UPSC's Student Ankit Chahal and Simran Commited Suicide| UPSC में अंकित चहल और सिमरन सफलता न मिलने से किया ख़ुदकुशी , ठहरिये जरा ... Bhavyashri News
- by Admin (News)
- Aug 09, 2021
चंडीगढ़ में सैक्टर 37 और 38 में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है | जिसमे 4 घंटे के अंतराल पर दो जिंदगी ने अपनी जीवनलीला समाप्त करने का फैसला कर दर्दनाक कदम उठाते हुए , फंदे से लटककर अपनी जान दे दी |
ये दोनों मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले थे | लड़के का नाम अंकित चहल था , जिसकी उम्र 30 वर्ष थी , यह हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले थे | वहीं 29 वर्षीय लड़की का नाम सिमरन था |
सैक्टर 39 के थाना पुलिस ने दोनों हीं मामले की जांच में CRPC की धारा 174 के तहत करवाई कर जांच आरम्भ कर दी है | जांच के दौरान पता चला कि - दोनों UPSC की परीक्षा में सफल न होने के कारण अपनी जान दे दी | यह परीक्षा देने का उनका आखिरी मौका था |
चादर के फंदे से लटके अंकित को नीचे उतारकर GMSH-16 पहुंचाया गया , जहाँ डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दी | मरने से पहले अंकित ने कोई सुसाईड नोट नहीं लिखा था | अंकित बीते 4 वर्षों से सेक्टर 37C के मकान में किराये पर रह रहे थे | परीक्षा में लगातार असफल होने के कारण वे मानसिक रूप से परेशान थे | अंकित के दोस्त जब पढ़ाई के सिलसिले में उनके कमरे में पहुंचे तो वह कमरे में नहीं थे | इधर - उधर ढूंढने के क्रम में जब उन्होंने वाशरूम में झाँका , तो वहां अंकित का शव एक हुक के सहारे चादर से झूलता देखा | फिर उसके बाद पुलिस व अंकित के परिजनों को सूचित किया गया |
पुलिस मौके पर पहुंची और अंकित के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया | फिर जाँच के लिए अस्पताल के मॉर्चरी में रखा गया , ताकि मौत का पता लगाया जा सके |
लेकिन पुलिस जाँच के क्रम में उन पहलुओं को भी अपने शक के आधार पर खंगाल रही है , क्यूंकि इसी दिन चार घंटे के बाद सैक्टर 38 से भी 29 वर्षीय एक लड़की जिसका नाम सिमरन था और वह भी UPSC की परीक्षा में असफल रही | असफलता से क्षुब्ध सिमरन ने अपने घर में रस्सी से फंदा लगाकर स्वयं को समाप्त कर लिया | सिमरन को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया , जहाँ डॉक्टर ने उसे भी मृत घोषित कर दिया | सिमरन के शव को भी पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में रखवा दिया गया है |
सिमरन ने अपने गले में फंदा उस वक्त लगाया , जब उसकी माँ और भाई घर से बाहर गए हुए थे | जब वह दोनों वापस आये तो देखा कि - सिमरन कमरे में रस्सी के सहारे पंखे से लटकी हुई थी | पुनः सेक्टर 39 थाने को इस बात की सूचना दी गई | मौके पर पहुंचकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी , परन्तु यहाँ भी कोई सुसाईड नोट बरामद नहीं हुआ |
एक हीं दिन में 4 घंटे के अंतराल पर , एक 30 वर्षीय लड़का और 29 वर्षीय लड़की , दोनों स्टूडेंट और वह भी UPSC के और दोनों का यह आखिरी मौका और दोनों का हीं असफल हो जाना | ऐसा तो नहीं कि इन दोनों का कोई अंदरूनी रिश्ता भी था जिससे दोनों ने मिली भगत करके इस गुनाह को अंजाम दिया हो और अपनी जिंदगी का इतिश्री कर लिया हो , पुलिस इस एंगल से भी जाँच कर रही है , ताकि दोनों के मृत्यु का साक्ष्य सामने आ सके |
