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"हकीकत"
एक कड़वा सच है "मौत"
जो जिंदगी को बेनकाब कर जाती है
और हर सपने को लहू - लुहान
फिर भी !
बचा रह जाता है एक ख्वाब , हर किसी की आँखों में
काश ! जिंदगी कुछ पल और मेहमान बन जाती
तो हर इंसान जी पाता , अपनों के लिए कुछ पल / कल
सूरज का उगना / अस्त होना
शायद ! यहीं स्वरुप है जिंदगी का
काश ! पहले जान लेता हर आहट
तो मुठ्ठी में भर लेता , हर पल / क्षीण
और जीने का मकसद पूरा हो जाता
आज मौत को करीब से देखा तो , समझ में आया
जिंदगी क्या चीज है ?
( कविता :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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