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*सावन में भींगना , छतरी के नीचे छुप जाना
बरसाती पहनकर दौड़ना
मुझे अच्छा लगता है
*बरसता के मौसम का क्या कहना
यह मौसम रोमांटिक कहलाता है
मस्ती मे मन को ढालना / साहित्य गढ़ना
गर्म - गर्म पकौड़े चाय के साथ खाना
मुझे अच्छा लगता है
*इंतज़ार बसों का हो या ट्रेन का
जब ज्यादा जरुरी न हो समय पर पहुंचना
तो चबूतरे पर बैठकर यात्रियों को निहारना
लाल , नीली , पीली , चंपा , बैगनी पोशाक में उन्हें देखना
उनकी गेंसुओं से पानी का टपकना
उनकी होठों पर मुस्कराहट का खिलना
स्वयं का मोबाइल पर अपनों से बाते करना
मुझे अच्छा लगता है
*मुझे अच्छा लगता है , बेघर को छत देना
नंगे बदन पर कपड़े डालना
भूखे को दो वक्त की रोटी का जुगार
थपड़ी बजाती सखियों को धन देकर दुआ लेना
बच्चों की उंगली में कलम फंसाना
मुझे अच्छा लगता है
*इंतजार करती पत्थरीली नयनो पर
शब्दों का मीठा सावन बरसाना
लवों पर सरसों के फूल उगाना
कलयुग में सत्ययुग को जिन्दा रखना
मुझे अच्छा लगता है
*जाति - धर्म से कोसों दूर बेपरवाह
गरीबी - अमीरी , शहरी - ग्रामीण से उन्मुक्त
एक नज़र रंगों से रंग जाना
मुझे अच्छा लगता है
*मुझे अच्छा लगता है हिंदी बोलना
भारतीय कहलाना , खादी पहनना
खुशियों से पतंग की डोर को लेकर समन्दर की रेत पर भागना
रंग -बिरंगे गुब्बारे फोड़ना
मुझे अच्छा लगता है
*मुझे अच्छा लगता है , सावन में खुशियों का बरसना
इन्द्रधनुषी भोर के बीच नहाना / गुनगुनाना
झूले पर झूलते हुए अपनों को हँसाना
कंधे पर बच्चों को लेकर लोरी सुनाना
मुझे अच्छा लगता है , मुझे अच्छा लगता है , हाँ ये सब सच्चा लगता है |
( कविता :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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