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"भोर"
दिल चाहता है तेरे घर के सामने , मै भी अपना घर बनाऊं
समुन्द्र से मोती बीनकर उसे सजाऊ
तुम मेरे करीब हो , यह मेरा भ्रम तो नहीं !
कि तुम साथ रहो , तन्हा प्यास तो नहीं
गर तुम साथ - साथ हो , तो डरने की क्या बात
मंजिल ढूँढ हीं लेंगे , दिन हो या रात
यह मेरा सपना तो नहीं !
गर सपना है , तो मुझे जगाना नहीं
और दूर मुझसे कहीं जाना नहीं
कविता :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से
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