मंजिल पर पहुँचने से पहले हीं , कदम बीच रास्ते में विछिप्त हो गया | उस वक्त उन्होंने कैसा दर्द झेला होगा , भोग होगा , सुनकर / सोंचकर रोंगटे खड़े हो जाते है |
टीवी से शुरू होकर फिल्म तक का सफ़र तय करना , एक उगता हुआ सूरज का हीं काम हो सकता है | देखा जाए तो , सूर्य पर भी कभी - कभी ग्रहण लग जाता है , लेकिन छनिक | परन्तु सुशांत के सांसों पर ऐसा ग्रहण लगा कि सांसे हीं थम गई और शरीर निष्पंद , क्लेवर बनकर रह गया |
सुशांत के पिता एक सरकारी अधिकारी से सेवा निवृत है |
चार बहनों का एकलौता भाई , राखी बांधने का हक़ छिनकर दूर चला गया |
ये ऐसा सफ़र , जहाँ से कोई वापस नहीं आता | वो कौन सी दुनियां है , जहाँ से कभी न वापस आने के लिए इंसान चला जाता है | काश ! कि विज्ञान इसपर ऐसा खोज कर पाता , तो जाने वाले के लिए इतना दुःख भी नहीं होता |
काश ! कि चाँद पर भी लोग रहना शुरू कर देते , जैसे सुशांत सिंह राजपूत ने चाँद पर जमीन ख़रीदा था | 25 जून 2018 में सुशांत ने भूमि इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री से जमीन खरीद कर अपने नाम करवाई थी | उनकी जमीन चाँद के सी ऑफ़ मसकोवी में मौजूद है | जैसे लोग फॉरेन जाते है , सुशांत भी चाँद पर रहने के लिए चले जाते तो किसी को गम न होता | मगर सुशांत न विदेश गए न चाँद पर और वर्षों परिवार और फैंस , उनकी जुदाई / विदाई का मर्म पीकर बेकल / बेहाल होते रहे |
सुशांत का मुस्कुराता चेहरा , बोलती आँखे और सोंचता दिमाग , आने वाले कल में , भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि साबित होती | परन्तु यह दुर्भाग्य है की , एक जीनियस व्यक्तित का धनी स्टार , समय से पहले इस दुनियां को अलविदा कह दिया |
सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म जिसे देखकर लोग उन्हें , अपने पास महसूस करेंगे :- काय पो छे , शुद्ध देसी रोमांस , PK , डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी , MS Dhoni the Untold Story , सोन चिड़िया , छिछोरे , राब्ता , वेलकम टू न्यू यॉर्क , केदारनाथ ड्राइव आदि के साथ हीं आखिरी फिल्म दिल बेचारा , जो उनके जाने के बाद रिलीज हुआ | फिल्म से पहले , टीवी स्क्रीन पर उनका पहल शो स्टार प्लस का रोमांटिक ड्रामा किस देश में है मेरा दिल , जो 2008 में था | उसके बाद जी टीवी के लोकप्रिय शो पवित्र रिश्ता 2009 से 2011 में | फिल्म कैरियर की शुरुआत 2013 में काय पो छे से की |
अभिनय के आलावा सुशांत खगोल भौतिकी में भी रूचि रखते थे | उन्होंने कुछ प्रौधिगिकी एवं सामाजिक सारोकारों से सम्बंधित कंपनीयों की भी स्थापना की , जिसमे वे सह निर्देशक भी थे |
बड़े हीं दुःख की बात है 14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत का शरीर उनके फ़्लैट के अन्दर पंखे से लटका हुआ मिला | जिसकी जांच CBI द्वारा आज भी जारी है | ........... ( न्यूज़ / फीचर :- एम० नूपुर )
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