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"फ़रियाद"
टिमटिमाते ये तारे
आज भी मुझसे कुछ कहती है
ढलती हुई रात में
मेरी नज़रों की दर्द को वो सहती है
तेरा साथ अगर होता तो जिंदगी गुजर जाती
सारी दुनियां की ख़ुशी अपनी गोद में आ जाती
संभाले नहीं संभालता अपने प्यार को
अब तो दिल भी नहीं लगता तेरे इस दीदार को
अपनी प्यार की दास्तां इसी तारे को तो सुनाता हूँ
छोटी सी फ़रियाद इसे हीं तो बताता हूँ
मेरी प्रियतमा को तुम मेरे पास तो ले आना
तन्हा भरी मेरी रात को जाकर उसे सुनाना
देखना मुझे पाने वो आसमान से आ जाएगी
तेरे हीं सामने मेरे हाथों में सो जायेगी
कहीं ऐसा तो नहीं , जलता है तू
तुझे छोड़कर वो मेरे पास दौड़ती हुई आ जाएगी |
( कविता :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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