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25 फरवरी 1974 को , मुंबई की धरती पर मीता भारती की गोद में ईश्वर ने एक ऐसा अनमोल तोहफा दिया , जो यौवनअवस्था में कदम रखते हीं बहुत तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ मात्र 19 साल की अवस्था में कई दक्षिण व दर्जनों हिंदी फिल्मों में काम किया | जो आज भी न्यू कमर अभिनेत्री के लिए एक रिकॉर्ड है | अपनी अभिनय विविधता से उन्हें अपनी पीढ़ी का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ | अभिनय के अतिरिक्त एक प्रभावशाली व्यक्तित्व की छवि , चुलबुलापन , मासूमियत से भरा जो तोहफा था , उसे प्रकृति ने कहर बरसाकर मीता भारती की गोद से छीनकर मात्र 19 साल की अल्पायु में हीं मृत्यु की सैया पर सुला दिया | उस वक्त उनके चाहने वालों का जो हाल हुआ , उसे शब्दों में नहीं व्यक्त किया जा सकता | दिव्या भारती फिल्म इंडस्ट्री के लिए इस धरती पर एक तौहफा बनकर आई थी , मगर इंडस्ट्री ने उन्हें संभाल न पाया |
करोड़ों लोगो के दिलों में प्यार बरसाने व पाने के लिए दिव्या भारती को मात्र 19 वसंत ही मिले थे , प्रकृति से उधार में | समय बलवान होता है , उसकी आंधी से आज तक कोई बच नहीं सका , यह मानना होगा | जब पल की खबर नहीं , तो क्यों सोचते हैं लोग कल की ! एक तरफ आसमान को छूने के लिए तेजी से बढ़ते दामन , उस दामन को समय ने भर दिया सौंदर्य , शोहरत धन से भरा पारस मणि देकर |
सात समंदर पार में तेरे पीछे पीछे आ गई दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय रहा एवं अपनी एक अलग पहचान बना ली | यह गाना विश्वात्मा का है , जिसे अदाकारा दिव्या भारती पर फिल्माया गया था |
फिल्म दीवाना जिसमे ऋषि कपूर और शाहरुख़ खान के साथ दिव्या भारती दिखीं | दीवाना तो सुपरहिट हुआ हीं | साथ हीं इसे देख लोगों व उनके फैंस की दीवानगी हद से गुजर गई | क्यूंकि दीवाना एक शिक्षाप्रद फिल्म था , इसके बाद कई लड़कियों की जिंदगी सवंर गई और विधवा विवाह का प्रचलन भी काफी तेजी से बढ़ने लगा | क्यूंकि सेलेब्रिटी का असर दर्शकों पर खूब पड़ता है | दिव्या भारती की जब मृत्यु हुई , तो कितनों के घर में चूल्हे नहीं जले थे |
आज फिर यादें ताजी हो गई , जो सालों से सोई पड़ी थी | बेचैन मन की जुदाई तड़प बनकर पलकों से झड़ते चले गए | पाषाण आंखें भी इस सैलाब मे डूबो गया दर्द की इस उफनती हुई दौर को , कहीं साहिल न मिला |
फिल्म दिल का क्या कसूर मैं भी उनकी मृत्यु सब को रुलाया था | परन्तु वह रोना सिनेमाघर तक का हीं था | लेकिन यह आंसू तो तमाम उम्र के लिए जब्ज हो गया | वहीं कई दिलों की चाहते समंदर बन गया था जुदाई सुनकर और रेत बनकर बहता चला गया पल-पल जिंदगी के हर कल में |
उन्होंने फिल्म की शुरुआत 1990 में प्रदर्शित तेलुगू फिल्म "बबली राजा" से की , वहीं बॉलीवुड में करियर की शुरुआत 1992 में प्रदर्शित राजीव राय की फिल्म "विश्वात्मा" से की | 1992 में हीं दिव्या भारती ने शोला और शबनम , दिल का क्या कसूर , दीवाना , बलवान , दिल आशना है आदि में काम किया |
दीवाना के लिए उन्हें फिल्म फेयर की ओर से नवोदित सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया | उनका जन्म मुंबई में हुआ था | उनके पिता ओम प्रकाश भारती , जो एक बिमा कंपनी के अधिकारी थे कि सबसे बड़ी संतान थी |
1992 में उन्होंने जाने-माने फिल्मकार साजिद नाडियाडवाला के साथ अपने परिवार को बताए बिना प्रेम विवाह किया था | उनकी व्यक्तिगत जिंदगी भी एक फिल्म बन कर रह गई | शादी के 1 साल बाद हीं यह घटना घटी | आश्चर्य की बात है कि ! उस वक्त उनके बिल्डिंग में कई करीबी मित्र मौजूद थे और उनके उपस्थिति में वह वर्सोवा स्थित फ्लैट के पांचवें माले से गिर पड़ी या फिर जबरन गिरा दी गई , कहा नहीं जा सकता है | लेकिन उनकी मौत आज भी एक रहस्य बना सच्चाई उमड़ने का दस्तक दे रहा है |
गहन तहकीकात के बाद भी यह आश्चर्य की बात है कि - उन निर्माताओं पर तो गाज हीं गिर पड़ा था , जिन्होंने अपनी फिल्म के लिए उन्हें अनुबंधित किया था | फिल्म लाडला के लिए भी वे अनिबंधित थी , जिसे बाद में श्रीदेवी ने किया | दिव्या भारती का चेहरा कुछ हद तक श्रीदेवी से मिलती जुलती थी |
धरती से अलविदा कह कर , आसमान की सितारे बनी दिव्या भारती की जुदाई व कमी आज भी तड़पा जाती है अनगिनत दिलों को |
तुम याद आए , बहुत याद आए , इतना कि मन समंदर बन गया
और जुदाई नहला गया तन को
न मर सके न जी सके , मगर जिंदा है तड़प को दामन में समेटे हुए
पीते रहे गम , कैसे बताएं , क्या क्या बताएं ,कैसे सुबह को समेटा आँचल में !
तुम याद आए , बहुत याद आए , जब याद आए !
स्वाभाविक मृत्यु में लोग अपने दिल को तसल्ली देकर मना लेते हैं और जी लेते हैं बिरहन भरी जिंदगी | लेकिन वही गर किसी दुर्घटना से अपनों की मृत्यु हुई हो , तो दिल व मन पागल / बेचैन होकर जिंदगी की आखिरी सांसे तक उसके लिए तड़पता रह जाता है , बिन पानी मछली की तरह |
यह कमी तो सदा खलती ही रहेगी , जुदाई उनकी हर दिल में धड़कन बन पलती रहेगी | ईश्वर न करें ऐसा दिन किसी की जिंदगी में आए ! जब मां की गोद सूनी पर जाए और पिता के दामन से कभी लाडली का साथ न छूटे | ......... ( फिल्म जगत से :- भव्याश्री डेस्क )
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