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"श्री गणेश" किसी भी कार्य की शुरुआत इन्हीं के नाम व पूजा से की जाती है | आज अश्विन माह की नवरात्रि का आरम्भ हो रहा है , आज भी प्रथम पूजा गणपति की होगी जो सभी बिघ्न / बाधा को दूर कर खुशियों का दौर स्थापित करेंगे |
आज पहला दिवस है जहाँ 9 माता रानी व इनके भाई भैरव बाबा की पूजा की जाती है जिसमे हम विभिन्न जगहों के आम नागरिक व खास नागरिकों के तर्क की बातें व मनोकामना सिद्ध होने का दावा भी पेश करेंगे | उनके शब्दों में उनकी श्रद्धा उनका नाम दर्ज होगा |
आज से साधना का दिवस आरम्भ हुआ | 9 दिनों तक लोग माता रानी की सेवा में अपना विश्वास उन्हें समर्पित करेंगे | 10 वें दिन विजयादशमी का दिन आनेवाला है जिसमे भगवान श्री राम द्वारा रावण के वध का प्रसारण सुनाया व दिखाया जाएगा जिसमे धुँआ - धुँआ होगा रावण का वह पुतला जिसके अन्दर पटाखों का भरमार समाया जाता है और कोई एक भक्ति को मन में उतारकर तीर से अग्नि का प्रवेश कराते हुए रावण का वध करते हैं | मालुम हो कि रावण एक विद्वान ब्राहमण का नाम है तो यह वध रावण के आक्रोश व क्रूरता को ख़त्म करने का सन्देश देता है |
मंदिरों व घरो में रामायण भी पढ़ी जायेगी साथ हीं वह ग्रन्थ जो हमें सही दिशा की ओर चलने हेतु प्रेरित करती है , इस शुभ स्थल पर रखे व पढ़े जायेंगे | नवरात्रि में हम 9 देवियों की पूजा करते है | हमारी जिंदगी की सफलता के यहीं 9 सूत्र है | हम इन शक्तियों को अपनी जिंदगी में पिरो दे तो दुःख का नामोनिशान मिट जाएगा |
माँ शैलपुत्री , माँ ब्रह्मचारिणी , माँ चंद्रघंटा , माँ कुष्मांडा , माँ स्कंदमाता , माँ कात्यायनी , माँ कालरात्रि , माँ महागौरी , माँ सिद्धिदात्री .... ये 9 माँ देवी के नाम है जो हमें सफलता की तरफ बढ़ाती है | वैसे ये सभी नाम माता गौरी "पार्वती" के हीं नाम है |
आज का दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित |
माँ पार्वती का एक रूप जो अपने तप के बल पर भगवान शिव को पाया था , इन्हें हम एक विश्वास का प्रतिक मान सकते हैं | विश्वास लेकर कार्य किया जाए तो सफलता हाथ लगती है | अच्छे कर्म कीजिये और फल की चिंता ना कीजिये , देनेवाली वे हैं आपकी श्रद्धा व विश्वास के तौल पर भर देंगी झोली हम सबो की और फिर दुःख का नामोनिशान मिट जाएगा |
ये 9 दुर्गा में प्रथम हैं | पर्वत राज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा | एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल लिए इनकी प्रतिमा लोगो को विश्वास से भरने का प्रतिक है | पूर्व जन्म में इनका नाम सती था , ये भगवान शिव की पत्नी थी जो दक्ष की पुत्री बनी थी | पिता ने एक महायज्ञ का आयोजन किया था जिसमे भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया | जब माँ सती को इस बात का पता चला तो वो बिन बुलाये मायका जाने की जिद्द कर बैठी | मजबूरन भगवान शिव को स्वीकृति देनी पड़ी |
माँ सती मायका तो चली गई मगर वहां अपने पति का भाग न देखकर तिरष्कार बर्दाश्त न हुआ | माता क्रोध में आ गई और उन्होंने जिद्द करने का जुर्माना भरने के ख्याल से शरीर का हीं त्याग करने का मन बनाया और हवनकुंड में कूद गई और यहीं से हुआ भगवान शिव का वह तांडव जिसे देखकर ब्रह्माण्ड में भूचाल आ गया |
परम्पराओं के अनुसार आज नारंगी या श्वेत वस्त्र धारण करना उनके लिए काफी शुभ है जो माता रानी पर भरोषा रखते हैं | आज के दिन किसी एक कुँवारी कन्या को भोजन भी कराना अच्छा माना जाता है | माँ शैलपुत्री शांति की प्रतिक भी है और जहाँ शांति हो वहां सबकुछ है | .......... ( अध्यातम फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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