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"दस्तक दिलों पर"
आओ झूठे अहम को छोड़ दे
जो भ्रमित करे , ऐसे भ्रम को तोड़ दे
अपने भारत को स्वच्छ , सुन्दर , इन्द्रधनुषी बनाए
स्वाभिमान की रक्षा करे और जिंदगी को मोड़ दे
छतीस ( ३६ ) बन हम क्यूँ अकड़ रहे है ?
तिरसठ ( ६३ ) बनकर क्यूँ नहीं चल रहे हैं !
तन्हा रहने की क्या जरुरत है ?
छोटी सी जिंदगी में क्यूँ पतझड़ सा पवन है !
आओ एकता की बात करे
एक दूसरे के साथ चले
जिंदगी तो ऐसे भी कट जायेगी सड़को पर
लेकिन क्यूँ न हम प्रेम की बरसात करे
सावन आ गया है भींगने की तैयारी करो
इन्द्रधनुषी रंग कैसे खिल रहा है आसमान में ? एलान जारी करो
आओ चलो हम मिलकर उनका दीदार करे
भूलकर हर गिले - शिकवे एक दूसरे से प्यार करे
चलो कहीं से , रुको कहीं पर
लेकिन चौराहे पर मिलना जरुरी है
कब तलक रहेगा बगिया बिन माली के
उजड़ी हुई बगियाँ में , फूलों का खिलना जरुरी है
कभी तुम आवाज दो , कभी हम आवाज दे
लेकिन एक दूसरे से बात करें
जीवन , समुन्द्र में चलने वाली बस एक नैया है
कब साहिल मिल जाए ? कुछ खबर नहीं नगन्य खेवैया है
हम चाँद पर पहुँचने की राह तकते है
और चाँद पर घर बसाने की बात करते है
कितनों ने तो जमीन भी खरीद रखा है , उस जहाँ में
लेकिन जमीन पर हम कहाँ प्यार से बात करते है ?
कितना हौसला है , आखिर कितना कमायेंगे ?
जितना कमाया , क्या सब ले जायेंगे !
तो फिर हम एक - दूसरे को भी मौका क्यूँ नहीं दे जाते ?
बूंद - बूंद करके अंजूरी में शबनम क्यूँ नहीं भर पाते !
तुम गीत बनो हम संगीत बने , सच के चौराहे पर
छोटी सी जिंदगी है , आओ बात करे प्यार की राहों पर
रात ढल जायेगी , फिर निकलेगा गुलाबी भोर
क्यूँ नहीं टाँके हम मिलकर , सतरंगी उमंग का शोर !
कविता :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से
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