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आज 19 नवम्बर है शुक्रवार कार्तिक मास की पूर्णिमा | इस पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी | आज के दिन हीं गुरुनानक देव जी की जयंती मनाई जाती है | आज के दिन हीं भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था , इसे उनका पहला अवतार कहा गया है | जब वह प्राचीन समय में प्रलय के कारण मत्स्य अवतार लेकर पुरे संसार की रक्षा की थी | इस पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में मानाने का चलन है | इसी कारण से इस पूर्णिमा को देव दीपावली कहा जाता है |
शुक्रवार को कार्तिक मास पूर्णिमा के बाद अगहन की तिथि आरम्भ होगी | आज सुबह सवेरे पवित्र नदियों में स्नान , दान - पुन्य , आरती , मंदिर के दर्शन व भजन व हवन करने से अक्षय पूण्य की प्राप्ति मिलती है | आज के दिन लोग भगवान सत्यनारायण की पूजा करवाते है , वहीं इनकी पाठ करते व सुनते है | जरूरतमंद लोगों को आज के दिन किसी भी तरह का दान देने से पूण्य की प्राप्ति होती है | भूखे को भोजन देने से ऐसी मान्यता है कि - भगवान विष्णु उस व्यक्ति को कभी भूखा नहीं छोड़ते , उसके सर पर भगवान का आशीर्वाद सदैव बना रहता है |
कार्तिक मास की पूर्णिमा को त्रुपुरारी पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है कि - आज के दिन हीं भगवान शिव ने त्रिपुराशुर नाम के दैत्य का वध किया था | सभी देवी देवता व समय की पूजा आपको उन बुलंदियों पर पहुंचा सकती है , जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते | मान्यता ऐसी हो कि कभी भी लोगों को गलत रास्ते पर कदम नहीं बढ़ानी चाहिए | जो भी लोग आस्तिक है और जिन्हें देवी देवताओं के यश / आशीर्वाद प्राप्त है , वो भलीभांति इस बात को जानते है - देने की क्षमता स्वयं में रखनी चाहिए | जिस तरह हम मंदिर में कुछ मांगने के लिए पहुंचते है , स्वयं के पास भी उसी तरह लोग पहुंचते है | इसलिए याचक को कभी भी खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए | अपनी हुनर / ताकत / शक्ति और धन आखिरकार आप किसपर खर्च करेंगे ? यह बहुत हीं महत्वपूर्ण सवाल है | अपने परिवार / बच्चे या जान पहचान वालो पर | लेकिन कोई अन्य भी तो इस सुख का भागीदार बन सकता है | जैसे कि - मंदिर में किसी ईश्वर या देवी के पास सभी को एक सा आशीर्वाद प्राप्त होता है |
आज
के दिन का महत्व एक अलग रूप में हीं धरती पर विराजमान है | जिसमे सबसे आगे
कर्म को धर्म के मार्ग पर चलने की निष्ठा स्वयं में मौजूद कर कदम आगे
बढ़ानी चाहिए | वैसे कहा जाए तो - आज का दिन साल में एक बार आता है | परन्तु
इंसान चाहे तो आज के दिन की भावना को हम सालो साल अपने मन में मौजूद कर एक
विस्तृत योगदान संसार भर को दे सकते है | अपने हाथ में है नदी की निर्मल
धार को बहाना , सदैव देने की आरजू रखने वाले के पास कभी किसी चीज की कमी
नहीं होती | ......... ( अध्यातम फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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