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मै हवा हूँ , हवा ही रहूँगा
तुझे पाने को तड़पता ही रहूँगा
नजरो से चुराकर देखता ही रहूँगा
मै हवा हूँ , हवा ही रहूँगा !
थिड़कते तेरे पैरो को देखता ही रहूँगा
छनकते तेरे पायल को सुनता ही रहूँगा
हिरणी जैसी चाल पर चलता ही रहूँगा
मै हवा हूँ , हवा ही रहूँगा !!
साथ छूटे राह पर भटकता ही रहूँगा
दुनियां से बचाने को संभलता ही रहूँगा
टूटे हुए बंधन को निभाता ही रहूँगा
मै हवा हूँ , हवा ही रहूँगा !!!
बेजुबान हूँ मै , बोलता ही रहूँगा
छूने को तुझे मै बहता ही रहूँगा
तुमसे मिलने को बार - बार जन्म लेता ही रहूँगा
मै हवा हूँ ,हवा ही रहूँगा !!!!
( कविता :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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