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एतवार का कहर , है ये अँधा सफ़र
किसे कहूँ मै अपना , खुद ने ली है जहर
अगर वक्त हो तो , मुझे याद करना
ए इश्क तो है धोखा , कभी प्यार न करना !
कभी खुद को समझाया , औरो ने भी बताया
मै प्यार में था अँधा , किस्मत ने मुझे ठुकराया
ये है खुली कहानी , इस किताब को तू पढ़ना
ए इश्क तो है धोखा , कभी प्यार न करना !!
जमाने को अजमाया , फिर अपनो को समझाया
किस्मत का था मै मारा , खुद को समझ न पाया
ऐ प्यार करने वाले , मेरे दर्द को समझना
ए इश्क तो है धोखा , कभी प्यार न करना !!!
ओ प्यार लैला - मजनू की , किसी ने न मिटाया
मेरा प्यार था अमर , मैंने दुनिया को भी बताया
अगर वक्त हो तो मुझे याद करना
ए इश्क तो है धोखा , कभी प्यार न करना !!!
( कविता :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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