Breaking News
"मन्नत"
तुमसे कुछ मांगने की चाह में
सूर्यास्त होने से सूर्योदय तक जागती रही
और वर्षो गुजार दिया इस सोंच में
कि तुम मिलोगे एक दिन
पर तुम नहीं मिले
मै टूट गई , दिल टूट गया , मेरा विश्वास टूट गया
पर .... तुम नहीं टूटे
शायद ! मेरी मन्नते पूरी करने में तुम सक्षम नहीं थे
काश ! तुम्हारे दीदार में , अपना अनमोल समय न गुजारकर
इस बात को हीं झुठला देती
कि टूटे हुए तारों से मांगी गई मन्नतें पूरी होती है |
( कविता :- रुपेश आदित्या एवं एम० नूपुर की कलम से )
रिपोर्टर