आज की युवा पीढ़ी अपनी असफलता से इतना बड़ा कदम उठा रहे है, जिससे लोगों पर बहुत हीं गहरा असर पड़ता जा रहा है | अगर परीक्षा में असफल हो गए , तो दुनियां में बहुत सारे मुकाम व मंजिल है , जिसे हम पा सकते है / जी सकते है और लोगों के लिए भी एक खुबसूरत सा मुकाम तैयार कर सकते है | लेकिन बच्चे इस तरह घबरा जायेंगे और ख़ुदकुशी करते रहेंगे , तो उन माँ - पिता और परिवार का क्या ? जिन्होंने इनको पैदा किया , अपने खून - पसीने से सींचा , अपनी नींदे खराब की और अपनी पूरी जवानी इनको बड़े करने में मुस्कुराते हुए गुजार दिया | यह सोंचकर कि - ये बच्चे हमारे बुढ़ापा का सहारा बनेंगे | ऐसे बच्चे को क्या नाम दिया जाए ? जो माँ - बाप का सहारा बनना तो दूर स्वयं का सहार नहीं बन सकते और कोई ठोस निर्णय लेकर अपनी दुनियां में एक नया पौधा नहीं लगा सकते | इन्हें सिर्फ वहीं पौधा चाहिए , जिसपर आम लगा हो | ऐसे बच्चे जो पूर्णरूप से पढ़े - लिखे हैं , वह नई रौशनी की तलाश क्यूँ नहीं करते ? कुछ नया करने की क्यूँ नहीं सोंचते ? जिससे पूरी दुनियां को फायदा हो |
आज के ग्लोबल युग में जहाँ हर चीज घर बैठे हम पा सकते है / कमा सकते हैं , जिसके लिए सिर्फ पढाई चाहिए और अंकित , सिमरन के पास पढ़ाई का खजाना था | मेरे ख्याल से फेल हो जाना असफलता की निशानी नहीं है ! एक रास्ता ब्लॉक हो जाए तो हमें दूसरा रास्ता बनाना चाहिए |
हमें याद आ रहा है - बिहार के गया जिले के करीब गहलौर गाँव के रहने वाले दशरथ मांझी का जो एक बहुत हीं गरीब मजदूर थे | लेकिन अब उनकी पहचान "माउंटेन मैन" के रूप में किया जाता है | एक हथौड़ा और छेनी की सहायता से अकेला 360 फूट लम्बी , 30 फूट चौड़ी और 25 फूट उंचाई वाले पहाड़ को काटकर एक सड़क का निर्माण कर दिया | यह तब हुआ , जब अपनी गर्ववती पत्नी को हॉस्पिटल पहुंचाने में उन्हें दूसरे रास्ते से जाने में काफी समय लग गया , जिसकी दूरी 55 किलोमीटर थी | कुछ समय बच जाता तो उनकी पत्नी की सांसे भी ठहर जाती | मगर ऐसा हुआ नहीं रास्ता बहुत लम्बा था |
उनकी पत्नी समय पर अस्पताल न पहुँचने से इस दुनियां को अलविदा कहा | दशरथ मांझी बहुत दुखी हुए | परन्तु उन्होंने चिंता नहीं चिंतन करना शुरू किया कि - अन्य लोगो को भी यह दुःख झेलना न पड़े , यहीं से उनका दौर शुरू हुआ और 55 किलोमीटर के रास्ते को बीचो - बीच पहाड़ को छेनी की सहायता से तोड़कर उन्होंने 15 किलोमीटर का रास्ता बना दिया |
काश ! यह रास्ता पहले बना होता , तो उनकी जीवनसंगनी की जान नहीं जाती | परन्तु दुःख में हीं सुख है छुपा | जरुरी नहीं कि स्वयं के सुख के लिए जीया जाए | भारत हमारा है , भारत के लोग हमारे है , फिर भारतवासी की ख़ुशी के लिए क्यूँ नहीं जीया जाए ? और दशरथ मांझी का यह त्याग कि इनकी जिंदगी पर फिल्म भी बनाई गई है | आज दशरथ मांझी इस दुनियां में नहीं , मगर हम उन्हें याद करते है | क्यूंकि उन्होंने अपने हीं हाथों एक इतिहास लिखा और इतिहास बन गए | जब तक धरती / आसमान / सूरज / चाँद / सितारे मौजूद रहेंगे , दशरथ मांझी सदैव याद किये जायेंगे | एक गरीब मजदूर जिन्हें भरपेट खाने के लिए रोटी नहीं , उन्होंने तो एक मिशाल कायम कर दिया और विश्वविख्यात बन गए |
तो आज के युवा पीढ़ी जो पढ़े - लिखे हैं , जैसे कि अंकित और सिमरन दोनों UPSC की तैयारी में फेल हो गए , तो क्या हो गया ? दुनियां में और परीक्षा या और उद्देश्य नहीं था ! खैर ..... हम बस इतना कहना चाहते है कि - ऐसे बच्चे ख़ुदकुशी करने की सोंचे भी न ! क्यूंकि अपने लिए हीं जीना सिर्फ जीना नहीं होता है , अपनों के लिए भी जीना बहुत बड़ी बात होती है | इसलिए बच्चों को मरने की बात सोंचना हीं नहीं चाहिए | ऐसे बच्चें को हम सलाह देंगे कि - वह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म तैयार करे जिसमे रौशनी हीं रौशनी हो और ख़ुदकुशी करने वाले बच्चे इसी प्लेटफ़ॉर्म को अपनी मंजिल बना ले | याद रहे जिंदगी न मिलेगी दूबारा , जिंदगी को संभालकर रखिये | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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